चाय का नुकसान बता रहे हैं शराब बेचने वाले
फिंगेश्वर । पंचकोशी धाम फिंगेश्वर के फणिकेश्वर नाथ महादेव मंदिर प्रांगण पर जिला रत्नांचल साहित्य परिषद गरियाबंद की काव्य गोष्ठी संपन्न हुई । उपस्थित समस्त कवियों ने सर्वप्रथम महादेव की पूजा अर्चना की तथा हर हर महादेव का उच्चारण किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कवि नूतन लाल साहू थे। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि कवि की कल्पना जीवन को ऊंचाइयां प्रदान करती है। दो शब्द लिखने के लिए भी बड़ी मेहनत करनी पड़ती है। कोई ऐसे ही कवि नहीं कहलाता है। रत्नांचल साहित्य परिषद काव्य गोष्ठी के माध्यम से कवियों को मंच प्रदान कर रही है इससे साहित्य समृद्ध होगी और रचनाकार को बल मिलेगा। उन्होंने छत्तीसगढ़ी में गीत प्रस्तुत कर रंग जमा दिया। गजल पेश करते हुए शहर के कवि कुमेश किरणबेर ने कहा कि अच्छाई के देर में भी खराब देखने वाले, चाय का नुकसान बता रहे हैं शराब बेचने वाले। अध्यक्षता कर रहे रत्नांचल जिला साहित्य परिषद के अध्यक्ष शायर जितेंद्र सुकुमार साहिर ने जोरदार गज़़ल देकर माहौल में चार चांद लगा दिया। देखिए-मुझसे वो मिलने आया था इतवार देखकर, फिर लौट आया घर मुझे बीमार देखकर। करने लगा है बात सियासत की वो बहुत, लगता है आज फिर आया है अख़बार देखकर ने खूब तालियां बटोरी । मंच संचालक एवं गीतकार प्रदीप कुंवरदादा ने बसंत ऋतु को अपनी पंक्ति में उकेरा। प्रस्तुत है कुछ अंश-औरों के लिए कैसे भी हो, मेरे लिए वह खास है। पतझड़ रूपी दुनिया में, वह बसंत का एहसास है। कवि एवं साहित्यकार संतोष कुमार सोनकर मंडल नई कविता की शानदार प्रस्तुति दी। उन्होंने जीवन के रंग का एहसास करते हुए कहा कि-बुढ़ापा जब सताता है, प्रत्येक इच्छा खुद से छूट जाता है, जवानी के स्मरण में, सारा समय गंवाकर, मृत्यु के आगोश में समा जाता है, क्या यही जीवन का आलम है, धर्म परोपकार को छोड़, स्वयं का पालन है, यदि इसी का नाम जिंदगी है तो, मनुष्यता के वरदान का क्या मकसद।
फनेंद्र साहू की रचनाएं वर्तमान परिवेश पर करारा व्यंग्य कसा-उसने अपने होठों से दरिया के पानी को गुलाबी कर दिया। हमारी तो बात ही छोड़ो दोस्तों, उसने वहां की मछलियों को भी शराबी कर दिया। पांडुका के पुरुषोत्तम चक्रधारी ने छत्तीसगढ़ी में जोरदार कविता पढ़ी-नोनी खेलय फुगड़ी खो खो,बाबु खेलय बांटी। डोकरा बबा दउड़त हे,अमली फरय चिल्लाटी। जामगांव के कवि संतोष कुमार साहू ने गजल की पंक्ति देते हुए कहा कि-पका बाल रंगा के, सुंदर भले हो। नहीं पहले जैसी खबर धीरे-धीरे। जपो हरि को अब तो सहारा यही है। सुबह शाम भजन हर पहर धीरे-धीरे। आभार प्रकट समिति के कोषाध्यक्ष पुरुषोत्तम चक्रधारी ने किया।