राजिम को जिला बनाने एवं सात सूत्रीय मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
राजिम । छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के जिला गरियाबंद में 5 एवं 6 दिसंबर को संभावित दौरा भेंट मुलाकात को लेकर जिलाधीश प्रभात मलिक ने सर्व समाज के प्रतिनिधियों की आवश्यक बैठक बुलाया जिसमें सभी समाज के लोग उपस्थित हुए। साहू समाज राजिम भक्तिन माता समिति द्वारा प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम 7 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन जिलाधीश को सौंपा। साहू समाज राजिम भक्तिन माता समिति द्वारा प्रमुखता से धर्म नगरी राजिम को राजस्व जिला बनाने की मांग की। धर्म नगरी राजिम में अविलंब ही कन्या महाविद्यालय खोले जाने एवं राजिम भक्तिन माता के नाम से नगर में हाईटेक बस स्टैंड का निर्माण, नया मेला मैदान में निर्माणाधीन राजिम भक्तिन माता धर्मशाला पर आने जाने के लिए सीसी रोड का निर्माण, राजिम नगर में राजिम भक्तिन माता चौक का सौंदर्यीकरण एवं साहू छात्रावास राजिम में टीन शेड निर्माण कार्य एवं सौंदर्यीकरण निर्माण कार्य के लिए ? 35 लाख का मांग किया गया। ज्ञापन सौंपने वालों में प्रमुख रूप से छत्तीसगढ़ प्रदेश साहू संघ के उपाध्यक्ष भुनेश्वर साहू, राजिम भक्तिन माता समिति के अध्यक्ष लाला साहू, राजिम भक्तिन माता समिति के युवा प्रकोष्ठ के संयोजक योगेश साहू, निषाद समाज के युवा अध्यक्ष शरद पारकर, पटेल समाज के जिलाध्यक्ष सोमनाथ पटेल, साहू समाज के परिक्षेत्र अध्यक्ष गोपाल साहू, राजिम भक्तिन माता समिति के महासचिव सोहन साहू शामिल थे। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का भेंट मुलाकात कार्यक्रम पिछले महीने 19 नवंबर को था लेकिन किसी कारणवश वह नहीं आ पाए। उस समय लोग मानकर चल रहे थे कि कका का आगमन राजिम को जिला बनाने के लिए हो रहा है। इसलिए अंचल में बड़ी उत्साह देखी जा रही थी लोग बेसब्री से उनका इंतजार भी कर रहे थे लेकिन एकाएक 18 नवंबर को ही खबर आई कि मुख्यमंत्री का आना कैंसिल हो गया है अगली तारीख फिर से आएगी तब से लेकर फिंगेश्वर, छुरा, अभनपुर, मगरलोड ब्लाक के लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इधर जिला कलेक्टर फिर से उनके संभावित भेंट मुलाकात को लेकर तैयारियां अभी से शुरू कर दी है। कुछ लोग यह कह रहे हैं कि राजिम को जिला यदि कोई बनाएगा तो वह कका ही है। पूरे छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को कका शब्द से लोग संबोधन कर रहे हैं। बता देना जरूरी है कि राजिम धर्म नगरी है। यहां पुरातत्व विभाग के द्वारा हुए सीताबाड़ी में खुदाई से पता चला है कि राजिम में तीसरी चौथी शताब्दी में ही बस्ती बस गया था। नदी किनारे उनके अवशेष मिले हैं इनके साथ ही छत्तीसगढ़ प्रदेश के इतिहास की जानकारी भी यहां से उपलब्ध होती है। यहां कलचुरी कालीन छठवीं से लेकर चौदहवीं शताब्दी में बनाए गए मंदिर उत्कृष्ट कला नक्काशी का नमूना है। भगवान राजीव लोचन मंदिर के महामंडप एवं कुलेश्वर नाथ महादेव मंदिर के महामंडप में मौजूद शिलालेख से छत्तीसगढ़ के इतिहास समृद्ध होती है। तीन नदियों का संगम होने के कारण ऐसे प्रयाग भूमि भी कहा जाता है। तकरीबन 84 प्राचीन कालीन मंदिरों की जानकारी प्राप्त होती है।
राजिम राजनीतिक, आर्थिक, व्यापारिक तथा सांस्कृतिक रूप से विशेष महत्व रखता है। पूरे छत्तीसगढ़ सहित हिंदुस्तान में राजिम का अपना विशेष स्थान है यह प्राचीन तीर्थ नगरी होने के साथ-साथ अनेक महत्व रखे हैं। जिले की मांग पिछले 32 सालों से लगातार हो रही है यह बहुप्रतीक्षित मांग शीर्ष क्रम पर है। जैसे लोगों को पता चला है कि मुख्यमंत्री अब आने वाले हैं जिले की मांग गरमाने लगी है। आने वाले दिनों मुख्यमंत्री जिले की मांग को जरूर पूरा करेंगे लोग विश्वास बना कर इंतजार कर रहे हैं।