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छत्तीसगढ़

बस्तर ओलम्पिक में युवाओं के साथ महिलाएं भी दिखा रही दमखम

सुकमा । बस्तर के युवाओं को खेलों के माध्यम से मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की पहल पर बस्तर के युवाओं को मुख्यधारा में जोड़ने सहित उनकी खेल प्रतिभा को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से बस्तर ओलंपिक का आयोजन किया जा रहा है। इस अनूठी पहल का उद्देश्य पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देना, खेल प्रतिभाओं को पहचानना और उन्हें मुख्यधारा से जोड़कर उनके विकास का मार्ग प्रशस्त करना है। इसकी शुरुआत सुकमा जिले के विकासखण्ड छिंदगढ़, सुकमा और कोंटा में हो चुकी है। गांव-गांव से सीधे विकाखण्ड स्तर पर खेलने आये लोगों में उल्लास और जोश का संचार कर रहा है, जिसमें बच्चे, बड़े, महिलाएं और बुजुर्ग सभी बड़े उत्साह के साथ हिस्सा ले रहे हैं। बस्तर ओलंपिक में कबड्डी, ऊंची कूद, लंबी कूद, रस्साकसी, खो-खो, फूटबाल, वॉलीबाल और तीरंदाजी जैसे खेल शामिल किए गए हैं। इन खेलों का आयोजन न केवल बच्चों और युवाओं के बीच लोकप्रिय हो रहा है बल्कि महिलाओं और बुजुर्गों में भी जबरदस्त क्रेज देखा जा रहा है। बस्तर ओलंपिक के रूप में ये खेल संस्कृति और एकता के प्रतीक बन गए हैं, जो बस्तर क्षेत्र में विशेष महत्व रखते हैं।श्रीमती लक्ष्मी नाग की तीरंदाजी में भागीदारी पुरानी यादें हुई ताजा-छिंदगढ़ विकासखण्ड के ग्राम मारेगा की निवासी श्रीमती लक्ष्मी नाग ने तीरंदाजी स्पर्धा में हिस्सा लिया। उन्होंने कहा इस आयोजन ने हमारे बचपन की पुरानी यादें ताजा कर दी। तीरंदाजी हमारे गांव की परंपरा का हिस्सा रही है, जिसका उपयोग पहले शिकार के लिए किया जाता था। बचपन से ही मेरी इच्छा थी कि मैं भी तीरंदाजी में हिस्सा लूं। अब इस आयोजन ने मेरी इच्छा पूरी कर दी। लक्ष्मी नाग ने इसके लिए मुख्यमंत्री श्री साय का आभार भी प्रकट किया।टीम की एकता और सहयोग ने दिलाई जीत, जिला स्तरीय प्रतियोगिता हेतु हुआ चयन-इसी गांव की श्रीमती हिरमलता नाग ने बताया कि उन्होंने कबड्डी खेल में भाग लिया और सामूहिक रूप से बेहतर प्रदर्शन करते हुए जीत हासिल की। अब उनकी टीम जिला स्तर पर होने वाली प्रतियोगिता में खेलने के लिए चयनित हुई है, जिसे लेकर वे काफी उत्साहित हैं। उन्होंने कहा हमारा प्रदर्शन हमारी एकता और सहयोग का परिणाम है। इस जीत ने हमें प्रोत्साहित किया है और हम अब जिला स्तर पर भी अच्छे प्रदर्शन का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहे हैं।ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा और उमंग का संचार-रस्साकसी में भी महिला वर्ग की टीम ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उन्होंने अपने जोश और एकजुटता का परिचय देते हुए जीत दर्ज की। महिला टीम की सदस्य लक्ष्मी बघेल उम्र 40 ग्राम पंचायत मांरेगा ने कहा कि हम इस आयोजन के लिए बहुत खुश हैं और जिला स्तर पर खेलने का मौका मिलने से गर्व महसूस कर रहे हैं।बस्तर ओलंपिक में युवा वर्ग का भी खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। युवाओं का कहना है कि ये खेल हमारी संस्कृति को संजोने और मजबूत करने का काम कर रहे हैं। इस आयोजन के माध्यम से नई पीढ़ी को परंपरागत खेलों के प्रति आकर्षित किया जा रहा है, जो हमारी जड़ों को मजबूत बनाने में सहायक है।। बस्तर ओलंपिक के आयोजन ने पूरे जिले में एक नई ऊर्जा का संचार किया है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों का जोश और उमंग देखकर स्पष्ट होता है कि खेल हमारे जीवन में सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और परंपरा को संजोने का माध्यम भी हैं। बस्तर ओलंपिक ग्रामीणों को अपने पारंपरिक खेलों सहित मुख्यधारा से जोड़ रहा है। बस्तर ओलंपिक में मुख्य रूप से बस्तर संभाग के जनजातीय बहुल और माओवादी प्रभावित क्षेत्रों के युवाओं को शामिल किया गया है। इन क्षेत्रों में खेल प्रतिभाएं नैसर्गिक रूप से पाई जाती हैं। इस आयोजन के माध्यम से राज्य सरकार का प्रयास है कि इन युवाओं की रचनात्मक खेल प्रतिभा को निखारा जाए और उन्हें खिलाड़ी के रूप में तैयार कर एक पहचान दी जाए।

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