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छत्तीसगढ़

आचार्य रामेश्वर नारायण के ओजस्वी वचनों से हजारों भक्त हो रहे भाव विभोर

कवर्धा । श्रीमद्भागवत कथा केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि आत्मा के जागरण का अमृत है। जब श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन होता है, तो भक्ति, प्रेम और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रवाह हर भक्त को अपने में समाहित कर लेता है। कवर्धा में आयोजित भागवत कथा ऐसा ही एक पावन अवसर बन चुकी है, जहाँ हर दिन हजारों श्रद्धालु भक्ति में डूब रहे हैं। जी श्याम पैलेस, सरोधा रोड में 8 से 15 फरवरी तक चल रही इस कथा में शारदा शक्ति पीठ, मैहर (म.प्र.) के आचार्य रामेश्वर नारायण जी अपने ओजस्वी वचनों से भक्तों को भाव-विभोर कर रहे हैं। इस दिव्य आयोजन की जिम्मेदारी कन्हैया अग्रवाल ने संभाली है, जबकि यजमान जयदेव अग्रवाल और सोनल अग्रवाल हैं। कथा की शुरुआत भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य प्राकट्य से हुई। जैसे ही आचार्य रामेश्वर नारायण जी ने नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की का उद्घोष किया, पूरा पंडाल भक्ति में झूम उठा। बाल कृष्ण की माखन चोरी, यशोदा माता की ममता और गोवर्धन लीला के प्रसंगों ने श्रद्धालुओं को आनंद से सराबोर कर दिया।आचार्य जी ने कहा—भगवान श्रीकृष्ण केवल लीलाधारी नहीं, बल्कि प्रेम और भक्ति का महासागर हैं। यह सुनते ही पूरा वातावरण हरिनाम संकीर्तन से गूंज उठा।
गुरुवार को भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मिणी के विवाह का भव्य मंचन हुआ। जैसे ही वरमाला का प्रसंग आया, श्रद्धालुओं की आँखें आनंद और भक्ति से छलक उठीं। पूरे पंडाल में रुक्मिणीवल्लभ भगवान श्रीकृष्ण की जय के जयकारे गूंज उठे। आचार्य जी ने बताया कि रुक्मिणी का प्रेम केवल सांसारिक प्रेम नहीं था, बल्कि आत्मा का परमात्मा से मिलन था। यह हमें सिखाता है कि जब मनुष्य ईश्वर के प्रति संपूर्ण समर्पण कर देता है, तो हर कठिनाई स्वयं दूर हो जाती है। उद्धव प्रसंग जब ज्ञान ने भक्ति के आगे सिर झुका दिया,श्रीकृष्ण के मित्र उद्धव जब ब्रज पहुंचे, तो उन्होंने गोपियों की भक्ति को देखा। उन्हें यह ज्ञान हुआ कि भक्ति कोई शास्त्र पढ़कर नहीं मिलती, बल्कि हृदय के शुद्ध प्रेम से प्राप्त होती है। आचार्य जी ने कहा उद्धव को समझ में आ गया कि ज्ञान से बड़ा भक्ति का मार्ग है, जहाँ प्रेम ही सबसे बड़ा साधन है। यह सुनते ही श्रद्धालु श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारी का कीर्तन करने लगे और वातावरण भक्तिरस में डूब गया।कथा स्थल पर श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर है। सुबह से देर रात तक लोग कथा सुनने उमड़ रहे हैं। नन्हे बच्चे, युवा, वृद्ध—हर कोई श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन है। आयोजन समिति ने श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्थाएं की हैं, ताकि वे इस आध्यात्मिक यात्रा का पूर्ण लाभ उठा सकें। आचार्य रामेश्वर नारायण जी ने कहा— श्रीमद्भागवत केवल ग्रंथ नहीं, यह जीवन जीने की कला है। जो इसे सुनता है, उसका जीवन आनंदमय हो जाता है।भागवत कथा हमें सिखाती है कि प्रेम और समर्पण से ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है। संसार की मुश्किलें चाहे जितनी भी हों, श्रीकृष्ण की भक्ति से हर संकट दूर हो जाता है।

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