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खेल – मनोरंजन

केंद्र की नीति के अनुरूप मिले खेलों को प्राथमिकता

छत्तीसगढ़ में खेलकूद को सही दिशा देने उठाया जाए उचित कदम

जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
वर्ष 2000 में तीन राज्यों का गठन हुआ था उनमें छत्तीसगढ़, झारखंड और उत्तराखंड शामिल हैं। निश्चित है कि नवनिर्मित तीन राज्यों में खेल गतिविधियां तेजी के साथ बढ़ती आ रही है। आज स्थिति यह है कि भारत की सबसे प्रतिष्ठित बहुखेल स्पर्धा राष्ट्रीय खेलों का आयोजन 2011 में झारखंड साथ ही अब 38वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन उत्तराखंड में होगा। इस प्रकार पहले तीन में से सिर्फ छत्तीसगढ़ राज्य में राष्ट्रीय खेल आयोजित नहीं किए जा सके हैं। वास्तव में ऐसा नहीं है कि हमारे प्रदेश में इस बहु खेल प्रतियोगिता के आयोजन के लायक अधोसंरचना, मैदान नहीं है। पिछले दो राष्ट्रीय खेलों पर दृष्टि डालने से स्पष्ट हो जाता है कि इन खेलों में भाग लेने वाले खिलाडिय़ों, प्रशिक्षकों, संघ के पदाधिकारियों, सहयोगी सदस्यों की संख्या करीब-करीब 13 से 15 हजार तक होती है। इतने मेहमानों के ठहरने, भोजन की व्यवस्था आसानी से हो सकती है। 40 से 43 तक के खेलों के लिए खेल मैदान की कोई कमी नहीं है। प्रश्न है इस तरह के आयोजन के लिए जिम्मेदारी कौन लेगा? यह बहुत ही महत्वपूर्ण तथ्य है क्योंकि पिछले पांच वर्षों में कांग्रेस सरकार की जिस तरह की नीति रही थी उसने इस प्रदेश के खेल और खिलाडिय़ों के साथ न्याय नहीं किया। जिसकी वजह से छत्तीसगढ़ के प्रतिभाशाली उदयीमान खिलाडिय़ों को हुए नुकसान की वे भरपाई नहीं कर सकते। कांग्रेस सरकार के 2018 से 2023 तक के राज में खेलकूद को बढ़ावा देने के लिए कोई खास प्रयास नहीं किया गया। बल्कि उन पर ऊंगली उठ रही है कि 2022 और 2023 में राष्ट्रीय खेलों में शामिल नये खेलों के प्रतिभागियों को प्रशिक्षण, ठहरने की व्यवस्था, भोजन, खेल सामग्री उपलब्ध कराने में कोई विशेष प्रयास नहीं किये गये। दूसरी तरफ इसके पहले छत्तीसगढिय़ा ओलंपिक आयोजित नहीं किए गए और तीन-तीन माह से अधिक लंबी अवधि के लिए 2022 में सितंबर से जनवरी फिर 2023 में जून से सितंबर तक की अवधि में प्राचीन पारंपरिक, लोक खेल, स्थानीय खेलों को संरक्षित करने बढ़ावा देने के नाम से छत्तीसगढिय़ा ओलंपियाड का आयोजन किया गया। यह भी एक अजीब संयोग है कि उपरोक्त अवधि में छत्तीसगढ़ सरकार के भ्रष्टाचार के विरूद्ध केंद्रीय जांच एजेंसियों की छापामारी चल रही थी और भ्रष्ट उच्च पदस्थ प्रशासनिक अधिकारियों, कांग्रेस के नेतागणों, ठेकेदारों, दलालों की धरपकड़ जारी थी। दूसरी तरफ 2023 के विधानसभा चुनाव निकट थे अत: भाजपा की नई सरकार के समक्ष यह भी जांच का विषय हो सकता है कि क्या छत्तीसगढ़ सरकार ने अपनी खराब होती छवि को प्रचारित होने से बचाने व लोगों का ध्यान भ्रष्टाचार से हटाने के लिए छत्तीसगढिय़ा ओलंपियाड का आयोजन करके न सिर्फ करोड़ों रुपये बहा दिया बल्कि हमारे प्रदेश के ओलंपिक खेलों तथा राष्ट्रीय खेलों के प्रतिभाशाली खिलाडिय़ों की उपेक्षा की गई?
भाजपा की नई सरकार को प्रदेश में स्वस्थ खेल वातावरण बनाने की जरूरत है। अभी जो माहौल है उससे खिलाडिय़ों में नाराजगी है। उनके साथ प्रशिक्षक भी खड़े हैं और अभिभावक अपने बच्चों के जीवनयापन की समस्या के हल हो जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। खेल विभाग के संचालनालय की जिम्मेदारी जब अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी को सौंपना है तो फिर छत्तीसगढ़ की महान हाकी खिलाड़ी, पद्मश्री तथा अर्जुन पुरस्कार प्राप्त सुश्री सबा अंजुम को अवसर दिया जाना चाहिए। उन्होंने भारत की महिला हाकी टीम का नेतृत्व किया अत: वे खेल को, उसकी रणनीति तथा अनुशासन सबकुछ जानती हैं जिसकी आज आवश्यकता है।

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