जिले के 132 राशन दुकानों में 13 हजार 500 क्विंटल राशन की कमी
देवभोग । जिले के 132 राशन दुकानों में 13 हजार 500 किवंटल राशन की कमी पाई गई है। पहले जिले के 354 राशन दुकानों में यह कमी 17 हजार किवंटल था, इस दौरान तकनीकी समस्या के कारण खाद्यान की कमी प्रदर्शित हो रही थी, जिसमें त्रुटि सुधार की कार्रवाई की गई। इस दौरान 222 राशन दुकानों में खाद्यान की कमी की समस्या दूर हो गई, जबकि अभी भी जिले के मैनपुर ब्लॉक के 70 उचित मूल्य की दुकान, देवभोग के 54 दुकान और छुरा के 8 दुकानों में ऑनलाइन रिकॉर्ड के मुताबिक राशन दुकानों में राशन नहीं दिख रहा है। मामले की ज्यादा जानकारी देते हुए जिले के खाद्य अधिकारी सुधीर गुरु ने बताया कि शासन से निर्देश प्राप्त हुआ था कि जिले के सभी राशन दुकानों के स्टॉक का भौतिक सत्यापन करना है। इसी आधार पर टीम बनाकर ऑनलाइन रिकॉर्ड के मुताबिक जिले के सभी ब्लॉक के राशन दुकानों के स्टॉक का भौतिक सत्यापन करवाया गया। गुरु ने बताया कि शुरुवात में यह कमी जिले के 354 राशन दुकानों में 17 हजार किवंटल था, इस दौरान तकनीकी समस्या के कारण खाद्यान की कमी दिख भी रहा था, ज़ब इसमें त्रुटि सुधार की कार्रवाई की गई, तो 222 दुकानों में खाद्यान की कमी दूर हो गई। जबकि 132 राशन दुकानों में अभी भी 13 हजार 500 किवंटल की कमी पाई गई है। इन सभी राशन दुकान के संचालकों से वसूली की कार्रवाई के लिए आरआरसी के तहत पत्र तहसीलदार को भेजा गया है, तहसीलदार इसमें आरआरसी के तहत वसूली करेंगे। जिला खाद्य अधिकारी ने बताया कि भौतिक सत्यापन में कम पाए गए राशन की अनुमानित क़ीमत लगभग 3 करोड़ रूपये के आसपास है।
त्रुटि के कारण दिख रहा बकाया : छत्तीसगढ़ राशन दुकान कल्याण संघ के जिला मीडिया प्रभारी और देवभोग ब्लॉक अध्यक्ष सचिन टांडिया ने इस कार्रवाई को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि एनआईसी के डाटाबेस में जो बकाया दिख रहा है, वह त्रुटिपूर्ण है। सचिन के मुताबिक शासन ने जो भौतिक सत्यापन करवाया है, उसके मुताबिक हमारे राशन दुकानों में ऑनलाइन के मुताबिक राशन की कमी है। यदि हमारे दुकानों में वर्ष 2016 से अब तक राशन की कमी थी, तो हर महीने हमें आबंटन कैसे मिलता रहा। हमने सभी हितग्राहियों को राशन दिया है। इसके बावजूद एनआईसी के डाटा बेस में बकाया दिख रहा है। सचिन ने कहा कि 2016-17 में ज़ब हम इस क्षेत्र में राशन वितरण का काम करते थे, इस दौरान यहां सिर्फ 2जी नेटवर्क की व्यवस्था थी, वो भी ब्लॉक के सीमित क्षेत्र तक। हम उस दौरान चावल का ऑफलाइन वितरण करते थे। और ज़ब अपलोड करने की बारी आती थी, तो हम ओडि़सा जाकर बड़े मुश्किलों के बीच अपलोड किया करते थे। इतना करने के बाद भी सारा दोष विक्रेताओं पर मढ़ा जा रहा है। हम इस कार्रवाई का विरोध करते है। जल्द ही हम न्याय के लिए कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाएंगे।
मामले में तहसीलदार जयंत पटले ने कहा कि प्रकरण दजऱ् कर लिया गया है, जल्द ही वसूली की कार्रवाई शुरू करेंगे।