https://tarunchhattisgarh.in/wp-content/uploads/2024/03/1-2.jpg
खेल – मनोरंजन

स्पर्धा के पहले होनी चाहिए पुरस्कारों की घोषणा

आकर्षि कश्यप बैडमिंटन खिलाड़ी आकर्षि कश्यप को मिला प्रतिष्ठा के अनुरूप सम्मान

– जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
माता-पिता या अभिभावक जब कभी भी अपने बच्चों के भविष्य का निर्माण करने का निश्चय लेते हैं तो उसके पीछे अन्य सभी उद्देश्य के साथ एक बड़ी उम्मीद बच्चे के जीवनयापन की गारंटी होती है। पालक अपने बच्चों को शिक्षा, खेलकूद, वादन, गायन, नृत्य, चित्रकला, हस्तकला, लेखन कला आदि के क्षेत्र में आगे बढऩे के लिए प्रोत्साहित करते हैं। उम्मीद यही रहती है कि बच्चे समय आने पर अपने पैरों में खड़े हो जाए। हमारे देश में खेलकूद की ओर से बच्चों के मन में ललक पैदा करने के प्रयास लगातार बढ़ता जा रहा है। इसकी वजह है खेलकूद में 21वीं सदी में बेहतर कैरियर का वादा किया जाना है। अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी बनना कोई आसान बात नहीं है। इसके लिए खिलाडिय़ों को अपने-अपने मैदान या खेल क्षेत्र में पसीना बहाना पड़ता है। तत्पश्चात केंद्र, राज्य सरकार, औद्योगिक घराने, सार्वजनिक उपक्रम, निजी संस्थान आदि स्थानों पर एक खिलाड़ी को सेवा में रखा जाता है। 1 नवम्बर 2000 को नवनिर्मित छत्तीसगढ़ राज्य में खेलकूद की अपार संभावना रही है। 2001 से 2022 तक प्रत्येक राष्ट्रीय खेल में हमारे प्रतिभाशाली खिलाडिय़ों ने पदक जीते। इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पिछले 22 वर्षों से छत्तीसगढ़ के प्रतिभागियों ने बास्केटबाल, व्हालीबाल, हैंडबाल, बैडमिंटन, हाकी, तलवारबाजी, कयाकिंग कैनोइंग, फुटबाल, भारोत्तोलन, एथलेटिक्स आदि ओलंपिक खेलों के अलावा गैर ओलंपिक खेलों, क्रिकेट, शतरंज, मार्शल आर्ट की विभिन्न विधाओं, शक्तितोलन, किक बाक्सिंग, सायकलपोलो,मलखंभ आदि खेलों में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। इनमें से हाकी में सबा अंजुम, रेणुका यादव, बैडमिंटन में आकर्षि कश्यप की सफलता का अब तक कोई अन्य उदाहरण नहीं है। तरुण छत्तीसगढ़ के माध्यम से ऐसे विलक्षण खेल प्रतिभाओं को उचित सम्मान दिये जाने की मांग की जाती रही है। इसका सकारात्मक परिणाम भी आये। पहले डॉ. रमन सिंह के मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल में सबा अंजुम को सीधे पुलिस उपअधीक्षक के पद पर नियुक्ति दी गई। अब आकर्षि कश्यप को भी यही सम्मान दिया गया। इसके लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से लेकर पूरा खेल तंत्र बधाई का पात्र हैं। रेणुका यादव अभी नवगठित छत्तीसगढ़ की एकमात्र खिलाड़ी हैं जिन्होंने ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में भाग लिया है। उन्हें जल्द से जल्द राजपत्रित पद पर नियुक्ति दिए जाने की बारी है। एक भेंटवार्ता में रेणुका ने बताया था कि उनके घर की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी फिर भी कम उम्र में अपनी माता जी के साथ दूसरों के घरों में काम करते हुए हाकी खेलती रही। मानवीय दृष्टिकोण से ऐसी प्रतिभाओं को तुरंत इस राज्य में शासकीय सेवा दिया जाना खेल व खिलाडिय़ों के लिए उपयुक्त होगा। एक खिलाड़ी की खेल उम्र 10 से 15 वर्ष की होती है अत: छत्तीसगढ़ प्रदेश के अन्य खेलों के खिलाडिय़ों का समय रहते कैरियर बना देना चाहिए। इससे माता-पिता, अभिभावक, प्रशंसकों, मददगारों को प्रोत्साहन मिलेगा। वैसे भी संबंधित खेल संघ के पदाधिकारियों को स्वयं होकर पदाकधारी विजेताओं के लिए आजीविका उपलब्ध कराने आगे आना चाहिए। इसके साथ ही उभरते हुए खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण, खान-पान, शिक्षा, स्वास्थ्य सब कुछ की जिम्मेदारी शासन को लेनी चाहिए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खेलो इंडिया कार्यक्रम की भांति राज्य में भी योजना शुरु किया जाना चाहिए जिसके लिए राज्य खनिज न्यास मद की राशि को आबंटित किया जा सकता है। दुर्भाग्य की बात है कि 29 अगस्त खेल दिवस के दिन दिये जाने वाले पुरस्कार, सम्मान के अलावा छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं के शुरुआत में पदक विजेताओं को नकद पुरस्कार, भूखंड, शासकीय सेवा आदि दिये जाने की घोषणा करने की परम्परा नहीं है। इसे भी आरंभ किया जाना खेल व खिलाडिय़ों के हित में होगा।

Related Articles

Back to top button