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छत्तीसगढ़

सुप्रीम कोर्ट के कोटा के अंदर कोटा के फैसले के खिलाफ भारत बंद का व्यापक असर रहा

मंगल कुंजाम
किरंदुल । 1 अगस्त 2024 के माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश क े अनुसार राज्य सरकारें अब अनुसूचित जाति और जनजातियों के आरक्षण में आरक्षण लागू कर सकती हैं, इसके विरोध में अनुसूचित जाति और जनजातियों के विभिन्न सगठनों और कर्मचारियों ने 21 अगस्त को भारत बंद का आव्हान किया था। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के लोगों ने कोर्ट के इस फैसले को आरक्षण विरोधी और समाज को तोड़ने वाला बताया और इसे वापस लेने को सम्पूर्ण भारत बंद का आव्हान किया। कोर्ट ने अपने ही 20साल पुराना फैसले को पलट दिया जिसमें कहा गया था कि अनुसूचित जातियां खुद में एक समूह हैं उसने शामिल जातियों के आधार पर और बटवारा नहीं किया जा सकता। जिसे 6 जजों की पीठ ने इस 20 साल पहले के आदेश को पलट दिया। आदेश के आते ही इस वर्गो के सभी संगठनों ने पुरजोर विरोध किया।और इस फैसले को आरक्षण विरोधी और समाज को बांटने वाला बताया। यह भी विदित हो कि आरक्षण के विरोधी लोग अक्सर ही आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की वकालत करते रहे हैं जबकि ये संविधान में आरक्षण के प्रावधान का घोर उल्लंघन है। इन तबके के लोगों को आरक्षण छुआछूत और समाजिक पिछड़ेपन के आधार पर है तो आरक्षण आर्थिक आधार पर नहीं दिया जा सकता है। कुछ दिन पहले भी केंद्र की भाजपा सरकार ने अनुसूचित जाति और जनजातियों में भी क्रीमीलेयर लाने का प्रस्ताव लाई थी जिसका भी विरोध हुआ और इन वर्गों के सांसदों ने प्रधानमंत्री से मिलकर अपनी चिंता जताई थी जिसके बाद केंद्र सरकार ने इसे भी वापस लिया था। केंद्र सरकार की एक के बाद एक आरक्षण विरोधी फैसले से इन वर्गों के लोगों को अपना अधिकार हाथ से निकलता दिख रहा है। पहले भी एट्रोसिटी एक्ट, निजीकरण, एस टी एस सी में क्रीमी लेयर अब सुप्रीम कोर्ट के कोटे के अंदर कोटा के फैसले से इन वर्गों को लगने लगा है कि एक सोची समझी साजिश के तहत इस तरह कदम उठाए जा रहे हैं। और इन वर्गों की संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों पर कुठाराघात कर कमजोर किया जा रहा है। अब इस बंद को कई सगठनों और समाजिक कार्यकर्ताओं ने अपना समर्थन दिया। इन संगठनों के लोग सुबह से ही लाउड स्पीकर और बाइक रैली कर व्यापारिक संस्थान और दुकानदारों को बंद का सहयोग के लिए आह्वान करते रहे। लोगों ने भी इस बंद का पूर्ण रूप से सहयोग दिया और अपने दुकान और व्यापार बंद रखे। किरंदुल के सभी व्यापारिक संस्थान पूर्ण रूप से बंद रहे।

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