खेल – मनोरंजन

भारत सरकार की नीति हो रही सफल

तीरंदाजी: विश्वकप 2023 के तीसरे चरण में भारत के प्रतिभागी हुए शामिल

– जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
लंबे समय से देखने में आ रहा है भारतीय तीरंदाज अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शानदार खेल दिखाकर पदक जीत रहे हैं। इसका पूरा श्रेय जमशेदपुर स्थित टाटा प्रशिक्षण केंद्र, भारतीय खेल प्राधिकारण (साई) और कुछ राज्य सरकारों को जाता है। केंद्रीय खेल एवं युवा कल्याण विभाग के खेल कैलेंडर में तीरंदाजी के खिलाडिय़ों, प्रशिक्षकों को व्यवस्थित किया गया है। भारतीय टीम ने 13 जून से 18 जून 2023 तक कोलंबिया में सम्पन्न तीरंदाजी के विश्वकप के तीसरे स्टेज में भाग लिया। इसमें रिकर्व, महिला, पुरुष, टीम जबकि कंपाउंड के पुरुष, महिला, टीम और मिश्रित टीम कंपाउंड, रिकर्व के अंतर्गत कुल दस टाइटिल के लिए मुकाबले हुए। रिकर्व पुरुष में तुषार प्रभाकर शेलके (16), तरुणदीप राय (25) मिनल चौहान (20), धीरज बोम्मादेवरा (23) ने भाग लिया। रिकर्व महिला के 64 खिलाडिय़ों में भारत की भजन कौर(9), तनीषा वर्मा (36), संगीता (30), अंकिता भगत (50) शामिल हुई। भजन कौर क्वार्टर फायनल तक पहुंची। कंपाउंड पुरुष वर्ग में भारत के अभिषेक वर्मा (8), रजत चौहान (28), ओजस प्रवीण देवताले (13), पीएस जावकर (19) मैदान में उतरे। इसमें अभिषेक वर्मा ने स्वर्ण पदक जीता। कंपाउंड महिला में अदिति स्वामी (1), अवनीत कौर (28), परणित कौर (6), ज्योति वेन्नम (2) शामिल हुई। इसमें परनीत कौर, ज्योति वेन्नम क्वार्टर फायनल तक पहुंची। रिकर्व पुरुष टीम वर्ग में भारत को चौथी वरीयता दी गई थी जिसमें वह सेमीफायनल तक पहुंच सकी। रिकर्व महिला वर्ग में भारतयी टीम को सातवी वरीयता दी गई थी। दूसरे दौर में टीम को पराजय का सामना करना पड़ा। कंपाउंड पुरुष टीम योग्यता में भारत को दूसरा स्थान प्राप्त था भारत ने इसमें सेमीफायनल का सफर तय किया। भारतीय टीम को कंपाउंड महिला टीम वर्ग में विश्व में पहला स्थान प्राप्त है। भारतीय टीम ने चौथा स्थान पाया। इस तरह कंपाउंड मिश्रित टीम में भारत को विश्व वरीयता में पहला स्थान प्राप्त है। परंतु क्वार्टर फायनल में उन्हें हरा का सामना करना पड़ा। रिकर्व मिश्रित टीम में हमारे तीरंदाजों को चौथी वरीयता प्राप्त थी। लेकिन सेमीफायनल में कोरिया ने पछाड़ दिया। इस तरह भारतीय तीरंदाजों ने भले ही अपनी प्रतिष्ठा के अनुरूप प्रदर्शन नहीं किया लेकिन भारत को तीरंदाजी विश्व पटल पर जो सम्मान दिया उसके लिए वे बधाई के पात्र है। तीरंदाजी के खेल में मौसम, वातावरण का बहुत फर्क पड़ता है। चैंपियनशिप की तिथि व समय तय होता है। यह खेल आउटडोर में ज्यादा लोकप्रिय है अत: तेज हवा चलने के कारण लक्ष्य पर तीर मारने में कठिनाई होती है। अधिक गर्मी या ठंड दोनों ही परिस्थिति में खिलाड़ी का अपना प्रदर्शन प्रभावित होता है। अत: तीरंदाज को शूटिंग रेंज में उतरने से पहले इन सब बातों का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। भारत में तीरंदाजी को बढ़ावा देने की लगातार कोशिश जारी है। लिंबाराम से लेकर अब तक तीरंदाजों को विभिन्न प्रतियोगिताओं में शामिल होने के पूर्व केंद्र सरकार के खेल विभाग ,साई तथा टाटा एकेडमी द्वारा अत्याधुनिक सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आते ही सबसे बड़ा कदम यह उठाया गया कि भारत में ग्रीष्मकालीन खेलों के अंतर्गत आने वाले 28 कोर खेलों में खिलाडिय़ों को भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया गया। इसके साथ ही ऐसे खेलों को जमीनी स्तर पर खेलो इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत शामिल करके योग्य व प्रतिभाशाली खिलाडिय़ों का चुनाव आरंभ हुआ। भारत की खेल नीति के लिए इसे हम एक क्रांतिकारी निर्णय मान सकते हैं। केंद्र सरकार के निर्णय की वजह से आज हमारे देश में विभिन्न खेलों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी मिल रहे हैं। भारत सरकार के इस प्रयास में स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के मीडिया के सकारात्मक सहयोग की जरूरत है तभी भारत खेलकूद में भी उत्कृष्ट योगदान विश्व को दे सकेगा।

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