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ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा अब विश्व के नंबर एक भालाफेंक एथलीट

– जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
हमारे देश की अंतर्राष्ट्रीय स्तर की उपलब्धि को लेकर कई तरह के सवाल खेल मीडिया में खड़े किये जाते हैं। भारत की आबादी 24 अप्रैल 2023 के पश्चात दुनिया में सबसे अधिक हो गई है। प्रश्न यही पूछा जाता है कि भारतीय खिलाडिय़ों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर या किसी खेल के विश्व कप स्पर्धा में क्या कमाल किया है? आखिर कारण क्या है कुछ गिने-चुने खिलाड़ी ही ओलंपिक या नान ओलंपिक खेलों में पदक प्राप्त कर सके हैं? सरकार उनके प्रशिक्षण खेल अधोसंरचना के निर्माण के लिए क्या-क्या कदम उठा रही है आदि। ठीक है मीडिया द्वारा या पूर्व खिलाडिय़ों द्वारा इस तरह के मुद्दे उछालना कोई गलत बात नहीं है क्योंकि इससे विश्व स्तरीय खिलाड़ी तैयार करने में, कमी को दूर करने का अवसर मिलता है। दुख तो तब होता है जब हमारे खिलाड़ी जब विश्वस्तरीय अनूठा कीर्तिमान स्थापित करते हैं और मीडिया द्वारा उनकी उपलब्धि को इलेक्ट्रानिक प्रिंट, यू-यूट्यूब, फेसबुक, ट्यूटर आदि माध्यम के द्वारा अपेक्षाकृत प्रचार-प्रसार नहीं मिलता है। अभी हाल ही में भारत के भालाफेंक के खिलाड़ी और 2020 टोक्यो ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा ने अपने जूझारूपन, मेहनत के दम पर भालाफेंक के विश्व वरीयता में पहला स्थान हासिल किया है। क्रिकेट, कबड्डी जैसे टीम खेलों के नान ओलंपिक वर्ग में प्रथम स्थान प्राप्त करना अगर बड़ी बात है तो ओलंपिक खेलों के अंतर्गत एथलेटिक्स के एकल भालाफेंक स्पर्धा में प्रथम वरीयता प्राप्त करना उससे भी बड़ी बात है। पर बताइए भला आज नीरज चोपड़ा की अद्वितीय सफलता पर समस्त खेल मीडिया की भूमिका कहीं नजर नहीं आ रही है। क्रिकेट और राजनीति ऐसे दो विषय हैं जिन पर चर्चा के कारण नीरज चोपड़ा की उपलब्धि दब कर रह गई है। खेल मीडिया में दूसरे खेलों पर चर्चा के खिलाफ नहीं हूं लेकिन जब एक भारतीय एथलीट को किसी व्यक्तिगत खेल में दुनिया का बादशाह घोषित किया जाता है तो उनका सम्मान हमें उसी दृष्टि से करना चाहिए। भारत के महान एथलीट नीरज चोपड़ा ने इस ऊंचाईयों तक पहुंचने के लिए त्याग, परिश्रम, अनुशासन, संयम का जो उदाहरण प्रस्तुत किया है उसके लिए प्रत्येक भारतीय को गर्व है। 24 दिसंबर 1997 को पानीपत, हरियाणा में जन्में नीरज चोपड़ा 2016 से भालाफेंक प्रतियोगिता में निरंतर भाग ले रहे हैं। नीरज को उनकी अब तक की कामयाबी के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया है। वर्तमान में वे भारत की सेना राजपूताना राइफल्स में सूबेदार के पद पर कार्यरत हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में केंद्रीय खेल विभाग, भारतीय खेल प्राधिकरण के माध्यम से नीरज चोपड़ा को प्रशिक्षण, विदेशी दौरे, अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धा में भाग लेने के लिए आर्थिक मदद व अन्य सभी व्यवस्था की जा रही है। नीरज ने 2016 से लेकर अब तक अपने प्रदर्शन से किसी को निराश नहीं किया है। संसार की प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में भाग लेने की उनकी हिम्मत ने उनके खेल कीर्तिमान में लगातार सुधार लाया है। विगत 6 मई को दोहा में सम्पन्न डायमंड लीग में 88.87 की दूरी तक उन्होंने भाला फेंका। 2022 में डायमंड लीग में 89.63 मीटर दूरी तक उन्होंने भाला फेंका था। इस तरह नीरज ने अब तक किसी को निराश नहीं किया है। वे एरेना में लगातार पसीना बहाकर अपनी श्रेष्ठता को साबित कर रहे हैं। ऐसे एथलीट को दिल से उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं देना चाहिए। खेल मीडिया से जुड़े समस्त साथियों को निष्पक्षता से नीरज चोपड़ा की उपलब्धि को प्रचारित-प्रसारित करना चाहिए। इससे न सिर्फ भारत के उभरते हुए खिलाडिय़ों को प्रेरणा मिलेगी बल्कि 2024 के पेरिस ओलंपिक में फिर से पदक हासिल करने के लिए नीरज का मनोबल बढ़ेगा।

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