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छत्तीसगढ़

11 वर्षों से न्याय पाने के इंतजार में परिजन

राजिम (पाण्डुका) । मामला गरियाबंद जिले के थाना छुरा क्षेत्र का हैं 23 जनवरी 2011 को नगर के 32 वर्षीय युवा पत्रकार उमेश कुमार राजपूत का उनके निवास स्थान पर ही शाम लगभग 6.30 बजे अज्ञात अपराधियों के द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। जबकि उमेश राजपूत का घर थाने से महज कुछ फलांग की दूरी पर बीच नगर में स्थित है, घटना के बाद शुरुआत में स्थानीय पुलिस के द्वारा जांच की गई किंतु अपराधियों के नहीं पकड़े जाने पर उसके परिजनों ने उच्च न्यायालय बिलासपुर में याचिका दायर कर सीबीआई जांच की मांग की गई, जिस पर घटना के लगभग चार साल बाद उच्च न्यायालय ने सीबीआई जांच का आदेश दिया। और आज भी यह मामला सीबीआई न्यायालय में लंबित है और परिजन आज भी न्यायालय से न्याय की उम्मीद लगाये प्रतीक्षा में हैं।
परिजनों की मानें तो घटना भी सोचनीय और गंभीर प्रतीत होता है। उमेश राजपूत 23 जनवरी 2011 को अपने दैनिक कामकाज में रोज की तरह लगा हुआ था सुबह नित्यक्रिया से निवृत्त होकर अपने गृहग्राम हीराबतर गया, तत्पश्चात दोपहर में हीराबतर से लौटकर पल्सपोलियो की रिपोर्ट जमा करने सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र छुरा गया, इसी क्रम में नगर के कई जनप्रतिनिधियों से मुलाकात भी की कुछ देर बाद घर से फोन करने के बाद वे आमापारा छुरा अपने निवास पर पहुंचे जहां कुछ देर में स्थानीय पत्रकार शिवकुमार वैष्णव और उसके पुत्र उमेश के घर पहुंचे जहां उमेश राजपूत अपने बैठक रुम में समाचार बना रहे थे और शिव वैष्णव उनके साथ बैठे थे वहीं घर पर उनकी पत्नी, पुत्री, कामवाली,वैष्णव का पुत्र उपस्थित थे इस बीच कोई बाहर से आवाज़ देता है कि उमेश राजपूत है क्या जिस पर कामवाली लड़की बोलते हैं भैया कोई आया है और उमेश घर के दरवाजे से बाहर नहीं निकला रहता है और धांय से आवाज होती है उमेश राजपूत कमरे में अरेबाप रे बोलते हुए फाटक बंद करता है पत्नी बाहर निकलती है तो कोई नहीं मिलता है आनन फानन में शिवकुमार वैष्णव और पड़ोसी अवधेश प्रधान मोटरसाइकिल में उमेश को घायल अवस्था में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र छुरा पहुंचाते हैं जहां डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
कुछ देर बाद उमेश के कमरे के बाहर रखे पायदान से एक धमकी भरा पत्र मिलता है जिसमें लाल कलर के पेन से लिखा होता है कि उमेश राजपूत आप समाचार छापना छोड़ दो,और छुरा छोड़कर चले जाओ नहीं तो मरे जाओगे, सवाल यह उठता है कि उमेश राजपूत को जब हत्यारे गोली मारा तो धमकी भरा पत्र क्यों लिखेगा, दुसरा पहलु है जब हत्यारा घर के अंदर घुसा ही नहीं तो पत्र उमेश के कमरे के पायदान के नीचे कैसे गया, तीसरा पहलु उमेश को गोली लगने के बाद दरवाजे से ही हास्पिटल ले जाया गया तो उसके बैठक के बेड पर समाचार पेड पर रखे पेन पर खून कैसे लगा,यह सबसे बड़ा सवाल खड़ा होता है। इस हत्याकांड मामले में कुछ संदेहियों का ब्रेन मेपिंग टेस्ट भी कराया गया था।हालांकि कि परिजनों की मानें तो सीबीआई जांच में थाना से गोली चला पर्दे का कपड़,धमकी भरा पत्र,मोबाइल, कम्प्यूटर जैसे कई सामान गायब मिले। इस बीच इस केस के याचिकाकर्ता उसके भाई परमेश्वर राजपूत को भी 14 अक्टूबर 2022 को उनके निवास स्थान ग्राम हीराबतर में घर के दरवाजे पर उमेश राजपूत जैसे गोलीमार हत्या करने की धमकी भरा पत्र डाला गया था जिसकी रिपोर्ट छुरा थाने में दर्ज कराई गई जिसका अपराधी अभी तक नहीं पकड़ा गया है। और आज भी स्व.पत्रकार उमेश राजपूत के परिजन भय के वातावरण में न्यायालय से न्याय मिलने की उम्मीद पर आस लगाये इंतजार कर रहे हैं।

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