https://tarunchhattisgarh.in/wp-content/uploads/2024/03/1-2.jpg
छत्तीसगढ़

पशु चिकित्सालय में नहीं होता पशुओं का इलाज

सुकमा । जी हाँ, सुकमा का पशु चिकित्सालय में भैंस के आगे बीन बजाए, भैंस खड़ी पगुराए, कहावत चरितार्थ हो रहा है। यहां अपने बीमार पशुओं का उपचार कराने आए लोग अस्पताल स्टाफ से इलाज के लिए निवेदन करते रहते हैं परंतु स्टाफ ध्यान ही नहीं देते हैं। उपसंचालक भी उनकी नहीं सुनते हैं। पशु संचालक जहरुद्दीन तो उल्टा-सीधा जवाब देते हैं। पिछले दिनों शिवप्रसाद नामक व्यक्ति के भैंस ने बच्चा दिया था।
कुम्हाररास निवासी शिवप्रसाद ने अस्पताल जाकर बताया था कि भैंस एक सप्ताह से न तो चारा खा रही है और न ही दूध दे रही है। शिवप्रसाद इंतजार करता रहा कि चिकित्सक आएंगे और भैंस का उपचार करेंगे। लेकिन आज तक डाक्टर नहीं आए हैं। अस्पताल में चार पशु चिकित्सकों की पदस्थापना है। किंतु डाक्टर गायब रहते हैं। उपसंचालक जहरुद्दीन से बात की गई तो उन्होंने लापरवाही पूर्वक जवाब देते हुए कहा कि मैं तो यहां चपरासी हूँ।
अस्पताल जाइए। अस्पताल में कोई सुनने वाला नहीं है। दरअसल ऐसा लगता है कि उप संचालक का यहां काम करने का मन नहीं है। लिहाजा उन्हें यहां से हटाकर अबूझमाड़ जैसे इलाकों में भेज देना चाहिए। उपसंचालक किसी से भी ढंग से बात नहीं करते है. यहां अस्पताल की व्यवस्था सुधारी जानी चाहिए। पशु पालक अव्यवस्था से नाराज हैं। उन्हें पशुधन का नुकसान हो रहा हैं।

Related Articles

Back to top button