छत्तीसगढ़

कोया करसड़ आयोजन में गौर सिंगार के साथ आदिवासी संस्कृति की झलक दिखी

किरंदुल । ग्राम पंचायत चोलनार में 16वी वार्षिक कोया करसड़ का आयोजन किया गया इस आयोजन में जिले भर से कोया कुटमा आदिवासी समाज के लोग शामिल रहे अपनी सांस्कृतिक भाषा रीति रिवाज को बनाए रखने और क्षेत्र में सामाजिक एकता के साथ शिक्षा स्वरोजगार खेती किसानी में आगे बढ़ाने हेतु वक्ताओं के माध्यम से लोगों को आह्वान किया गया कोया करसड़ उद्घाटन समारोह में गांव के भूम गायता वड्डे, पेरमा और समाज प्रमुखों के द्वारा भारतीय संविधान के निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर एवं कोया कुटमा के जनक लच्छू कर्मा जी को फूल अर्पण और दीया जलाकर पारंपरिक रीति रिवाज के अनुसार अर्जी विनती कर ध्वजारोहण कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई इस कोया करसड़ आयोजन में बिंदुवार चर्चा हेतु 8 बिंदु पर चर्चा करते हुए लोगों को वक्ताओं ने अवगत करवाया सबसे पहले कोया समाज के संरक्षक बचनु भोगामी ने ध्वज के सात रंगों को परिभाषित करते हुए लोगों को विस्तार से समझाया कार्यक्रम की शुरुआत के पहले दिन मुख्य 4 बिंदुओं पर बारी बारी से वक्ताओं ने बिंदुवार लोगों के समक्ष अपनी बात रखी जिसमें संगठन पर चर्चा शिक्षा पर विशेष जोर देने हेतु चर्चा कोया संस्कृति एवं माटा के संरक्षण पर चर्चा जन्म मृत्यु विवाह पर चर्चा पहले दिन इन बिंदुओं पर चर्चा किया गया कोया कुटमा के अध्यक्ष महादेव नेताम ने संगठन पर चर्चा हेतु अपनी बात रखते हुए बताया कि जिस समाज में संगठन होता है वहां समाज हर क्षेत्र में नामुमकिन होने वर्ली काम को भी मुमकिन कर हर तरह से हासिल करने में कामयाब होता है और हमारे कोया कुटमा समाज के लोगों को भी समझने की जरूरत है कि हम कैसे हमारे समाज को और हमारे क्षेत्र को एक रूपता में आकर आगे बढ़ाएं, जन्म मृत्यु विवाह पर चर्चा हेतु अपनी बात रखते हुए बल्लू भवानी उद्बोधन में अपनी बात रखते हुए लोगों को अवगत कराया कि हमारी कोया संस्कृति प्रकृति के साथ चलने वाली है और हमारा जन्म संस्कार से लेकर मृत्यु संस्कार तक हम अपने संस्कृतिक रीति रिवाज और गांव के गायता पेरमा वड्डे के कहे अनुसार चलने वाले लोग हैं हमारा कोई लिखित वचन नहीं है इसीलिए हम आदिवासी कोयाओ कोई मंदिर नहीं होता ना कोई बड़ा महल होता है जिसमे हम वचन करे, हम लोग प्रकृतिक चाल चालान के साथ में माटी की पूजा कर की प्रकृतिक के बनाई हुई मार्ग में चलने वाले लोग हैं हमारी संस्कृति ही हमारी पहचान है हमारी जिम्मेदारी है की हमारी सांस्कृतिक संरक्षण को बनाए रखने की ,इस प्रोग्राम में शामिल होने आर्सेलरमित्तल निप्पों स्टील इंडिया लिमिटेड से जीएम , एनएमडीसी मैनेजमेंट के अधिकारी भी अतिथि के तौर पर सम्मेलन में पहुंचे हुए थे आयोजन के दूसरे दिन दंतेवाड़ा जिला कलेक्टर विनीत नंदनवार भी मुख्य अतिथि के तौर पर कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दी कलेक्टर ने अपने उद्बोधन में समाज के लोगो को अपनी बात अवगत करते हुए कहा की मैंने आमंत्रण पत्र में इस सम्मेलन होने वाली परिचर्चा की बिंदु को मैंने ध्यान से पढ़ा है और बहुत अच्छा लगा कि समाज आज आपसी बैठ चर्चा कर लोगों को जागरूक करने में लगी हुई है आदिवासी संस्कृति कि अपनी पहचान है पूरे देश में,लेकिन मैं एक बात अवगत करना चाहता हूं शायद बुरा लगता सकता है उन्होंने मुर्गा बाजार का उदाहरण देते हुए बताएं कि मुर्गा बाजार जरूर एक सांस्कृतिक का एक हिस्सा हो सकता है पर उसको आज जुआ के रूप में खेला जाता है मैंने देखा है आज किसान धान बेचकर के मुर्गा बाजार में सारे पैसा को लगाते और हार जाता है यह अच्छी बात नहीं है ऐसे कुछ बिंदुओं पर समाज को सुधार करने की आवश्यकता है और साथी कोया कुटमा आदिवासी समाज में प्रतिभाओं की कमी नहीं है उन्हे बाहर निकलने की जरूरत है बस्तर जैसे अंदरूनी इलाके में रहकर एक कलेक्टर बनकर आपके सामने खड़ा है स्वयं का उदाहरण देते हुए कहां की मैं हर समय एक चीज बोलता हूं पढऩा बहुत आसान काम है आप लोगों को पढ़ाइए ,आधुनिकता की दुनिया में बढ़ाना अच्छी बात है लेकिन अपने समाज की ताना-बाना रीति रिवाज और अपनी मातृभाषा को भूलना नहीं चाहिए हमारी संस्कृति भाषा ही हमारी पहचान होती है और हम लोगों ने दंतेवाड़ा जिले में एक आदिवासी सांस्कृति म्यूजियम बना रहे हैं और आने वाले 6,7 महीनों में बनकर तैयार होगा जिला प्रशासन की सोच है हर समय आपके संस्कृतिक संरक्षण को बनाए रखने के लिए आगे काम करेगा अंतिम परिचर्चा में नशा मुक्ति चर्चा बिंदु पर मासा कुंजाम ने जिला प्रशासन के अधिकारियों को अवगत कराते हुए कहा कि हमारे समाज में हर समाज से कम ही नशा करते हैं पर हमारे लोग आठ बाजार में जो नशीला पदार्थ बेचते हैं या बिक्री होती है।

उन्हें रोकने की जरूरत है ताकि कहीं एक स्थान पर एक लाइसेंस के रूप में लाकर इसकी बिक्री किया जाए ऐसा कोई व्यवस्था हो तो जहां पाए वह नशीला पदार्थ नहीं मिलेगा तो शायद हो सकता है हमारे समाज में जो नशीला पदार्थ दिखाई पड़ते हैं वह जरूर विराम लगेगा और साथी समाज के लोगों को भी अवगत कराएं की पीने का कोई स्थान या तो घर पर पिये पीना कोई मनाही नहीं है पर रोड में पीकर करके घूमना यह समाज की बदनामी है और हमें इसमें सुधार लाने की आवश्यकता है और अंतिम में कलेक्टर की उपस्थिति में ध्वजारोहण झंडा उतार कर ग्राम पंचायत चोलनार के सरपंच भीमा मंडावी ने 2 दिवसीय कोया करसड़ में उपस्थिति अतिथि मुख्य अतिथियों को समाज प्रमुखों समस्त जनप्रतिनिधियों और लैया ,लेयोर को शुभकामनाएं देते हुए सभा का समापन किया गया!

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