मोदी का खेलों में भारत को विश्वगुरु बनाने का सपना
भारत में 2036 के ओलंपिक खेलों के आयोजन की ओर अग्रसर होते हम
जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
आमतौर पर राजनैतिक नेताओं की हर बात पर या उनके सपनों/संकल्प का भरोसा नहीं किया जाता है। कम से कम भारत के राजनीतिक परिदृश्य में यह धारणा तथ्य उभरकर आया है। 2014 के बाद से हमारे देश में प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आते ही खेलकूद के क्षेत्र में उनके विचार से उनसे कुछ अलग विचारधारा के लोग इसी भ्रम में जी रहे थे परंतु प्रधानमंत्री ने ऐसी सोच रखने वालों खेल क्षेत्र के बुद्धिजीवियों को मुंहतोड़ जवाब दिया है। स्वतंत्रता प्राप्ति के करीब 66 वर्ष बाद भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक गठबंधन की सरकार मई 2014 में जैसे ही सत्ता पर काबिज हुई प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत को खेलों की दुनिया में उनकी प्रतिभा का अनुमान लगाते हुए विश्वगुरु के काबिल कहना शुरू किया। तथा कथित आलोचकों ने इसे कपोलकल्पित सोच साबित करने की कोशिश की। प्रधानमंत्री के विचारों से असहमति रखने वालों को जैसे-जैसे समय बढ़ता जा रहा है कुछ न कुछ पश्चाताप हो रहा होगा। टोक्यो ओलंपिक 2020 में हमारे जांबाज खिलाडिय़ों ने एक ही ओलंपिक में सर्वाधिक सात पदक जीतने का कीर्तिमान बनाया जबकि 19वें एशियाई खेलों में पदकों की संख्या पहली बार 100 से पार होकर 107 तक पहुंच गई। और भारत चौथे स्थान पर रहा। इसके अलावा पैरा एशियाई खेलों में भारत के महान खिलाडय़ों ने 29 स्वर्ण, 31 रजत तथा 51 कांस्य सहित 111 मेडल झटक लिये। इसी तरह राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय प्रतिभागियों ने 61 मेडल जीते। इतना सब विवरण देने का आशय यह है कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व करने के बाद वह दिन लद गये जब राजनैतिक नेता बोलते तो बहुत कुछ थे परंतु उस पर अमल नहीं करते थे। हमारे प्रधानमंत्री ने भारत में एक नई परंपरा को आरंभ किया जब आप बोलते हैं या सोचते हैं तो उस दिशा में प्रयास आरंभ कर देना चाहिए। सफलता आज नहीं तो कल आपके कदम चूमेगी। प्रधानमंत्री ने खेलों में भारत को विश्वगुरु बनाने का सपना देखा। यह हमारे देश के युवाओं के जीवन में आमूलचूल परिवर्तन लाने का संकेत था और अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पिछले दस वर्षों के कार्यकाल में खेलकूद की स्थिति का अवलोकन करने पर स्पष्ट है कि भारत बड़ी तेजी के साथ खेलों के संसार में तहलका मचाने की स्थिति में आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने 2016-17 में जिस खेलो इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत की उससे हमारे देश के जमीनी स्तर के प्रतिभाशाली खिलाडिय़ों के चयन की शुरुआत हुई। इन्ही खिलाडिय़ों को प्रतियोगिताओं में उतारकर उनकी योग्यता को जांच गया और आज देखिए हमारा देश खेल जगत में अपनी छाप छोड़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सोच का अभी अंत नहीं हुआ है और अब उन्होंने 2036 के ओलंपिक खेलों को गुजरात में आयोजित करने के प्रयास तेज कर दिये हैं। आगामी दिनों पेरिस में 2024 के ओलंपिक खेल सम्पन्न होंगे तब भारत के खेल प्रतिभागियों का एक बार फिर से परीक्षण होगा। इस बार इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन (आईओए) ने दहाई अंक तक याने कम से कम 10 पदक जीतने का लक्ष्य रखा है वह हमारे देश के खिलाडिय़ों के लिए चुनौती है। एक तरफ प्रधानमंत्री के प्रयास तथा बजट प्रावधान से खेलकूद में भारत की विश्वस्तरीय चमक बढ़ी है दूसरी तरफ हमारे देश में उच्च स्तरीय आधुनिक प्रशिक्षण सुविधा उपलब्ध कराने की कोशिश जारी है। समय आ गया है जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपने/संकल्प को लेकर खेल के क्षेत्र में पूर्व करने के लिए खेल से जुड़े सभी लोग सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ते रहे।