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खेल – मनोरंजन

शर्मनाक सत्य जिसकी न हो पुनरावृत्ति

कुश्ती: महिला पहलवान विनेश फोगाट ने उठाया शारीरिक, मानसिक शोषण का मुद्दा

– जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
भारतीय खेल जगत में महिला खिलाड़ियों के साथ अन्याय, भेदभाव, छेड़छाड़ की बातें निकलकर आती तो है पर शिकायत करने के लिए कोई सामने नहीं आता। यही एक वजह है जिसके कारण खेल के खलनायकों का पता नहीं चल पाता है। आज परिस्थिति बदल चुकी है। लड़कियां शिक्षित हो चुकी है। खिलाड़ियों के माता-पिता, अभिभावक जागरूक हो चुके हैं। केंद्र व राज्य सरकार नर-नारी के बीच के भेदभाव को दूर करने कई उपाय किए हैं। इन सबका प्रभाव यह है कि अब भोले भाले युवा महिला खिलाड़ियों से अत्याचार करना आसान नहीं है। केंद्र की वर्तमान सरकार ने महिला खिलाड़ियों के भविष्य को देखते हुए अनेक क्रांतिकारी निर्णय लिये हैं। खेल संघों में पुरुषों के एकाधिकार को खेल पदाधिकारियां ने खुद आगे बढ़कर तोड़ दिया है। भारतीय ओलंपिक संघ को हमारे देश में खेल व खिलाड़ियों के लिए सुनियोजित व्यवस्था करने की बड़ी जिम्मेदारी प्राप्त है। इसके अंतर्गत टीम के गठन के द्वारा महिला, पुुरुष वर्ग के खिलाड़ियों का निर्विवाद चयन, प्रतियोगिता का आयोजित करना, स्पर्धा के पूर्व प्रतिभागियों को उचित प्रशिक्षण देना आदि प्रमुख गतिविधि है। इन सबके साथ बालिकओं, महिला खिलाड़ियों की सुरक्षा और उनसे उचित व्यवहार करना अनुशासन के दायरे में आता है। फिर भी कुछ न कुछ गलत व्यवहार महिला खिलाड़ियों के साथ होने की खबरें आती रही है। अब विख्यात पहलवान विनेश फोगाट ने अन्य पहलवानों के साथ भारतीय कुश्ती संघ के पदाधिकारियों के आचरण को लेकर आवाज उठाई है। उन्होंने दिल्ली में धरना-प्रदर्शन करते हुए महिला पहलवानों के साथ पिछले कुछ वर्षों से जारी शारीरिक शोषण का रहस्योद्घाटन करते हुए कुश्ती संघ के पदाधिकारी को दोषी ठहरा दिया है। 18 जनवरी 2023 को जब पूरे भारत की मीडिया में इस तरह की जानकारी सार्वजनिक हुई तब सभी खेलप्रेमियों के कान खड़े हो गए। भारतीय कुश्ती संघ के पदाधिकारी जिस पर विनेश फोगाट ने आरोप लगाया है अभी उसकी पुष्टि नहीं हुई है, और इसकी जांच की जानी चाहिए परंतु रेसलिंग फेडरेशन आफ इंडिया के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह ने कहा है कि अपने ऊपर लगे आरोप साबित हो गए तो वे फांसी लगा लेंगे याने मर जाना पसंद करेंगे। इधर ख्याति प्राप्त पहलवान विनेश फोगाट जिन्होंने घटना को सामने लाया है। भारत की तरफ से खेलते हुए 2014 के राष्ट्रमण्डल खेलों में तथा 2018 के जकार्ता पालमबैंग एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था तथा एशियन कुश्ती प्रतियोगता और राष्ट्रमण्डल कुश्ती स्पर्धा मिलाकर दो स्वर्ण, दो रजत, दो कांस्य पदक जीता है। ऐसी अत्यंत प्रतिभाशाली महिला खिलाड़ी की आवाज को यू ही दबाना उचित नहीं है। हमारे देश में वैसे भी पहले बालिकाओं, महिलाओ को खेलकूद में आगे बढ़ने के लिए कम प्रोत्साहन दिया जाता था। आज जब महिला खिलाड़ियों को अवसर दिये जा रहे हैं तो बराबरी से भारत का नाम रौशन कर रहे हैं। भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्षा के रूप में महान एथलीट सांसद पीटी उषा की नियुक्ति के बाद विनेश फोगाट का यह स्वीकार करना कि उन्हें खुद उनको शारीरिक, मानसिक पीड़ा पहुंचाई गई है भारतीय खेल दुनिया के लिए एक शर्मनाक सच्चाई है। संभव है हिम्मत बढ़ेगी तो और भी सच्चाई सामने आयेगी। जो भी हो दिल्ली के जंतर-मंतर में इस तरह की घटनाओं को उजागर करने का साहस करने वाले महिला, पुरुष पहलवान बधाई के पात्र हैं। आगे चलकर महिलाओं के लिए पृथक महिला प्रशिक्षक, महिला टीम मैनेजर आदि की परंपरा को अनिवार्य किया जाना होगा।

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