जैसे घी कभी दूध नहीं बन सकता वैसे ही जिनका निर्वाण हो गया उनका जन्म नहीं होता : मुनिश्री
तिल्दा-नेवरा । धर्म नगरी तिल्दा नेवरा में आयोजित श्रीमज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक जिनबिंब प्रतिष्ठा महोत्सव के अंतिम दिन आदि तीर्थंकर भगवान आदिनाथ स्वामी को तपस्या करते हुए कैलास पर्वत अष्टापद से मोक्ष प्राप्त होने के बाद पूज्य निर्यापक श्रमण मुनिश्री प्रसाद सागर जी मुनिराज ने अपने अनमोल वचनों में कहा कि जिस प्रकार दूध से दही मठा मक्खन बनाने के बाद घी बनाया जाता है लेकिन घी बनने के बाद उसे दूध नहीं बनाया जा सकता ठीक उसी तरह तीर्थंकरों का जीव ओर जो महान आत्माएं कठिन तपस्या करते हुए मोक्ष को प्राप्त करती हैं उनका जन्म नहीं होता जिनका निर्वाण हो गया वह फिर जन्म नहीं लेते।
श्रीमज्जिनेन्द्र पंच कल्याणक में आज तिल्दा नेवरा की पावन पवित्र धरा से भगवान आदिनाथ स्वामी को पंचकल्याणक के अंतिम दिवस मोक्ष कल्याणक में मोक्ष की प्राप्ति हुई। पूज्य मुनिश्री ने कहा जैन दर्शन कहता है एक बार जो घी बन गया वो दूध नहीं बन सकता इसी तरह निर्वाण प्राप्त करने वाले जीव का जन्म नहीं होता अवतार नहीं होता। जैन दर्शन में इसी तरह अवतार नहीं होते जो मोक्ष प्राप्त कर लिए जिनका निर्वाण हो गया वह कभी जन्म नहीं लेते वह जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो चुके हैं पूज्य मुनि प्रसाद सागर जी ने आगे कहा भरत चक्रवर्ती ने आदि तीर्थंकर प्रभु को मोक्ष प्राप्त होने के बाद कैलास पर्वत पर सोने के मन्दिर बनवाये तिल्दा नेवरा की समाज ने पीले स्वर्ण रूपी भव्य जिनालय का निर्माण कराया ओर समाज धन्य हो गयी उन्होंने कहा कि भगवान की पूजन भक्ति से कर्मो का नाश होता है।