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खेल – मनोरंजन

खेल मैदानों से अवैध कब्जों को होगा हटाना

छत्तीसगढ़ में खेलकूद का वातावरण बनाने के लिए चाहिए ठोस निर्णय

जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
हमारे प्रदेश में खेलकूद संस्कृति की जड़ को मजबूत करने के लिए कुछ निर्णायक कदम उठाने की आवश्यकता होती है। खेल से लाभ की चर्चा को जन-जन तक पहुंचाना होगा। सबसे पहले हमें हमारे परिवार, समाज, प्रदेश व देश के प्रत्येक सदस्य को यह समझना जरूरी है कि अत्याधुनिक भाग दौड़ भरी जिंदगी में शरीर का चुस्त-दुरस्त होना अत्यंत जरूरी है। खेलकूद एक ऐसा माध्यम है जिससे शारीरिक व मानसिक दोनों प्रकार से व्यक्ति स्वस्थ रहता है।
खलेकूद की जीवन में महत्ता को सबसे बच्चों को शालेय स्तर से बतलाया जाए तो बच्चे खेलकूद में भाग लेने के लिए आगे आयेंगे और खेल के माध्यम से समय की पाबंदी, अनुशासन, कड़ी मेहनत को जल्द समझ पायेंगे। शालेय स्तर पर जब विद्यार्थी खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने लगता है तो उसे हार-जीत का सामना करना पड़ता है। वस्तुत: किसी टूर्नामेंट में भाग लेने पर छात्र-छात्राओं का पूरा परिवार अपने बच्चे के लिए आगे आ जाता है। इस तरह परिवार के लोगों को खेल के महत्व और उसके लाभ हानि की जानकारी प्राप्त हो जाती है। माता पिता- अभिभावकों को अपने बच्चे की कमी की जानकारी हो ही जाती है। आंखों के सामने अपने नन्हे मुन्ने को खेलता देखकर उसे और आगे बढऩे के लिए अभिभावक ही सबसे अधिक मददगार होते हैं। अत: वे अपने खिलाड़ी बच्चों को प्रशिक्षण देने के लिए प्रशिक्षकों से संपर्क करते हैं। इस तरह खेलकूद जीवन का अंग होने लगता है। जब कोच खिलाड़ी को प्रशिक्षित करने लगते हैं तो फिर खिलाड़ी खेल की तकनीक, मैच के दौरान जीत की रणनीति को समझने लगता है इस प्रकार एक प्रतिभागी को सफलता मिलती है, वह खिलाड़ी बन पाता है तथा उपलब्धियां हासिल करने लगता है जिसकी वजह से समाज में उसकी तथा उसके परिवार की प्रतिष्ठा बढ़ती है तथा खेल उसके जीवनयापन का साधन बन जाता है। इस स्थिति में खेल परिवार, समाज, प्रदेश व देश में लोकप्रिय होता है। राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल चैंपियनशिप में छत्तीसगढ़ राज्य की 23 वर्षों बाद भी अच्छी स्थिति नहीं है। अभी भी हमारे प्रदेश में खेल का माहौल नहीं बना है। इसके लिए खुले मैदान में चलते-फिरते खेल गतिविधि को प्रारंभ करना होगा। सबसे पहले हमारे प्रदेश के प्रत्येक खेल मैदानों पर की जा रही अवैध कब्जा को रोकना होगा। नगर पालिक निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत, पंचायत सभी नगरीय इकाई वाले जगहों में तत्काल प्रभाव से मैदान को अवैध रूप से कब्जा करने वाले या फिर अवैध गतिविधि संचालन करने वालों पर प्रतिबंध लगाना होगा। हमारे राज्य के प्रत्येक नगरीय निकाय तथा ग्राम पंचायत क्षेत्र में ओपन जिम की स्थापना जरूरी है। इसके लिए प्रशासन को कड़ाई से पेश आना होगा तथा स्थानीय प्रबंध समिति बनाकर ओपन जिम की देखरेख की जिम्मेदारी को सौंपना होगा। नगरीय निकाय मुख्यालयों के बाहर और कम से कम प्रत्येक ग्राम पंचायत मुख्यालय में एक-एक बड़ा एलईडी स्क्रीन लगाना चाहिए। इससे खेलकूद को चाहने वाले अपने पसंदीदा खेल के मैच को देख सकेंगे। अगर छत्तीसगढ़ में खेल का वातावरण तैयार करना है तो ग्राम पंचायत स्तर पर कम से कम सात एकड़, ब्लाक/तहसील मुख्यालय स्तर पर दस एकड़, जिला मुख्यालय स्तर पर 16 एकड़, संभागीय स्तर पर 25 एकड़ भूमि खेलकूद के मैदान के लिए आरक्षित होना चाहिए। इसके साथ ही ग्रीष्मकालीन, शीतकालीन, पैरालिंपिक ओलंपिक खेलों के कोर गेम्स को प्राथमिकता देना चाहिए। स्थानीय व लोक खेलों को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास करना चाहिए। प्रशिक्षकों की उपलब्धता महत्वपूर्ण है अत: छत्तीसगढ़ के भूतपूर्व खिलाडिय़ों, राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाडिय़ों को ‘साईÓ याने स्पोर्ट्स अथारिटी ऑफ इंडिया के अंतर्गत विभिन्न केन्द्रों में प्रशिक्षण के लिए हमारे राज्य द्वारा आर्थिक मदद देकर भेजा जाना चाहिए। फिर प्रदेश में खिलाडिय़ों के उचित भोजन के लिए आहार विशेषज्ञ तथा मादक द्रव्यों के सेवन की जांच के लिए विशेषज्ञ व प्रयोगशाला की स्थापना की जानी चाहिए।

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