छत्तीसगढ़

धार्मिक धरोहर सुता तालाब की संवर गयी तस्वीर

राजेश अग्रवाल
पत्थलगांव । धार्मिक धरोहर के रूप मे माना जाने वाला सुता तालाब की तस्वीर अब संवरने लगी है,सुबह शाम के दौरान यहा लोगो को चहल कदमी करते देखा जा सकता है,किसी समय गंदगी का अंबार लगे रहने के कारण मौहल्ले के लोग भी यहा से गुजरना छोड दिये थे,परंतु अब शहर के लोग सुता तालाब के किनारे लगी आरामदायक कुर्सियों मे बैठकर सुकुन का समय व्यतीत कर रहे है। शहर के लोगो को यहा पल रही मछलीयों को दाना देते भी देखा जा सकता है,वार्ड क्रमांक 4 एवं 10 के मुहाने मे बना सुता तालाब हमेंशा से शहर के लोगो की आस्था का प्रतीक रहा है। होली या अन्य त्यौहारो के समय इस तालाब के पानी से अनेक धार्मिक कार्य संपन्न कराये जाते थे,धीरे-धीरे तालाब मे उगने वाली जलकुंभी एवं बाहर से आकर बसे लोगो द्वारा धर्म की आस्था एवं तालाब के सौंदर्य से खिलवाड किया जाने लगा,जिसके कारण सुता तालाब अपनी पहचान खोकर गंदगी के अंबार मे तब्दील होगया। यहा तक की धार्मिक आयोजन भी यहा होने बंद हो गये थे। सुता तालाब की बदहाली देखकर अनेक समाजसेवियों के अलावा मौहल्ले के लोगो ने भी साफ सफाई एवं तालाब के रख-रखाव के साथ उसके सरंक्षण की बात उठायी,इस बात का नगर पंचायत ने अनेक बार जमकर फायदा उठाया,सुता तालाब को मरीन ड्राईव बनाने के नाम पर नगर पंचायत ने लाखो रूपये पानी मे बहा दिये,परंतु तालाब की स्थिती जस की तस बनी रही। धीरे-धीरे लोगो की आस्था भी धूमिल होने लगी। जन्म-मरण के दौरान होने वाले कार्यो के लिए शहर के लोगो ने दूसरे तालाबो का चयन करना शुरू कर दिया,इसे देखकर 4 एवं 10 नंबर वार्ड के पार्षदो ने एक बार पुन: सुता तालाब के सरंक्षण की सुध ली। वार्ड क्रमांक 4 के वर्तमान पार्षद सतीश अग्रवाल का सुता तालाब के सरंक्षण मे महत्वपूर्ण योगदान रहा। वार्ड क्रमांक 10 के पार्षद अजय बंसल ने भी काफी कोशिशो के बाद तालाब को एक बार पुन: आस्था का प्रतीक बनाने मे कसर नही छोडी।।
शिवालयों से घिरा है तालाब-:सुता तालाब को बनाने एवं उसके पानी से धार्मिक कार्यक्रम संपन्न कराने मे यहा के बुजुर्गो का योगदान माना जाता है। दरअसल सुता तालाब का निर्माण मंदिरो को उसके आस-पास देखकर बनाया गया था,सुता तालाब जिस स्थान पर बना है ठीक उसके सामने पांच दशक पुराना सत्यनारायण मंदिर स्थित है,उसके अलावा सुता तालाब के ठीक बांए ओर नवनिर्मित भव्य श्याम मंदिर का भी निर्माण किया गया है,कहा जाता है कि सुता तालाब हमेंशा से शहर के लोगो की आस्था का केन्द्र था,जीवन मरण के अलावा प्रमुख हिंदु त्यौहारो मे सुता तालाब की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है,यही कारण था कि सुता तालाब जैसे ही अपना अस्तित्व खोना शुरू किया वैसे ही लोगो ने उसके सरंक्षण के मुददे को उठा दिया।।
मेरीन ड्राईव का अब भी इंतजार- धार्मिक आस्था के साथ-साथ अब लोगो को सुता तालाब फुर्सत का समय बिताने के लिए मरीन ड्राईव के रूप मे भी प्रतिक्षारत है,लोगो का मानना है कि सुता तालाब को जिस तरह एक बार पुन: धार्मिक आस्था के लिए सरंक्षित कर दिया गया है,उसी तरह पर्यावरण की दृष्टि से भी उसे विकसित करते हुये मरीन ड्राईव का रूप दे दिया जाता तो शहर के लोगो के पास अपना फुर्सत का समय बिताने के लिए एक बेहतरीन साधन हो जाता।

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