छत्तीसगढ़

बास्तानार-बारसूर वनमार्ग डबल्यूबीएम सड़क में गोलमाल

दंतेवाड़ा । दंतेवाड़ा जिले में वन विभाग का भ्रष्ट कारनामा एक के बाद एक जंगल से निकलकर सामने आ रहा है। विभाग द्वारा अंजाम दिया गया एक और भ्रष्ट कारनामा प्रकाश में आया है। मामला डबल्यूबीएम सड़क निर्माण में घोटाला का है। विस्तृत जानकारी के लिए विभाग को सूचना का अधिकार लगाकर संबंधित कार्य का इस्टीमेट मांगा गया तो विभाग का अजीबोगरीब जवाब पत्र आया है। विभाग ने सीधे सीधे मुकरते हुए आवेदक को अपने जवाब पत्र में लिखा है कि आपने जिस कम्र्पाटमेंट क्रमांक के विषय में रोड निर्माण की जानकारी मांगी है उस कम्र्पाटमेंट में किसी भी प्रकार का कोई निर्माण कार्य हुआ ही नहीं है। आवेदक जवाब पढ़कर हैरान व हतप्रभ है क्योंकि आवेदक के पास उक्त निर्माण कार्य के तमाम विडियोज, फोटो एवं निर्माण कार्य में बतौर मुंशी एवं मजदूरी का कार्य करने वाले ग्रामीणों का मौखिक बयान भी मौजूद है। वन विभाग के झुठे मनगढ़ंत जवाब के बाद अब आवेदक राज्य सूचना आयोग को धारा 18 के तहत लिखित शिकायत करने की तैयारी कर रहा है।
गौरतलब है कि गीदम वन परिक्षेत्र अंतर्गत बास्तानार-बारसूर वनमार्ग स्थित कावड़ीपदर में केम्पा मद द्वारा 45 लाख रूपए खर्च कर 02 पार्ट में बनाए गए 3 किलोमीटर डबल्यूबीएम सड़क का निर्माण किया गया है। मुरूमीकरण रोड निर्माण का कार्य वित्तीय वर्ष 2021-22 का है। बताते चलें कि कम्पार्टमेंट क्रमांक 1291 एवं 1292 में डबल्यूबीएम सड़क निर्माण का कार्य बीते जून जुलाई माह में हुआ है। निर्माण कार्य वाला इलाका गीदम परिक्षेत्र के लालागुड़ा बीट में आता है। बता दें कि वर्तमान में गीदम रेंजर दशांश प्रकाश सूर्यवंशी हैं उन्हीं के देखरेख में उक्त निर्माण कार्य संपादित हुआ है। शिकायत मिली थी कि सड़क बनाने के कार्य में जबरदस्त भ्रष्टाचार किया गया है। तरूण छत्तीसगढ़ के गीदम/दंतेवाड़ा के संवाददाताओं ने शिकायत के आधार पर स्वयं मौकाए स्थल पर पहुंचकर मुआएना किया तो शिकायत सही पाई गई। बास्तानार से बारसूर मार्ग पर कावडीपदर चौक से हारला एवं कावड़ीपदर चौक से खुटेडीपारा तक दो अलग अलग पार्ट में बनाए गए मुरूमीकरण सड़क में कई प्रकार की गड़बड़ी देखने को मिला। मसलन चौड़ाई नापने पर 3 मीटर ही सड़क की चौड़ाई पाई गई जबकि हमारे सूत्र बताते हैं कि विभागीय प्राक्कलन के हिसाब से 3 मीटर 80 सेंटीमीटर चौड़ी सड़क बननी चाहिए थी। कार्य करवाने वाले वनकर्मियों ने केवल सड़क की चौड़ाई में ही घालमेट नहीं किया बल्कि सड़क में बिछाए गए गिट्टी में भी भ्रष्टाचार किया है। क्रशर की गिट्टी की जगह जंगल की हाथ फोड़ाई बोल्डर का उपयोग किया गया है। 40 एमएम गिटटी की जगह 60 से 90 एमएम बड़े बड़े साइज के बोल्डरों को सड़क पर बिखेर दिया गया है। मुरूमीकरण सड़क पर मुरूम कहीं दिखाई नहीं दिया केवल हाथ फोडाई बोल्डर ही सड़कों पर बिछा दिखाई पड़ा। सड़क निर्माण में बतौर मुंशी का कार्य करने वाला स्थानीय ग्रामीण दिनेश बेंजाम ने बताया कि जनाब लोगों ने जैसा आदेश दिया उसी हिसाब से उन्होने अपना काम किया है। दिनेश ने बताया कि जंगलों में स्थित चटॅटानों को तोड़कर उसका बोल्डर लाकर सड़क पर डालने के लिए स्वयं जनाब ने कहा था सड़क की चौड़ाई भी 3 मीटर ही रखने को कहा गया था। इसमें उनकी कोई गलती नहीं है। मुंशी दिनेश ने बताया कि सड़क की चौड़ाई इस्टीमेट के हिसाब से कितनी होनी चाहिए थी इसकी जानकारी उसे नहीं थी क्योंकि इस्टीमेट उसे नहीं दिखाया गया था। ईधर सूचना के अधिकार के तहत सड़क निर्माण का इस्टीमेट मांगने पर अब विभागीय अधिकारी अपने को फंसता देख पहले तो आवेदक संतोष सिंह को दिए अपने जवाब में स्पष्ट तौर पर झुठी जवाब देते हुए कहते हंै कि उक्त कम्र्पाटमेंट में कोई निर्माण कार्य हुआ ही नहीं है। जवाब से असंतुष्ट होने पर आप प्रथम अपील कर सकते हैं। गीदम रेंजर के इस जवाब से स्पष्ट होता है कि आवेदक अपील करे ताकि उन्हें एक माह का समय और मिल जाए ताकि तब तक लीपापोती कर सड़क की चौड़ाई पूर्ण कर ली जाए। एक तरफ सड़क निर्माण के बात से ही विभाग मुकर रहा है तो वहीं दूसरी तरफ सूत्रों से खबर मिली है कि अपने कुकृत्यों पर पर्दा डालने गीदम रेंजर दशांश प्रकाश सूर्यवंशी व डिप्टी रेंजर के0 राजू अपने मातहत कर्मचारियों को 19 दिसंबर से फौरन मुरमीकरण सड़क की चौड़ाई बढ़ाने के कार्य में जोर शोर से लगा दिए हैं। उनके हिसाब से जब रोड बना ही नहीं तो कौन सी रोड का चौड़ीकरण करने की जुगत में लगे हुए हैं? जवाब तो उन्हें देना ही पड़ेगा। अब लीपापोती से क्या फायदा जब पूरा मामला मीडिया के कैमरे में पहले ही कैद हो चुका है। वो कहावत भी है ना कि अब पछताए होत का, जब चिडिय़ा चुग गई खेत।

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