खिलाडिय़ों के लिए और अधिक धन राशि का आबंटन जरूरी
केंद्रीय बजट 2024-25, खेलकूद के लिए नियमों में व्यापक संशोधन होना चाहिए
जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 2014 से लेकर अब तक पिछले लगभग दस वर्षों के कार्यकाल में जिस तरह भारत में खेलकूद के क्षेत्र में सफलता मिली उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम ही है। हमारे देश में समस्याओं की कोई कमी नहीं है। देश की सुरक्षा, सड़क के निर्माण, पेयजल, आवास, विज्ञान, खाद्यान्न, स्वास्थ्य, शिक्षा, खेल, संचार आदि क्षेत्रों में समस्याओं का अंबार है। आजादी मिलने के उपरांत इस दिशा में बहुत कोशिश हुई। शून्य से उपर उठे और अब तक विकास का लंबा सफर तय कर लिया है। हमारे देश में जनसंख्या वृद्धि भी एक गंभीर समस्या है जिसकी वजह से केंद्र या राज्य की नीतियां दब कर रह जाती है। हमारे देश में 2014 के बाद बाद से खेल व खिलाड़ी संबंधी योजनाओं में क्रांतिकारी कदम उठाये गये हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल में भारत ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी छाप छोडऩी शुरू की है। भारत को खेलों की दुनिया में विश्व गुरु बनाने के प्रधानमंत्री की कल्पना को साकार करने के लिए बड़ी धनराशि की आवश्यकता है। 2014 से अब तक केंद्रीय खेल विभाग के बजट में लगभग तीन गुना से अधिक राशि की बढ़ोतरी की जा चुकी है। 2029 में यूथ ओलंपिक और 2036 में हमारे देश में ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों के आयोजन की संभावना को देखते हुए बड़ी धन राशि की जरूरत होगी।
अत: केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय के समक्ष खेलकूद के लिए बड़ी राशि की आपूर्ति करना एक प्रश्न बनकर खड़ा है। इसके लिए कई तरह के सुझाव हैं जिनमें प्रमुखत: 25 करोड़ से अधिक आयकर देने वाले व्यक्ति या संस्थाओं के देय आयकर में कम से कम 5 प्रतिशत टैक्स को खेल विभाग को स्थानांतरित करना चाहिए। इसके अलावा डीएमएफ (जिला खनिज न्यास) की राशि में अब विकास, स्वास्थ्य व शिक्षा के साथ खेलकूद को भी जोड़ा जाना उचित होगा। जमीनी स्तर से खिलाडिय़ों के चयन, खोज के लिए खेलो इंडिया कार्यक्रम काफी कारगर सिद्ध हो रहा है। इसकी वजह से सिर्फ केंद्रीय खेल विभाग में 2014 के 700 करोड़ के मुकाबले 2023-24 में लगभग 2300 करोड़ रुपये की राशि का आबंटन किया गया है। परंतु जिस तरह 26 ओलंपिक खेलों पर केंद्रित रणनीति बनाई गई है उससे खिलाडिय़ों के स्तर को विश्व स्तरीय बनाने के लिए और अधिक आर्थिक मदद की आवश्यकता होगी। प्रतिभाशाली खिलाडिय़ों को गहन प्रशिक्षण, उचित आवास, खानपान, अत्याधुनिक खेल सामग्री और उच्च स्तरीय प्रशिक्षकों की जरूरत होगी तभी भारतीय प्रतिभागी अन्य देशों के विश्व स्तरीय खिलाडिय़ों को टक्कर दे सकेंगे। नये प्रशिक्षक तैयार करना एक गंभीर विषय है। साथ ही सर्वसुविधायुक्त खेल मैदान या एरिना, स्टेडियम के निर्माण में करोड़ों खर्च होंगे। केंद्र सरकार चाहे तो 28 ओलंपिक कोर गेम्स में किसी एक को किसी एक संस्था/व्यक्ति को सौंप सकता है जिन्हें आयकर में कुछ छूट के साथ सेवा करने का अवसर दिया जा सकेगा।