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खेल – मनोरंजन

सिर्फ अधोसंरचना नहीं, स्पर्धाएं भी होनी चाहिए

खेलकूद को बढ़ावा देने के लिए नियमित रूप से स्पर्धा आयोजन की जरूरत

जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
1 नवम्बर 2000 को अस्तित्व में आये छत्तीसगढ़ राज्य के चहुंओर विकास की बात करें तो बिजली, सड़क, परिवहन, स्वास्थ्य, शिक्षा, खाद्यान्न याने आम लोगों से जुड़े हुए लगभग सभी समस्याओं पर काबू पा लिया गया है। परंतु एक ऐसा क्षेत्र जिसका संबंध स्वास्थ्य व शरीर के चुस्त-दुरुस्त रहने से है याने ‘खेलकूदÓ इस दिशा में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। स्वस्थ शरीर, स्वस्थ जीवन का आधार है तथासमाज की मजबूती के लिए आवश्यक है। बच्चे, किशोर, युवा से लेकर बुर्जुगों तक शारीरिक उमंग का विशेष महत्व है। इस दिशा में 2014 से केंद्र में सत्ता पलट के साथ मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में समाज को तंदुरुस्त रखने के लिए खेलो इंडिया जैसे कार्यक्रम बेहद लाभकारी हो रहे हैं। हमारे प्रदेश में खेलकूद को बढ़ावा देने के लिए सन् 2000 के बाद जितनी कोशिश की गई वह नाकाफी है। वर्तमान परिस्थिति में छत्तीसगढ़ के विभिन्न शहरों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता आयोजित करने के लिए अधोसंरचना का निर्माण किया गया है। हमारे प्रदेश में एथलेटिक्स, हाकी, क्रिकेट, बेडमिंटन, टेबल टेनिस, तैराकी, टेनिस, स्क्वेश, कयाकिंग और कैनोइंग, नौकायन आदि खेलों की अंतर्राष्ट्रीय खेल स्पर्धा के आयोजन के लिए पर्याप्त स्टेडियम, खेल परिसर है। हमारे प्रदेश में जिस तरह के इंडोर स्टेडियम उपलब्ध हैं उपयोग करके अंतर्राष्ट्रीय मानक की व्हालीबाल, हैंडबाल, नेटबाल, बास्केटबाल, जूडो, कराते, मुक्केबाजी, भारोत्तोलन, शक्तितोलन, रोलबॉल, योगासन और मलखंभ आदि खेलों की प्रतियोगिता आयोजित की जा सकती है। सवाल यह उठता है तो फिर चैंपियनशिप क्यों आयोजित नहीं की जाती है।
स्पष्ट है इसके लिए उत्सुक, चाहने वाले, खेल के प्रति वफादार, खेल के महत्व को समझाने वाले समर्थित फौज की आवश्यकता होती है। छत्तीसगढ़ में खेल का माहौल बनाने में असफल रहने के लिए किसी एक व्यक्ति या खेल फेडरेशन को कोसने का समय नहीं है। अब हमें तेजी से आगे बढऩे के लिए एक कुशल नेतृत्व की आवश्यकता है। आर्थिक तंगी का रोना अब नहीं चलेगा। छत्तीसगढ़ में खनिज संपदा बड़ी मात्रा में है जिसके उत्खनन, परिवहन, अरबों रुपये की धनराशि राज्य को टैक्स के रूप में प्राप्त हो रहा है। पड़ोसी राज्य ओडिशा में जिस तरह खेलों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार से मदद ली जा रही है उसका अध्ययन जरूरी है। छत्तीसगढ़ सरकार के नये मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय तथा खेल मंत्री टंक राम वर्मा को हमारे प्रदेश के प्रमुख प्रशासनिक, पुलिस अधिकारियों के साथ ही साथ खेल संघ के वरिष्ठ खेल पदाधिकारियों, खेल शिक्षकों, सेवानिवृत्त ख्यातिपात्र खिलाडिय़ों, प्रशिक्षकों, निर्णायकों की टीम बनाकर इस दिशा में आगे बढऩा होगा। केंद्र सरकार के खेल विभाग द्वारा खेलो इंडिया कार्यक्रम के आयोजन के लिए प्रत्येक राज्य को अतिरिक्त धन राशि प्रदान की जा रही है। छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय खेलो के आयोजन के लिए बहुत प्रयास हुए परंतु सफलता नहीं मिली। अब खेलो इंडिया के द्वारा 18 वर्ष से कम उम्र के खिलाडिय़ों के लिए यूथ गेम्स तथा खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स प्रत्येक वर्ष कराये जा रहे हैं। अत: छत्तीसगढ़ में खेल वातावरण बनाने के लिए इसके पहले कि राष्ट्रीय खेल सम्पन्न हो अपने आयोजन क्षमता को जांचने के लिए ही सही खेलो इंडिया यूथ या फिर खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स आयोजित कराना चाहिए। हमारे प्रदेश में माहौल को खेलकूद मय बनाने के लिए इस तरह की कोशिश की सराहना ही होगी। नई प्रतिभाएं उभरकर सामने आएंगी। हमारे प्रदेश का नाम पूरी दुनिया में होगा और टीवी चैनल तथा अत्याधुनिक संचार माध्यमों से सीधा प्रसारण होगा जिसके द्वारा यहां के पर्यटन स्थल, कला-संस्कृति आदि का प्रचार-प्रसार हो सकेगा।

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