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छत्तीसगढ़

नगरपालिका अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ध्वस्त

बचेली । छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले का सबसे धनी नगर पालिका माने जाने वाली किरंदुल नगरपालिका हमेशा से ही सुर्खियों में रहता है छत्तीसगढ़ से कांग्रेस की सरकार जाते ही कांग्रेसी नगर पालिका अध्यक्ष मृणाल राय के खिलाफ उनके ही कांग्रेस के उपाध्यक्ष और पार्षदों ने भाजपा सीपीआई ,और निर्दलीय 13 पार्षदो के साथ मिलकर अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था जिसमे किरंदुल के कांग्रेस के 7 पार्षद ,भाजपा के 4 सीपीआई 1 ,निर्दलीय 1 जिसमें कांग्रेस के नपा उपाध्यक्ष बाल सिंह कश्यप, दिनेश कुमार प्रसाद, रतनी मांडवी,अशोक कश्यप, कीर्तिनी राणा,गायत्री साहू,सुरेश लीला पात्रे ,भाजपा के पार्षद शैलेंद्र सिंह,राजकुमार छालीवाल,निधि जयसवाल,रामकिशोर ,सीपीआई से भानवती नाग,निर्दलीय अब्दुल हमीद सिद्धिकी ने अविश्वास प्रस्ताव लाया था विपक्ष में 13 वोट और ना पा अध्यक्ष के पक्ष में 5 वोट थे अमृत टंडन, राजू कुंजाम ,इला पटेल , राजेंद्र राय,और स्वयं अध्यक्ष थे जिस पर दंतेवाड़ा डिप्टी कलेक्टर ने 29 जनवरी सोमवार को किरंदुल नगरपालिका में सुबह 11 बजे सम्मेलन फ्लोर टेस्ट के आदेश दिए थे समय अनुसार डिप्टी कलेक्टर सुरेंद्र ठाकुर नोडल अधिकारी के रूप में किरंदुल नगर पालिका पहुंचे उन्होंने सभी पार्षदों से बात कर वोटिंग प्रक्रिया प्रारंभ किया वोटिंग के पश्चात गिनती होने पर नगर पालिका अध्यक्ष के पक्ष में 10 वोट और विपक्ष में 8 वोट पड़े जिससे नगर पालिका अध्यक्ष मृणाल राय अपनी सत्ता बचाने में कामयाब रहे और विपक्ष के 13 वोट में से 5 वोट अध्यक्ष के पक्ष में चले गए और विपक्ष 8 वोटो पर ही सिमट रह गई किरंदूल नगर पालिका के इस घटनाक्रम में पूरे शहर वासियों की पैनी नजर थी सुबह से ही नगर पालिका परिषद में पत्रकार एवं बुद्धिजीवियों की भीड़ लगी हुई थी नगर पालिका अध्यक्ष ने अपने पक्ष में कैसे विपक्ष के 5 पार्षदों को लाया और विपक्ष में किस कारण फूट पड़ गई यहां सभी नगर वासियो में चर्चा का विषय बना रहा वही नगर पालिका अध्यक्ष मृणाल राय ने फ्लोर टेस्ट जीतने के बाद सांसद प्रतिनिधि पर पार्टी विरोधी काम करने के गंभीर आरोप लगाए
वही बागी कांग्रेसी प्रत्याशियों द्वारा पालिका अध्यक्ष के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव पूरी तरह फेल रहा। बागी कांग्रेसी पार्षद एवं विपक्ष द्वारा विगत कई दिनों से पालिका परिषद में लाये गए राजनीतिक भूचाल के बीच पालिका अध्यक्ष मृणाल राय अपनी कुर्सी बचाने में सफल रहे। बागी और विरोधी द्वारा मिलकर राजनीतिक दांव पेंच चलने के बावजूद भी वे मृणाल राय की कुर्सी को हिला नहीं सके।

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