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खेल – मनोरंजन

सुविधाओं के अभाव में भी खिले पुष्प का स्वागत

भारोत्तोलक ज्ञानेश्वरी यादव को छत्तीसगढ़ सरकार ने दी शासकीय सेवा की सौगात

– जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
खेलकूद की स्पर्धा मुख्यत: एकल, युगल या बहु खिलाड़ी याने टीम के आधार पर होती है। इसमें से एकल याने एक के विरूद्ध एक वाली प्रतियोगिता में सफलता हासिल करना सबसे कठिन होता है। युगल में या टीम के रूप में खेली जाने वाली चैंपियनशिप में विजेता बनना सिर्फ एक प्रतिभागी पर निर्भर नहीं करता वरन अन्य साथी खिलाड़ी के सहयोग से पदक हासिल करने का मार्ग प्रशस्त होता है। हाल ही में छत्तीसगढ़ राजनांदगांव की बेटी ज्ञानेश्वरी यादव ने जूनियर कामनवेल्थ गेम्स, सीनियर कामनवेल्थ गेम्स में 49 किग्रा दोनों वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। इसके साथ ही ज्ञानेश्वरी ने जूनियर एशियन वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में रजत पदक हासिल किया। दोनों ही टूर्नामेंट गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी ग्रेट नोएडा नई दिल्ली एनसीआर उत्तरप्रदेश में सम्पन्न हुए थे। इस प्रकार 11 जुलाई से 16 जुलाई के बीच सम्पन्न राष्ट्रमंडल तथा 28 से 5 अगस्त 2023 के मध्य आयोजित चैंपियनशिप में ज्ञानेश्वरी ने दो स्वर्ण और एक रजत हासिल किया। इसके साथ ही कामनवेल्थ मुकाबले के जूनियर वर्ग में बेस्ट लिफ्टर का खिताब के लिए उन्हें चुना गया। ज्ञानेश्वरी ने 25 दिनों के अंदर अलग-अलग प्रदर्शन के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर के दो स्वर्ण, एक रजत पदक जीता। उल्लेखनीय है ज्ञानेश्वरी की इस उपलब्धि के पीछे खेल के प्रति उनका लगाव, समर्पण लेकिन इसके अलावा उनके अभिभावकों, परिवार के सदस्यों, प्रशिक्षक तथा राजनांदगांव भारोत्तोलन संघ के पदाधिकारियों की भूमिका भी प्रभावी रही। एक साधारण परिवार में जन्म लेकर ज्ञानेश्वरी का जूनियर वर्ग में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक प्राप्त करना यह साबित करता है कि उनमें प्रतिभा, परिश्रम की कोई कमी नहीं बस उन्हें उचित खान-पान, परिवहन, आवास, सटीक प्रशिक्षण और युवा होने के नाते सुरक्षा की आवश्यकता है। इस हिसाब से उनके प्रशिक्षक अजय लोहार, खेल संघ के पदाधिकारियों, खेल प्रेमियों, दानदाताओं के साथ ही आजमानी परिवार का निरंतर संरक्षण, सहयोग मिलता रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण के बाद जितने भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पदक खिलाडिय़ों ने अपनी झोली में लाये हैं उनका अध्ययन कर लिया जाए तो पता चल जायेगा कि राज्य शासन या खेल विभाग की ऐसी प्रतिभाओं के लिए क्या भूमिका रही। खेल को राजनीति से अवश्य ही अलग रखना चाहिए लेकिन जब ऐसी कोई उपलब्धि होती है तो शासन-प्रशासन में बैठे लोग इसका श्रेय लेने में कोई कमी नहीं करते। इसके अलावा खल के ऐसे महान सितारों का सम्मान करने की या पुरस्कृत करने की बात आती है तो अधिकांश को शासकीय सेवा में छोटा पद देकर संतुष्ट किया जाता है ऐसा करके संबंधित राजनेता और अधिकारी यह साबित करना चाहते हैं कि वे छत्तीसगढ़ की महान खेल प्रतिभाओं के साथ हैं। इसका उदाहरण स्वयं राजनांदगांव की उभरती हुई भारोत्तोलक ज्ञानेश्वरी यादव हैं जिन्होंने सुविधाओं के अभाव में इतिहास रच दिया और छत्तीसगढ़ की आने वाली पीढ़ी के लिए आदर्श प्रस्तुत किया है। ऐसी महान खिलाड़ी को पुलिस विभाग में सहायक पुलिस उपनिरीक्षक याने एक सितारा पुलिस कर्मचारी की छाप दे दी गई है। यह निर्णय जिन्होंने भी लिया हो लेकिन उस पर छत्तीसगढ़ सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाली ज्ञानेश्वरी को कम से कम पुलिस विभाग में रक्षित निरीक्षक याने रिजर्व इंस्पेक्टर की सेवा दी जानी चाहिए थी। लगता है पुरस्कृत करने वालों को नहीं मालूम कि भारोत्तोलन जैसे खेल के खिलाडिय़ों का जीवन आमतौर पर पांच-छ: साल से अधिक नहीं होता है आगे उन्हें सीनियर वर्ग में और सफलता मिलेगी तो छत्तीसगढ़ राज्य में स्पोट्र्स आफिसर, डीएसपी या डिप्टी कलेक्टर जैसे पद से नवाजा जा सकेगा। परंतु भारोत्तोलन जैसे जोखिम भरे खेल में चोट लगने या अधिक प्रतिभाशाली प्रतिभागी आने की वजह से आगे नहीं बढ़ सके तो कम से रिजर्व पुलिस निरीक्षक से उपर पदोन्न्ति द्वारा सम्मानजनक जीवन जिया जा सकता है। खिलाडिय़ों के प्रति जब तक सोच नहीं बदलेगी छत्तीसगढ़ में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी पैदा होना संभव नहीं है।

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