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छत्तीसगढ़

सरकार के अंतिम बजट में गरीबों और गांव की उपेक्षा, बेरोजगारों के साथ ठगी:जितेन्द्र

उतई । प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तुत वार्षिक बजट पर जिला भाजपा अध्यक्ष जितेंद्र वर्मा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भूपेश सरकार का
अंतिम बजट से सर्वहारा वर्ग की उम्मीदें बुरी तरह से टूट गई है, इसमें गांव और गरीबो की घोर उपेक्षा हुई है। सरकारी कर्मचारियों के लिए कोई नई घोषणा नही है इसके अलावा न तो दैनिक वेतनभोगी कर्मियों का ख्याल रखा गया और न ही झुग्गी झोपड़ी के श्रमिकों के हालत पर चिंता दिखाई गई।भूपेश सरकार ने 1 लाख 21हजार 500 करोड़ रुपये से अधिक का बजट पेश किया है। राज्य निर्माण के प्रारंभिक साल में पूर्व मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी ने महज 4 हजार करोड़ का बजट प्रस्तुत किया था, दो दशक से अधिक के कालखण्ड में राज्य का बजट 28 गुना बढ़ गया पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बजट में न दीर्घकालीन योजनाओं का खाका खींचा गया है और न ही विकास के लिए कोई प्रतिबद्धता दिख रही है। बेरोजगारों के लिए बेरोजगारी भत्ता की घोषणा जरूर की गई है, मगर इसमें भी चालाकी दिखाते हुए छल किया गया है इस दायरे में वही आएगा जिसके परिवार की वार्षिक आय ढाई लाख से अधिक न हो, जबकि कांग्रेस के 2018 के घोषणापत्र में ऐसी कोई शर्त नहीं थी, मजे की बात यह है कि बेरोजगारी भत्ता मात्र दो साल के लिए दिया जाएगा जो कि बेरोजगारी और बेरोजगारों के लिए लॉलीपॉप के समान है। श्री वर्मा ने आगे कहा कि बेरोजगारी भत्ते के रूप में 4 साल 3 माह का बकाया बेरोजगारी भत्ता देने का कोई प्रावधान नहीं करते हुए बेरोजगारों के साथ कांग्रेस सरकार ने ठगी की है।जिला भाजपा अध्यक्ष श्री वर्मा ने कहा कि महीनों से महंगाई भत्ता व वेतन विसंगति के लिए संघर्ष कर रहे राज्य के चार लाख कर्मचारियों को भूपेश के बजट 2023 में सिर्फ निराशा हाथ लगी है। किसानों व कृषि मजदूरों के लिए कोई नई घोषणा नही की गई। भूपेश बघेल ने इस बजट को जनता के भरोसे का बजट बताया है जबकि हकीकत यह है कि कांग्रेस के इस बजट जनता का भरोसा टूटा है।

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