खेल – मनोरंजन

मुक्केबाजी में भारतीय महिलाओं के लिए सुअवसर

महिला विश्व मुक्केबाजी-2023, नई दिल्ली में 26 मार्च तक

– जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
सदियों पहले से खेलकूद मनुष्य के जीवन का अंग रहा है। इसका स्वरूप भले ही बदलता रहा लेकिन खेल की प्रतियोगिता कभी नहीं रुकी। मुक्केबाजी बहुत पुराना खेल है। मानव सभ्यता के इतिहास में शुरुवाती तौर पर यह खेल खुले हथेलियों से दो प्रतिद्वंद्वियों के बीच खेला जाता था। ईसा से 6 हजार वर्ष पूर्व सबसे पहले वर्तमान इथियापिया में मुक्केबाजी खेल के प्रमाण पाये जाते हैं। फिर मुक्केबाजी कला का यह खेल इजिप्त (मिस्र) पहुंचा जहां से यूनान, मिसोपोटानिया होते हुए रोम पहुंचा और इस खेली को विश्वव्यापी लोकप्रियता मिली। यूनान में प्राचीन ओलंपिक खेल ईसा पूर्व 776 में आरंभ हुए जबकि ईसा पूर्व 688 में मुक्केबाजी को शामिल किया गया। अनुमान है यह खेल ईस्वी सन. 385 तक जारी रहा। फिर इस खेल की जानकारी ग्रेट ब्रिटेन में 16वीं से 18वीं शताब्दी में पाई जाती है। इस खेल की लोकप्रियता धीरे-धीरे बढऩे लगी तब 1867 में मार्केस ऑफ क्वींसबेरी रुल्स के लागू होने से मुक्केबाजी को नई दिशा मिली। 1904 से इसे आधुनिक ओलंपिक खेलों में शामिल किया गया तथा 1912 के स्टाकहोम (स्वीडन) ओलंपिक खेलों को छोड़कर अब तक सम्पन्न सभी संस्करणों में इसे शामिल किया गया है। 2008 तक ग्राीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में सिर्फ पुरुषों की ही स्पर्धा होती थी लेकिन 2012 से महिलाओं के मुकाबले भी शुरु हुए। इसी तरह इंटरनेशनल बाक्सिंग एसोसिएशन (आईबीए) जिसका गठन 29-30 नवंबर 1946 को हुआ था। उनके द्वारा मुक्केबाजी की विश्व स्पर्धा का आयोजन पुरुष वर्ग के लिए 1974 जबकि महिलाओं की चैंपियनशिप 2001 से आरंभ की गई। नई दिल्ली में 15 मार्च 2023 से महिला वर्ग की प्रतियोगिता शुरु हो रही है। इसमें 12 वजन वर्गों में मुकाबले होंगे। सभी वजन वर्ग में इस प्रकार हैं- 45-48 (मीनिममवेट), 48-50 लाइट फ्लायवेट, 50-52(फ्लायवेट), 52-54 (बेंटमवेट), 54-57 (फीदर वेट), 57-60 (लाइट वेट), 60-63 लाइटवेल्टरवेट, 65-66 (वेल्टर वेट), 66-70 (लाइट मिडिलवेट), 70-75 (मिडिल वेट), 75-81 (लाइट हैवीवेट), 81 किलोग्राम से अधिक हैवीवेट वर्ग होता है। महिलाओं की यह विश्व स्पर्धा इसके पहले भारत में वर्ष 2006, 2018 में भी सम्पन्न हो चुकी है। 2001 से 2022 तक की प्रतियोगिता में भारत की मुक्केबाजों ने 10 स्वर्ण, 8 रजत, 21 कांस्य सहित 39 पदक हासिल किया है। आल टाइम मेडल टेबल में हमारी मुक्केबाजों ने भारत को बहुत सम्मान दिया है और दुनिया के 50 देशों में चौथा स्थान प्राप्त किया है। भारत की महान महिला मुक्केबाजी एमसी मेरीकाम ने 48, 45, 46, 51 किलोग्राम वजन वर्ग में 6 स्वर्ण, एक रजत, एक कांस्य सहित 8 पदक जीतकर अद्भुत कीर्तिमान स्थापित किया है जो कि एक विश्व रिकार्ड है। भारत की ओर से इस विश्व चैंपियनशिप में पहला पदक 2002 में 45 किग्रा वर्ग में भारत की एमसी मेरीकाम ने जीता था। उनके अलावा अब तक मीनाकुमारी, करमजीत कौर, ज्योत्सना ने कांस्य, 2005 में सरिता देवी, सी.अश्वाथिमोल, ज्योत्सना ने कांस्य, 2006 में सरिता देवी ने स्वर्ण, उषा नागिस्टी ने रजत, छोटू लवरा, अरुणा मिश्रा, रेणु गोरा ने कांस्य, 2008 में उषा नागिस्टी ने रजत, छोटू लवरा ने कांस्य पदक जीतकर भारत का नाम रौशन किया। 2010, 2012 में कविता चहल ने कांस्य, 2014 में सूरजबाला देवी तथा स्वीटी ने रजत, 2016 में सोनिया लदेर ने रजत, 2018 में सोनिया चहल ने रजत, सिमरनकौर, लवलीना बोरगेहन ने कांस्य पदक जीता। 2019 में मंजू रानी ने रजत साथ ही जमुना बोरो, लवलीना बोरगेहन ने कांस्य पदक जीता। 2022 में भारत की निखत जरीन ने स्वर्ण, मनीषा मौन ने कांस्य पदक जीता। मरेीकाम ने 2002, 2005, 2006, 2008, 2010, 2018 में स्वर्ण, 2001 में रजत जबकि 2019 में कांस्य पदक जीता। इसत रह आधुनिक काल में भारत की महिलाओं के लिए इस खेल में अपार संभावना है।

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