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छत्तीसगढ़

सशिमं में मनाई गई स्वामी विवेकानंद की जयंती

महासमुंद । स्थानीय भलेसर मार्ग पर स्थित सरस्वती शिशु मंदिर उमावि में राष्ट्रीय युवा दिवस एवं स्वामी विवेकानंद की जयंती मनाई गई। कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय के प्राचार्य राजश्री ठाकुर एवं प्रधानाचार्य कृष्णा चंद्राकर द्वारा मां सरस्वती, ओम, भारत माता एवं स्वामी विवेकानंद के छाया चित्र पर पुष्प अर्पण तिलक लगाकर एवं दीप प्रज्वलित कर किया गया। इस अवसर पर स्वामी के व्यक्तित्व पर अपने विचार रखते हुए विद्यालय के प्राचार्य राजश्री ठाकुर ने कहा कि सारे देवता भारत में ही जन्म लिए हैं। अनेक महापुरुष भी इसी भारत भूमि पर जन्म लिए हैं, ऐसे ही स्वामी विवेकानंद ने भारत भूमि पर जन्म लिए, ऐसे महापुरुष को मैं प्रणाम करती हूं। नैतिकता, चरित्रता हमें महापुरुषों से ही मिला है। स्वामी का एक ही ध्येय वाक्य था नर सेवा ही नारायण सेवा है। अर्थात मनुष्यों की सेवा करना ही देवता की सेवा करना है। स्वामी विवेकानंद गरीब, असहाय लोगों की सेवा करते थे। उन्होंने कहा था, गर्व से कहो हम हिंदू हैं। जब विवेकानंद एक बार विदेश शिकागो गए थे तब उनको उद्बोधन के लिए बुलाया गया उस समय उन्होंने भाइयों एवं बहनों कह कर सभा को संबोधित किया। भारत के दक्षिण में कन्याकुमारी में स्वामी विवेकानंद का बहुत बड़ा स्मारक है। यह समुद्र के बीच बना है, यहां जाने से स्वामी विवेकानंद के होने का एहसास होता है। इसके पश्चात विद्यालय के प्रधानाचार्य कृष्णा चंद्राकर ने उद्बोधन में कहा कि स्वामी विवेकानंद कहते थे, नर सेवा ही नारायण सेवा है। अर्थात मनुष्यों की सेवा करना ही भगवान की सेवा करने के समान है। उन्होंने अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा करते हुए एवं राष्ट्र के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया एवं कम उम्र में ही इस दुनिया को अलविदा कह गए। इस अवसर पर विद्यालय के दीदी आचार्य एवं विद्यालय के विद्यार्थियों ने भी स्वामी के ऊपर अपने विचार रखे। जिसमें आचार्या मोनल साहू ने कहा कि स्वामी विवेकानंद को एक बार एक महिला उनके पास आई और उनसे विवाह करने का प्रस्ताव रखा, तब स्वामी ने उस महिला से पूछा आप मुझसे विवाह क्यों करना चाहते हो, तो उस महिला ने जो जवाब दिया आपसे विवाह करके मैं आपके जैसा ही 1 पुत्र जन्म देकर मां बनना चाहती हूं। तब स्वामी का जवाब था, आप मेरी मां बनकर मुझे ही अपना बेटा बना लो। आचार्य तुलसी राम पटेल ने अपने विचार रखते हुए कहा कि विवेकानंद शिकागो में भाइयों एवं बहनों का कर सभा को संबोधित किया, तब वहां तालियों से सभा गूंज उठीए उनके इस वाक्य से सभी लोग बहुत ही प्रभावित हुए। विद्यालय की छात्रा ओजस्वी द्विवेदी ने अपने विचार रखें। संचालन विद्यालय के वरिष्ठ आचार्य मनोज साहू ने किया।

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