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अब ओलंपिक में लक्ष्य पर साधना होगा तीर

तीरंदाजी: पेरिस में आयोजित 2023 के तीसरे चरण के विश्व स्पर्धा में दीपिका को मिले तीन स्वर्ण अब ओलंपिक में लक्ष्य पर साधना होगा तीर

जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
एक खिलाड़ी का लक्ष्य विश्व स्तर पर शानदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक हासिल करना होना चाहिए। इससे स्वयं की तैयारी का आकलन होता है, साथ ही साथ अपने देश का नाम रौशन करने की उम्मीद बढ़ती है। भारत की तीरंदाज दीपिका कुमारी ने गत दिनों एक ऐसी उपलब्धि हासिल करके भारत को गौरवान्वित किया है। माना जाता है कि तीरंदाजी को भारत के सबसे पुराने खेलों में एक माना जाता है। खुले आकाश के नीचे भारत के सबसे पुराने खेलों में एक तीरंदाजी की लोकप्रियता 20वीं के अंतिम दो दशकों से बढऩे लगी है। आधुनिक ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में इसका समावेश पेरिस 1900 में 3 देशों के 153 प्रतिभागियों के साथ आरंभ हुआ। इसमें सिर्फ पुरुष वर्ग में मुकाबले हुए जिसमें 7 इवेंट शामिल थे। फिर 1904 में संयुक्त राज्य अमेरिका के सेंट लुईस में सिर्फ एक यूएस के 29 तीरंदाजों ने 3 महिला व 3 पुरुष वर्ग में 6 इवेंट में भाग लिया। बाद में एंटवर्प 1920 में 3 देशों के 30 तीरंदाज शामिल हुए। तीरंदाजी में दिलचस्पी को कम देखते हुए इसे ओलंपिक खेल कार्यक्रम से हटा दिया गया। फिर 1972 में तीरंदाजी को एक खेल के रूप में पुन: मौका मिला। जो आज तक जारी है। 2020 के टोक्यो ओलंपिक खेलों में 51 देशों के 128 तीरंदाजों ने किस्मत आजमाया। इसी तरह अब यह खेल प्रत्येक महाद्वीपीय स्पर्धा, राष्ट्रमण्डल खेलों में शामिल किया जाता है। भारत की तीरंदाजी टीम ने 1988 से पुरुष वर्ग में भाग लेना आरंभ किया जिसमें लिंबाराम, एल छांगटे व्यक्तिगत इवेंट में जबकि धूलचंद डामोर, एल छांगटे तथा लिंबाराम पुरुष टीम इवेंट में शामिल हुए। भारत की महिला तीरंदाजों में से डोला बेनर्जी, रीना कुमारी ने 2004 एथेंस ओलंपिक में पहली बार महिला वर्ग के व्यक्तिगत जबकि इन दनों के साथ सुमंगला शर्मा ने टीम इवेंट में निशाना लगाया। इसके बाद 2020 तक लगातार भारत के पुरुष व महिला तीरंदाज ओलंपिक खेलों में भाग ले रहे हैं। दीपिका कुमार ने सिर्फ 15 वर्ष की उम्र से लक्ष्य पर निशाना साधना शुरू किया और पिछले 18 वर्षों से निरंतर विश्व तीरंदाजी में भारत का प्रतिनिधित्व कर रही है। दीपिका कुमारी ने भले ही साधारण परिवार में जन्म लिया लेकिन तीरंदाजी के प्रति समर्पण की वजह से लगातार भारतीय टीम की सदस्या बनी हुई है। 2012 के लंदन ओलंपिक खेलों में उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया और 2016 के रिया द जेनेरियो तथा 2020 के टोक्यो ओलंपिक खेलों में लागातार तीन बार भाग लेने की वजह से उनके हौसले बुलंद है। दीपिका को विश्व में रिकर्व इवेंट में फिलहाल दूसरी वरीयता प्राप्त है। विश्व स्पर्धा, एशियन चैंपियनशिप, राष्ट्रमण्डल खेल आदि को मिलकर 2010 से लेकर अब तक उन्होंने 7 स्वर्ण, 4 रजत, 4 कांस्य पदक पर टीम इवेंट पर या व्यक्ति प्रतियोगिता में कब्जा जमाया है। पेरिस के विश्व चैंपियनशिप में जिस तरह दीपिका ने तीन स्वर्ण पदक पर निशाना साधा है अब उम्मीद है कि 2024 के पेरिस ओलंपिक खेलों में वे कमाल का प्रदर्शन करेंगी। अब तक एशियाई खेल हो या ओलंपिक दोनों ही स्पर्धा में दीपिका का निशाना अंतिम समय में चूक जाता रहा है। परंतु जब जबकि वह 29 वर्ष की हो चुकी है उनके पास संघर्ष का लंबे समय तक का अनुभव है तो बार-बार वही गलती नहीं करने की उम्मीद भारत का प्रत्येक खेलप्रेमी कर रहा है। उल्लेखनीय हे कि भारत के प्रसिद्ध तीरंदाज अतानु दास से विवाह के पश्चात भी उनके प्रदर्शन में कोई अंतर नहीं आया है। इस दृष्टि से दीपिका से 2024 के ओलंपिक खेलों, 2023 के एशियाई खेलों में अविस्मरणीय प्रदर्शन की उम्मीद की जा सकती है। एक तीरंदाज सफलता के लिए मौसम, वातावरण का साथ देना भी भाग्य की बात होती है। परस्थिति चाहे जो भी हो दीपिका की चमक से भारत की अद्भुत उपलब्धि हो सकती है। सफलता में अब कोई बाधा नहीं आयेगी, हम यही उम्मीद करते हैं।

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