छत्तीसगढ़

आर्थिक तंगी के बीच छात्र ने पाई मंजिल

कसडोल । आठवीं पास किसान पिता का सपना था कि घर में कोई एक डॉक्टर होना चाहिए। वह खुद की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण ठीक से पढ़ नहीं पाए लेकिन फैसला किया कि चाहे कुछ भी हो जाए बेटे को डॉक्टर बनानी है। एक पिता के सपने को बेटे फिरेंद्र साहू ने भी गले से लगा लिया और कूद गए कंपीटीशन की दौड़ में।
साल दर साल मिलती असफलताओं के साथ पैसे की तंगी ने भी फिरेंद्र साहू की खूब परीक्षा ली। पर कहते हैं ना कि मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती, और किनारे में बैठने वालों की नैया, कभी पार नहीं होती। कुछ ऐसा ही हुआ सारंगगढ़ -बिलाईगढ़ जिले के एक छोटे से गांव पवनी के रहने वाले फिरेंद्र साहू के साथ। 12वीं के बाद नीट की तैयारी करते हुए फिरेंद्र साहू ने न सिर्फ अपनी पढ़ाई की बल्कि ड्रॉपर बैच की कोचिंग पढ़ाते हुए खुद अपने खर्च की जिम्मेदारी भी उठाई। कड़ी मेहनत और लगन की बदौलत तीन साल के ड्रॉप के बाद आखिरकर नीट क्वालीफाई करने में सफल रहे। चंदूलाल चंद्राकार मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिलते ही फिरेंद्र साहू के पिता खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं।
फिरेंद्र कहते हैं कि अगर सही तरीके से मेहनत की जाए तो एक ना एक दिन सफलता जरूर मिलती है बस जरूरत है थोड़े से धैर्य की। फिरेंद्र साहू ने आगे बताया कि हिंदी मीडियम और गांव से पढ़ाई होने के कारण मेडिकल एंट्रेंस की ज्यादा जानकारी नहीं थी। बस इतना पता था कि नीट नाम की कोई परीक्षा होती है, जिसे पास करने के बाद ही डॉक्टर बनते हैं।
किसी तरह परिवार ने पैसे जुटाकर मुझे कोचिंग के लिए भेजा, तब यहां आकर पता चला कि नीट आखिर होता क्या है। शुरुआत के दिन तो काफी मुश्किल भरे रहे …कुछ भी समझ में नहीं आता था। लगता था कि सब कुछ नया है। स्कूल में मैंने कुछ पढ़ा ही नहीं, ऐसा ख्याल बार-बार मन में आता था। कोचिंग में आकर पता चला कि अगर बेसिक ठीक से नहीं पढा़ तो आगे कुछ नहीं हो पाएगा। इसलिए जीरो से शुरुआत करके पढ़ाई शुरू की।
पहला ड्रॉप बेसिक स्ट्रांग करने में निकल गया, दूसरे ग्राफ में तैयारी करके उतरा तो असफलता मिली इसलिए मैंने बीएएमएस में एडमिशन ले लिया। यहां पढ़ाई करते हुए मैंने ड्रॉपर बैच को कोचिंग पढ़ाना शुरू किया साथ-साथ नीट की तैयारी भी करता रहा। तीसरे ड्रॉप में आखिरकर सफलता मिली, उन्होंने नीट की तैयारी करने वाले स्टूडेंट से कहा कि आपका हर सपना पूरा होगा अगर आप सोचते रहेंगे तो कुछ नहीं होगा। एनसीईआरटी की किताबों को शुरू से पढऩा चाहिए। आजकल आधे से ज्यादा सवाल तो वहीं से आते हैं, अपने आप पर भरोसा करें तभी सफलता मिलेगी।

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