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छत्तीसगढ़

चोरों के दिन बहुर रहे , हो रहे हैं मालामाल

राजिम-पाण्डुका । एडीबी प्रोजेक्ट के तहत पांडुका के चारों धाम चौक से लेकर मुंडागांव तक करोड़ों रुपए का सड़क निर्माण का कार्य लगभग पिछले पांच साल से धीमी गति से चल रहा है इसी बीच इस सड़क निर्माण में लगने वाले मिट्टी मुरूम व बोल्डर पत्थर की जुगाड़ से सड़क का निर्माण हो रहा है पिछले कुछ सालों से निर्माण कंपनी द्वारा गांव के तालाबों किसानों के वन अधिकार पट्टा के खेतों या फिर कोतवाल की सेवा भूमि की जमीन सहित किसानो के लगानी जमीनों से लाखो ट्रिप मुरम ,मिट्टी निकालकर पूरा सड़क निर्माण में खपाया गया है इसी तरह इन दिनों पांडुका वन परिक्षेत्र के सांकरा और तौरेंगा बीट के तौरेंगा जलाशय सहित जतमई मंदिर वा सड़क किनारों के आसपास भारी मात्रा में सड़क निर्माण से खोद कर निकले गए पत्थरों की तोड़ाई चल रही है निर्माण कंपनी द्वारा बिना किसी अनुमति की यह तोड़ाई किसके संरक्षण में चल रहा है यह तो सबको भली भांति पता है। पर संबंधित वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी भी इस पर चुप्पी साधे बैठे हैं तो इससे सांठ गांठ होने का बदबू उठना लाजमी है बता दे की निर्माण कंपनी द्वारा जुगाड़ से सड़क में इस तरह मुरूम मिट्टी और पत्थर का इस्तेमाल किया जा रहा है जिससे सरकार को लाखों रुपए की राजस्व की हानि अब तक हो चुकी है। ना तो इस पर राजस्व विभाग कोई कार्रवाई कर पा रहा है और ना ही खनिज विभाग और ना ही वन विभाग जिस वजह से यहां के कर्मचारियों के हौसले बुलंद है कार्यों के गुणवत्ता का तो पता नहीं पर मटेरियल की जुगाड़ से लगभग करोड़ से बनने वाले सड़क निर्माण पूरा हो रहा है ऐसे में क्या वन विभाग के संरक्षण में इस बोल्डर की तुड़ाई हो रही है । कोई न कोई ये सब जुगाड़ कर रुपया का शासन को चुना लगा रहा ये बात अलग थी कि जब कांग्रेस की सरकार थी तब कोई रोकने टोकने वाला नहीं था अब जब भाजपा की सरकार आ गई है तब भी या अवैध मिट्टी मुरूम और बोल्डर का काम निरंतर जारी है तो क्या इन्हें रोकने के लिए क्या कदम उठाएगी है ।आखिर इनको इतना संरक्षण कहा से प्राप्त है । कि उन्हें नियम कानून की जरा भी परवाह ही नहीं तो वही वन विभाग के कर्मचारियों ने अपने आलाधिकारियों को यह अवगत कराया है की नहीं ये तो वही जाने पर निर्माण कंपनी की तरबदारी से समझ आ जाता है। कायदे की बात की जाए तो वन विभाग की जंगलों के बीच सड़क निर्माण का ठेका सड़क निर्माण करने के का मिला है न की उसके मटेरियल का उपयोग करने का,, इस प्रकार कोई कार्रवाई नही होना विभागीय अधिकारियों की संरक्षण प्राप्त होगा तभी बेखौफ लाखो की संख्या में सड़क किनारे पत्थर टूटे हुए हैं जिसका उपयोग धडल्ले से सड़क निर्माण में हो रहा है।सूत्रों की माने तो वन विभाग के संरक्षण में छोटे कर्मचारियों की बल्ले बल्ले हैं।

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