प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कौन्दकेरा में विश्व ग्लोकोमा सप्ताह मनाया
राजिम । विश्व ग्लोकोमा सप्ताह कार्यक्रम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कौन्दकेरा में आयोजित किया गया। संपूर्ण अंधत्व निवारण एवं नेत्र सुरक्षा कार्यक्रम के तहत मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर गार्गी यदु के निर्देशन एवं जिला नोडल अधिकारी (अंधत्व) डॉक्टर टी. सी. पात्रे तथा खण्ड चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर विरेंद्र हिरौंदिया के मार्गदर्शन में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कौन्दकेरा के नेत्र सहायक अधिकारी वाणी आराधना साहू के द्वारा विश्व ग्लोकोमा सप्ताह का आयोजन किया गया। इसके तहत ग्राम कपसीडीह एवं तरीघाट में नेत्र परिक्षण कर लोगों को जागरुक किया। उन्होंने ग्रामीणों को ग्लोकोमा के संबंध जानकारी देते हुए बताया कि यह कार्यक्रम 12 से 18 मार्च तक जनजागरूकता अभियान के रूप में स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाया जा रहा है। ग्लोकोमा को आम भाषा में काला मोतिया (कांचियाबिंद) भी कहते हैं। यह रोग ऑप्टिक तंत्रिका (दृष्टि के लिए उत्तरदायी तंत्रिका) में गंभीर एवं निरंतर क्षति करते हुए धीरे-धीरे दृष्टि को समाप्त कर देता है। यदि समय पर इस रोग का उपचार न किया जाए तो व्यक्ति अंधा भी हो सकता है। अन्य महत्वपूर्ण कारकों में से एक कारक आंखों के दबाव का बढऩा है, लेकिन किसी व्यक्ति में आंख का सामान्य दबाव रहने पर भी मोतियाबिंद विकसित हो सकता है। काला मोतिया की पहचान यदि प्रारंभिक चरणों में कर ली जाए तो दृष्टि को कमजोर पडऩे से रोका जा सकता है। ऐसे में नियमित जांच कराएं और आंखों में होने वाले किसी भी नए बदलाव या लक्षण पर ध्यान दें। काला मोतिया एक बहुत ही खतरनाक आंखों में होने वाली बीमारी है। इसका शुरूआती लक्षण बहुत ही सामान्य होता है, जैसे नजर कम होना, सिर भौहों के आसपास दर्द होना, आंखों के चारों ओर इंद्रधनुषी रंगों का घेरा दिखना, नजदीक चश्मा नंबर का जल्दी जल्दी बढऩा, (डार्क एडाप्शन) उजाले से अंधरे में आने पर प्रकाश सामान्य होने वाला समय का बढऩा आदि प्रमुख लक्षण है। यह प्राय: 40 वर्ष के अधिक उम्र के व्यक्तियों में होता है। इस बीमारी से बचने के लिए प्रत्येक छह माह में एक बार आंखों का नेत्र परीक्षण कराना चाहिए। समय रहते बीमारी का पता चलने पर उपचार संभव है। इस अवसर पर 30 ग्रामीणों ने अपना नेत्र परीक्षण कराया तथा 10 ग्रामीणों को नजदीकी पढऩे का चश्मा नि:शुल्क वितरण किया गया। कार्यक्रम में वरिष्ठ नेत्र सहायक अधिकारी पुरुषोत्तम निर्मलकर, योगानंद चक्रधारी, नीतेश सिन्हा, वाणी आराधना साहू, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र प्रभारी विद्यावती बंजारे, भावना कोरे, विशांत नायक, रेणू दिवाकर, उमेश साहू, विनिता शर्मा, रवि विश्वकर्मा, बी. आर. चक्रधारी, अंजू मन्नाडे, गीता साहू, खिलेश्वरी वर्मा, बाबूलाल साहनी, सुरेश नागरची आदि का सहयोग रहा।