छत्रपति शिवाजी महाराज देश के वीर सपूत: थिटे
महासमुंद। स्थानीय छत्रपति शिवाजी चौक में रविवार को पारंपरिक तरीके से छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती मनाई गई। इस दौरान बड़ी संख्या में मराठा क्षत्रिय समाज लोग पहुंचे। महासमुंद जिला मराठा समाज ने छत्रपति शिवाजी महाराज के छायाचित्र पर पुष्प अर्पित करके श्रद्धांजलि दी। बता दें कि मराठा साम्राज्य के सबसे महान योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज की 393वीं जयंती है। जयंती अवसर पर स्थानीय छत्रपति शिवाजी चौक में सुबह उनके छायाचित्र पर माल्यार्पण किया गया। दीप प्रज्वलन के साथ ही जय शिवाजी, जय भवानी और हर-हर महादेव, भारत माता की जय के जयकारों से कार्यक्रम स्थल गूंज उठा। इस दौरान समाजजनों ने जमकर आतिशबाजी की और मिठाई वितरण कर खुशी बांटीं। समाज के संरक्षक प्रलय थिटे और जिलाध्यक्ष गोवर्धन इंगोले के दीप प्रज्जवलन के साथ कार्यक्रम प्रारंभ हुआ।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संरक्षक प्रलय थिटे ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को मराठा परिवार में हुआ था। उनके जन्मदिन के अवसर पर हर साल शिवाजी महाराज जयंती मनाई जाती है। वह देश के वीर सपूतों में से एक थे। सन 1674 में उन्होंने भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी। छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम शिवाजी भोंसले था। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए जिला सचिव राजेंद्र घाडग़े ने कहा कि भारतीय इतिहास में शिवा जी महाराज का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित है वीर शिवाजी महाराज की गौरव गाथा देश-विदेशों में आज भी सुनाई जाती है। शिवाजी सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान करते थे। उन्होंने कभी किसी धार्मिक स्थल पर हमला नहीं किया। उन्होंने अपनी हिंदू धार्मिक मान्यताओं से समझौता किए बिना सभी धर्मों को समायोजित किया। इस अवसर पर महिलाओं की उपस्थिति काफी संख्या में थी। महिला मंडल जिलाध्यक्ष अनिता पवार, सचिव रामेश्वरी घाडग़े, उपाध्यक्ष अनिता घाडग़े, मोनिषा गड़ाक, ज्योति पवार, रोहिणी घाडग़े, नेहा भोसले, प्रीती इंगोले एवं संरक्षक प्रलय थिटे, जिलाध्यक्ष गोवर्धन इंगोले, सचिव राजेंद्र घाडग़े, कोषाध्यक्ष भूषण भोसले, महावीर पवार, यशवंत घाडग़े, जसवंत पवार, किशोर भोसले, प्रकाश राव पवार, कुलेश्वर गड़ाक, देवेंद्र इंगोले, महेंद्र पवार, देवेंद्र काले, प्रदीप भोसले, अिभषेक इंगोले, रामकिशन भोयर, मुकेश भोसले, अनिकेत गड़ाक, आिदत्य पवार सहित बड़ी संख्या में सामाजिकजन एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
लालन पालन में माँ की भूमिका अहम :थिटे
श्री थिटे ने बताया कि माता जीजाबाई की संस्कारयुक्त शिक्षा बाल शिवा पर सकारात्मक प्रभाव डालने लगी थी। रामायण और महाभारत के ज्ञान के साथ पौरुष और नेतृत्व क्षमता दिखने लगी जब उनके पिताजी की दी हुई छोटी सी रियासत से हुई शुरुआत को उन्होंने एक मराठा साम्राज्य का गठन कर दिया। ये माता जीजाबाई की ही शिक्षाओं का असर था जो उन्होंने युद्ध में एक बार बंदी बना कर लाई गई महिलाओं को ससम्मान न सिर्फ वापस भेजा अपितु जिम्मेदार लोगों को दंडित भी किया गया। एक सभ्य समाज के नेतृत्व में जिन गुणों को हम आज परिलक्षित करना चाहते हैं।