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जिंदगी में माता-पिता, गुरु व धरता का उपकार कभी नहीं भूलना चाहिए:सुधाकर

राजनांदगांव।युग प्रधान गुरुदेव आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री सुधाकर जी ने आज यहां कहा कि दो शब्द मानव के जीवन में काफी महत्व रखते हैं पहला शब्द है उपकार यानि किसी का कल्याण और दूसरा शब्द है अपकार यानि किसी का नुकसान या किसी का अहित करना।दुनिया में तीन लोगों का उपकार हम कभी नहीं चुका सकते और ये तीन लोग हैं 1.माता-पिता, 2.गुरु और 3.धरता अर्थात अंगुली पड़कर राह दिखाने वाला। उन्होंने कहा कि इस दुनिया में हमारे सिर पर माता-पिता से बड़ा कोई कर्ज नहीं है।
तेरापंथ भवन में आज अपने नियमित प्रवचन में मुनि श्री सुधाकर जी ने कहा कि दुनिया से जाने के तो हजारों रास्ते हैं परंतु आने का एक ही रास्ता है। मां जीवन का ध्येय होती है। मां ममता का महाकाव्य है। एक कवि ने कल्पना की कि मां की तुलना चांद से करें तो उन्होंने चांद में दाग पाया, सागर से की तो सागर का पानी खारा पाया। मां की ममता बेदाग होती है और निर्मल जल से भी मीठा उसका प्यार होता है। भले ही जिंदगी में भले ही 5त्र आ गया है किंतु जिंदगी का काम माताजी और पिताजी से ही चलता है।
मुनि श्री सुधाकर जी ने कहा कि आज हम माता को मॉम और पिता को डैड कहकर पुकारते हैं। जबकि दोनों का मतलब प्राण विहीन शरीर होता है। यह भाषा का विकृत रूप है। उन्होंने कहा कि शब्द का बड़ा महत्व होता है। शब्द रहस्यमयी होते हैं। यह भाषा का ही चमत्कार है कि हम काले फ़ुफकारते नाग को भी नाग देवता कहकर पुकारते हैं। उन्होंने कहा कि जीवन में संकल्प कर लो कि मैं कभी भी घटिया, ओछे और नीच शब्दों का प्रयोग नहीं करूंगा। भाषा से भाव का जन्म हुआ है। दुनिया में कोई भी रिश्ता छोटा या बड़ा नहीं होता सिर्फ मां का रिश्ता ज्यादा होता है क्योंकि वह 9 माह हमें कोख में रखती है।
मुनि श्री ने कहा कि गुरु जीवन का निर्माता होता है इसलिए हम गुरु का भी ऋण कभी नहीं चुका सकते। इसी तरह धरता वह होता है जो हमें ऐसे समय में राह दिखाता है जब हम हताश हो जाते हैं और हमें जीवन का कोई रास्ता नजर नहीं आता है। इस ब्रह्माण्ड में हर किसी का भाग होता है ,कोई किसी के भरोसे नहीं होता। जीवन में पुण्य है तो सब कुछ है। समय बदलता है तो व्यक्ति का चेहरा बदल जाता है, रंग बदल जाता है, भाव बदल जाता है किंतु हमें यह याद रखना है कि जिसने हमारा उपकार किया है, हम उसके ऋणी हैं। इससे पूर्व नरेश मुनि जी ने कहा कि धर्म मुक्ति की ओर, परमार्थ की ओर ले जाने वाला है। प्रमादी व्यक्ति कभी सुखी नहीं होता।
जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा द्वारा तेरापंथ भवन में कल 12 मई रविवार को मुनि श्री सुधाकर जी के विशेष प्रवचन का आयोजन किया गया है। इस प्रवचन सभा में मुनि श्री सुधाकर जी स्वस्थ, सुखी एवं समृद्ध परिवार के रहस्य पर प्रकाश डालेंगे जिसमें वे परिवार के साथ कैसे रहें ? ,सुखी परिवार में वास्तु की भूमिका, क्या मंत्र अनुष्ठान में आती है परिवार में खुशहाली?, रिश्तो में मधुरता के कुछ प्रभावी मंत्र आदि के बारे में बताएंगे। प्रवचन का समय सुबह 9:00 बजे से 10:15 बजे तक है। प्रवचन तेरापंथ भवन में होगा।

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