टीम ने भारत की प्रतिष्ठा का नहीं रखा ध्यान
आईसीसी विश्व टेस्ट चैंपियनशिप क्रिकेट: आईसीसी विश्व टेस्ट चैंपियनशिप,हमारी करारी हार, जिम्मेदार कौन?
जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
लंदन स्थित केनिंगटन ओवल मैदान में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद द्वारा आयोजित दूसरे विश्व टेस्ट मुकाबले का फायनल भारत और आस्ट्रेलिया के मध्य खेला गया। कंगारुओं ने भारतीयों को गेंदबाजी, बल्लेबाजी, क्षेत्ररक्षण याने खेल के प्रत्येक भाग में चारों खाने चित्त कर दिया। 144 करोड़ की आबादी वाले हमारे देश में क्रिकेट सबसे लोकप्रिय खेल है। भारत की पराजय से भारत के खेल प्रेमियों में बड़ी निराशा हुई। खेल में हार व जीत एक सिक्के के दो पहलू हैं लेकिन 2021 में पहले विश्व टेस्ट चैंपियनशिप में न्यूजीलैंड के हाथों पराजय के पश्चात फिर से इस तरह के परिणाम की उम्मीद नहीं थी। हमारे खिलाडिय़ों का प्रदर्शन कुछ ऐसा था मानो पराजय स्वीकार करने की मानसिकता से मैदान में उतरे हैं। संघर्षरत होकर मात खा जाना अलग बात है जबकि आत्मसमर्पण करके परास्त हो जाना अलग बात है। हमारे क्रिकेटर ऐसा खेल रहे थे जैसा मैदान में समय निकाल रहे हों। परंतु आस्ट्रेलिया के हाथों बुरी तरह पराजय का आकलन करने पर स्पष्ट हो जाता है कि इस तरह के पीट जाने के पीछे सिर्फ खिलाड़ी नहीं बल्कि प्रबंधन, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड सभी दोषी हैं। प्रत्येक खिलाड़ी का उद्देश्य अपने खेल के माध्यम से जीवनयापन की सुविधा जुटा लेना है। ऐसा सब कुछ जब हमारे क्रिकेटर के पास है तो फिर उनके लिए विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का कोई विशेष महत्व नहीं है लेकिन अगर हमारे खिलाड़ी भौतिक सुविधा, धन दौलत को महत्व नहीं देते तो देश की आन-बान-शान उनकी दृष्टि में सर्वोच्च होता। दुर्भाग्य की बात है ऐसा नहीं हुआ। हमारे क्रिकेटर भारत की 20 से 42 डिग्री सेल्सियस वाले गर्म माहौल में 31 मार्च से 29 मई 2023 तक पैसों की कीमत चुकाते रहे और अब भारत देश की प्रतिष्ठा बढ़ाने का वक्त आया तो टाय टाय फिस्स कर गये। भारतीय क्रिकेटर के लिए लगातार दूसरे विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फायनल में पराजित हो जाना बेहद अफसोसजनक है,जिस पर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को विचार करना होगा। ओलंपिक खेलों या किसी भी खेल के विश्व कप या महाद्वीपीय स्पर्धा के बीच कम से कम 15 दिनों का अंतर रखा जाता है। ताकि खिलाड़ी तरोताज हो सके। अपने आपको ओलंपिक खेल स्पर्धा से कहीं अधिक श्रेष्ठ समझने वाले आईसीसी और बीसीसीआई के पदाधिकारियों को दूसरे खेल फेडरेशन के नियम कायदे की भी जानकारी होनी चाहिए। अर्थात् 29 मई को समाप्त हुए 20-20 ओवर के इंडियन प्रीमियर लीग 2023 के पश्चात कम से कम 15 दिनों के अंतराल के बाद टेस्ट स्पर्धा का फायनल होना था। दूसरी बात हमारे खिलाडिय़ों ने टेस्ट मैच के पूर्व आपस में सामंजस्य बनाने के लिए एक भी मैच नहीं खेला। आयरलैंड या स्काटलैंड में तीन या चार दिवसीय मैच भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को आयोजित करना था। 20 से 42 डिग्री सेल्सियस में करीब दो माह खेलने के बाद 12 से 25 डिग्री सेल्सियस तक के वातावरण में बिना प्रेक्टिस स्वाभाविक खेल दिखाना कठिन साबित हुआ। पुरुषों की भारतीय क्रिकेट टीम ने इसके पहले एक दिवसीय सीमित ओवर के विश्व चैंपियनशिप को 1983, 2011 में जीता था जबकि 2007 में भारत ने टी-20 विश्व कप पर कब्जा जमाया था। लगातार दो बार टेस्ट चैंपियनशिप के फायनल में पहुंचने के बाद भारत की असफलता यह दर्शाती है कि भारतीय क्रिकेट के कर्णधारों के पास देश का मान-सम्मान बढ़ाने के लिए कोई विशेष कार्ययोजना नहीं है और क्रिकेट को अकूत धन अर्जित करने का माध्यम बना दिया गया है।