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छत्तीसगढ़

नगर पालिका की मनमानी का शिकार बना बस स्टैंड

संतोष चौहान
दंतेवाड़ा । नगर पालिका दंतेवाड़ा नित नए कारनामे के लिए हमेशा चर्चा में छाई रहती है। नपा में नए निर्वाचित अध्यक्ष एवं पार्षदों का शपथ भले ही हो गया हो मगर आज भी नगर में कई समस्याएंं विद्यमान है जिसका समाधान सालों से नहीं हुआ है। जिसमें सबसे प्रमुख है दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय में स्थित बस स्टेंड का मुद्दा। भाजपा के ही शासनकाल मेंं बस्तर महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव के नाम पर रखा गया दंतेवाड़ा बस स्टेंड आज अपना अस्तित्व खो चुका है। स्टेंड की शक्ल सूरत बदल कर इसे व्यवसायिक परिसर में कोई और नहीं बल्कि नगर पालिका ने ही तब्दील कर दिया है। पूरे बस स्टेंड परिसर मेें नगर पालिका का एक प्रकार से कब्जा सा हो चुका है। नपा अपने फायदे के लिए बिना कोई ठोस कार्ययोजना के अचानक से बस स्टेंड परिसर के अंदर जहां यात्री प्रतिक्षालय हुआ करती थी उस स्थल पर बिना निविदा जारी किए एक दो नहीं बल्कि चार-चार दुकानों का निर्माण कर देती है और फिर उन दुकानों को आबंटन नियम का पालन किए बिना ही चहेतों को बंाट देती है। हद तो तब हो गई जब एक व्यक्ति के नाम दो दुकान आबंटन कर दिए जाते हैं और कानोकान इसका किसी को खबर भी नहीं होता।
बस्तर महाराजा के नाम पर रखा गया प्रवीर चंद्र भंजदेव बस स्टेंड आज अपना अस्तित्व खो चुका है। दंतेवाड़ा बस स्टेंड की दुदर्शा का जिम्मेदार कोई और नहीं बल्कि स्वयं नगर पालिका परिषद दंतेवाड़ा ही है। भाजपा बस्तर महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव के नाम का भी सम्मान नहीं रख पाई। एक तरह से कहें तो दंतेवाड़ा का प्रवीर चंद्र भंजदेव बस स्टेंड पर नगर पालिका का अघोषित कब्जा सा हो चुका है तो गलत नहीं होगा। बस स्टेंड में कहीं भी बस्तर महाराजा के नाम का बोर्ड नजर नहीं आता जो दशकोंं पूर्व दिखाई पड़ता था। स्टेंड परिसर के अंदर की जगह पर जहां कभी यात्री बैठकर बसों का इंतजार किया करते थे यात्री प्रतिक्षालय हुआ करती थी आज उन जगहों पर पक्की शटरवाली दुकानें बन गई हैं। स्टेंंड परिसर को घेरकर यहां चाय नाश्ते की दुकानें संचालित की जा रही है। यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि दंतेवाड़ा जिला बस स्टेंड विहीन जिला की श्रेणी में आ गया है। बस स्टेंड परिसर में जगह नहीं होने से यात्रियों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है आलम यह कि यात्रियों को मुख्य सड़क पर खड़े रहकर बसों का इंतजार करना पड़ता है। पूरे बस स्टेंड परिसर में एक अदद पीने का साफ स्वच्छ पानी तक का इंतजाम नहीं है। नये शौचालय बनाने के नाम पर पुराने शौचालय को डिस्मेंटल किए महिनों बीत गया है अब तक नये शौचालय का भी निर्माण नहीं हुआ है यात्रियों को खासकर महिलाओं को शौचालय नहीं होने से खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बस स्टेंड की ऐसी दुदर्शा का आखिर जिम्मेदार कौन है? यहां एक और भी विषय का उल्लेख बेहद आवश्यक हो जाता है जिसका जिक्र होना जरूरी है। ज्ञात हो कि बस स्टेंड के ठीक एक ओर नगर पालिका द्वारा एक काम्प्लेक्स का निर्माण करीब दो दशक पूर्व में किया गया था जिसमें 5 दुकानें निर्मित थी इन दुकानों को नगर पालिका 30 वर्षो के लिए लीज पर व्यापारियों को दी थी। 20 वर्ष का समय गुजर चुका था 10 वर्ष का लीज अब भी बचा हुआ था इसी बीच उक्त भूमि को शासन ने किसी और पार्टी को दे दिया जिसके बाद उस काम्पलेक्स से दुकानदारों को दुकान खाली करना पड़ा। कायदे से इनका लीज बचा हुआ था इसलिए बस स्टेंड में नगर पालिका द्वारा तैयार किए गए 5 दुकानों को प्राथमिकता क्रम में रखते हुए उन व्यापारियों को दिया जाना चाहिए था जिन्हें पालिका की दुकान से हटाया गया था। मगर ऐसा नहीं किया गया। पीडि़त दुकानदारों की सुध न लेते हुए नगर पालिका ने बस स्टेंड में निर्मित 4 दुकानों को चहेतों को बैक डोर से दे दिया और तर्क दिया कि जिन लोगों ने दुकानों के लिए आवेदन किया था उन्हें दुकान दिया गया है। पीडि़त दुकानदारों का कहना है कि उन्हें इस बात की जानकारी ही नहीं दी गई कि बस स्टेंड में बने दुकानों के लिए आवेदन लिया जा रहा है। दुकान आबंटन के लिए भी पालिका की ओर कोई सूचना जारी नहीं किया गया था। पिछले कार्यकाल में नगर पालिका की अध्यक्ष पायल गुप्ता ही थी। नए कार्यकाल में भी दुसरी बार बतौर अध्यक्ष निर्वाचित हुई है। क्या अध्यक्ष होने के नाते उनकी यह नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती थी कि वे उन व्यापारियों के हक में खड़ी होती जिन्हें दुकान से वंचित किया गया था। निश्चित तौर पर उनके साथ उन्हें खड़ा होना चाहिए था जिनकी चलती चलाती दुकान खाली करवा दी गई। मगर ऐसा नहीं हुआ। आज भले ही पायल गुप्ता भाजपा की कमल रूपी नाव में सवार होकर दुसरी बार निर्वाचित हो गई हो मगर उन व्यापारियों का दर्द जिन्हें दुकान से वंचित किया गया था आज भी कम नहीं हुआ है । अब तक पालिका ने उनकी कोई सुध नहीं ली है और आज भी वे व्यापारी दुकान पाने भटक रहे हैं। नगर पालिका ने बस स्टेंड में निर्मित दुकान के आबंटन में नियमों का पालन नहीं किया था और मनमानी तरीके से चहेतों को दुकान बांट दिया था यह एक अकाट्य सच्चाई है जिससे कोई इनकार नहीं कर सकता। बीते कार्यकाल में पालिका द्वारा किए गए इस भ्रष्टाचार में पालिका पदाधिकारी एवं तात्कालिन सीएमओ पवन मेरिया पूरी तरह से जिम्मेदार हैं। बीता कार्यकाल पालिका परिषद दंतेवाड़ा का एक काला अध्याय के रूप में याद किया जाएगा।

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