छत्तीसगढ़

सामाजिक कार्यकर्ता डॉ बुधरी ताती कर्वे संस्था के बाया कर्वे राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित

गीदम । महर्षी कर्वे स्त्री शिक्षण संस्था पुणे के द्वारा प्रति वर्ष राष्ट्रीय स्तर पर बाया कर्वे पुरस्कार दिया जाता हैं। इस वर्ष यह पुरुस्कार छत्तीसगढ राज्य के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में महिला सशक्तीकरण का कार्य करनेवाली सामाजिक कार्यकर्ता डॉ बुधरी ताती को महाराष्ट्र के सामाजिक कार्यकर्ता गिरीश प्रभुणे के हाथों प्रदान किया गया। संस्था के विस्तार में अमूल्य योगदान देनेवाली महर्षी कर्वेजी की धर्मपत्नी स्व आनंदीबाई तथा बाया कर्वे जी के नाम पर यह पुरस्कार दिया जाता है। इस पुरस्कार का यह 27वां वर्ष है। संस्था के कार्याध्यक्ष रवींद्र देव ने कार्यक्रम की रूप रेखा प्रस्तुत की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आये पुनरुत्थान समरसता गुरुकुल के संस्थापक अध्यक्ष पद्मश्री गिरीश प्रभुणे का औपचारिक स्वागत संस्था के कार्याध्यक्ष रवींद्र देव ने किया। इस वर्ष बाया कर्वे पुरस्कारार्थी का चयन राष्ट्र सेविका समिती की अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख पौर्णिमा शर्मा, महाराष्ट्र एज्युकेशन सोसायटी के सहसचिव सुधीर गाडे और कर्वे संस्था की अध्यक्षा स्मिता घैसास इनकी त्रिसदस्यीय समिती के द्वारा हुआ। संस्था की उपाध्यक्षा स्मिता कुलकर्णी ने इस चयन समिती का परिचय सबको दिया और सदस्यों को सम्मानित किया। श्रीमती पौर्णिमा शर्मा ने पुरस्कारार्थी चयन प्रक्रिया के बारे मे जानकारी दी और चयनीत पुरस्कारार्थी डॉ बुधरी ताती का परिचय सबको दिया, जिसके बाद बुधरी ताती के जीवनकार्य पर आधारित एक चित्र फि़ल्म दर्शकों को दिखाई गयी। इसके उपरांत कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सामाजिक कार्यकर्ता गिरीश प्रभुणे तथा स्मिता घैसास के हाथों डॉ बुधरी ताती को वर्ष 2022 का बाया कर्वे पुरस्कार प्रदान किया गया। इस दौरान डॉ बुधरी ताती ने कहा कि महर्षी कर्वे की पुण्यभूमी में बाया कर्वे जैसी समर्पित और कर्तृत्ववान स्त्री के नाम से इस पुरस्कार को प्राप्त करना मेरे लिए गौरव का विषय है।
गौरतलब है कि डॉ बुधरी ताती ने 15 वर्ष की अल्प आयु में ही अपने समाज के लिए जीवन समर्पित करने की शपथ लेकर राष्ट्र सेविका समिती के माध्यम से प्रशिक्षित होकर उन्होंने बस्तर, दंतेवाड़ा के आदिवासी क्षेत्र में अपना कार्य आरंभ किया।
लगभग 400 गाव में पैदल भ्रमण कर, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने हेतु सिलाई, बुनाई, कुटीर उद्योग के प्रशिक्षण की रचना, घरों घरों में आरोग्यप्रसार हेतु लगातार अथक परिश्रम किया। उन्होंने कहा कि हमारे पास धन नहीं था, परंतु संवेदना थी और उसी बल पर हम कार्य को बढ़ाते गये। उन्होंने कहा कि आज जब समाज में प्रतिष्ठित स्थानों पर विराजित उनके विद्यार्थी हम जो भी है, दीदी की वजह से ऐसा बताते है तब मिलनेवाला आनंद शब्दों में कथन करना कठिन है। कार्यक्रम में आभार प्रदर्शन संस्था के सचिव डॉ पी व्ही एस शास्त्री ने किया तथा व्हिजन इंग्लिश स्कूल की सुवर्णा तांबे ने कार्यक्रम का संचालन किया। वंदे मातरम के गायन से इस समारोह का समापन हुआ । 

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