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छत्तीसगढ़

पति की लंबी उम्र के लिए सुहागिनों ने रखा वट सावित्री का व्रत

रायगढ़ । सुहागिन महिलाओं ने गुरुवार को वट सावित्री की पूजा.अर्चना कर पति की लंबी उम्र और सुख शांति की कामना की। इस दौरान नव विवाहिताओं में वट सावित्री पूजन को लेकर खासा उत्साह देखा गया। इस दौरान वट वृक्ष को मौसमी फल अर्पित कर 108 परिक्रमा के साथ कच्चा सूत्र बांधने और पंखा से ठंडक पहुंचाने के बाद महिलाओं ने आस्था के साथ वट सावित्री कथा भी सुनी।
उल्लेखनीय है कि हिन्दू धर्म में वट सावित्री व्रत का एक अलग ही महत्व हैं। इसे ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को वट पूजा किया जाता है। इस दौरान सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत रखती हैं। कहा जाता है कि इस दिन सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस लेकर आईं थीं। जिसके बाद उन्हें सती सावित्री कहा जाने लगा। इस पर्व को लेकर शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में सुबह से उल्ल्लास के साथ महिलाओं को वट वृक्ष की पूजा.अर्चना करते देखा गया।वहीं पंडितों ने बताया कि ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि पर वट सावित्री पूजन करने की परंपरा युगों से चली आ रही है। ऐसे में इस बार अमावस्या तिथि 6जून को था साथ ही इस बार वट सावित्री व्रत के दिन भगवान शनि जंयती भी थाए साथ ही गुरुवार का दिन भगवान विष्णु का दिन माना गया है। जिसके चलते इस बार का वट पूजा बेहद खास मना गया है। ऐसे में सुहागिन महिलाओं ने गुरुवार को निर्जला व्रत रखकर कर अपने पति की लंबी आयु के लिए वट वृक्ष की पूजा किया। इस दौरान शहर में गौरीशंकर मंदिरए बुजी भवनए निकले महादेव मंदिरए सहित अन्य दर्जनो मंदिर व गली.मोहल्लों में वट वृक्षों में महिलाओं ने वट सावित्री का निर्जला व्रत कर वट वृक्ष में रोली बांधकर विधि.विधान से पूजा.अर्चन कर यमराज से पति की लंबी आयु की मांग की है।
महिलाओं में रहा उत्साह
वट सावित्री व्रत को लेकर सुहागिन महिलाओं में खासा उत्साह रहा। इस दौरान महिलाओं ने तपती धूप में दोपहर तक पूजा.अर्चना किया। साथ ही वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मंदिर भी गुंजयमान रहा। वट सावित्री पूजा के बाद सुहागिनो महिलाओं ने सुहाग के रक्षा के लिए सुहाग का सामान आदान प्रदान करते हुए उज्वल भविष्य व परिवार में सुख शांति के लिए कामना की। इसके आलावा महिलाएं अपनी सुहाग की दीर्धायु हेतु निर्जला व्रत रखकर वट सावित्री की पूजा कर सती सावित्री से सदा सुहागन होने का आशीर्वाद मांगा।
क्या है मान्यता
इस संबंध में मान्यता है कि वट ;बरगदद्ध वृक्ष के नीचे सावित्री ने अपने मृत पति के शरीर को रखकर यमराज के पीछे.पीछे चली गई थीं। सावित्री के संकल्प से प्रसन्न होकर यमराज ने वरदान दिया जिससे सावित्री के पति सत्यवान को पुर्नजीवन मिला। इसी मान्यता के चलते सुहागिन महिलाएं अखंड सुहाग की कामना के लिए ज्येष्ठ अमावश्या के दिन वट वृक्ष और यमराज की पूजा करती हैं।
बरगद के पेड़ का विशेष महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बरगद के पेड़ में हिंदू पौराणिक कथाओं के त्रिदेव ब्रह्माए विष्णु और महेश विद्यमान हैं। पेड़ की जड़ें ब्रह्मा का प्रतिनिधित्व करती हैं। वट वृक्ष का तना विष्णु का प्रतिनिधित्व करता है और भगवान शिव बरगद के पेड़ के ऊपरी हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस पवित्र पेड़ के नीचे पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जिस तरह सावित्री ने अपने समर्पण से अपने पति सत्यवान को यमराज से वापस लाई थींए उसी तरह इस शुभ व्रत को रखने वाली विवाहित महिलाओं को एक सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता हैए इसी मान्यता को लेकर हर साल जेष्ठ कृष्णपक्ष के अमावश्या को वट पूजा की जाती है।

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