खेल – मनोरंजन

जीवंत प्रसारण ने दी भारतीय खेल जगत को नई दिशा

फुटबाल: इंडियन सुपर लीग-2022-23, प्लेऑफ सेमीफायनल, फायनल 3 मार्च से 18 मार्च तक

– जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
हमारे देश में करीब 40 वर्ष टेलीविजन द्वारा खेल स्पर्धाओं के जीवंत प्रसारण की परंपरा आरंभ हुई है। भारत में 1982 के एशियाई खेलों के दौरान रंगीन टेलीविजन से प्रसारण आरंभ हुआ। 1928 से 1976 तक ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में हाकी की बादशाहत फिर 1948 से 1970 तक भारतीय फुटबाल के स्वर्णयुग का दौर समाप्त हुआ। इस दौरान भारत के महिला व पुरुष वर्ग के मिल्खा सिंह, पीटी ऊषा आदि गिने-चुने प्रतिभागियों के कारण हमारे देश के खेल परिदृश्य में शून्यता नहीं आई। लेकिन 1983 में कपिल के नेतृत्व में भारतीय क्रिकेट टीम के विश्व विजेता बनते ही देश के माहौल में तीन प्रमुख क्रांतिकारी परिवर्तन आये। क्रिकेट के सिरमौर बनते ही यह खेल अचानक ही भारत के बच्चों, किशोरों, युवाओं का पहली पसंद बन गई, इसके अलावा रंगीन टेलीविजन के माध्यम से क्रिकेट मैच के सीधे प्रसारण ने खेल के साथ ही उत्पादकों को विज्ञापन के द्वारा उत्पाद को घर-घर पहुंचाने में सफलता मिली। तीसरी प्रमुख घटना खिलाडिय़ों की प्रसिद्धि बढ़ी और उनके लिए खेल के माध्यम से धन अर्जित करने का मार्ग खुल गया। क्रिकेट के तीनों प्रारूप टेस्ट मैच, एक दिवसीय या टी-20 में मुकाबले के दौरान इतना खाली समय मिल जाता है जिसका उपयोग मीडिया राइट्स लेने वाले मानव जीवन के लिए उपयोगी विभिन्न वस्तुओं के विज्ञापन से करते हैं। 21वीं सदी के आते-आते भारत में क्रिकेट मैच के सीधे प्रसारण ने दुनियाभर के उद्योगपतियों, व्यवसायियों को अकूत धन अर्जित करने का अवसर प्रदान कर दिया। आज की परिस्थिति में भारत में खेल के साथ टेलीविजन से जीवंत प्रसारण वास्तव में एक उद्योग, व्यापार बन गया है। 2008 में भारत में विदेशी क्लब पैटर्न से क्रिकेट की इंडियन प्रीमियर लीग की शुरुआत हुई। उसकी सफलता ने क्रिकेट और मजबूत आर्थिक स्थिति की जोड़ी बना दी। आधुनिक काल के 18वीं सदी के उत्तराद्र्ध से हमारे देश में फुटबाल, व्हालीबाल, बाद में कबड्डी, खो-खो, कुश्ती, हाकी आदि खेल गांव-गांव के खेल बन गये। परंतु आज क्रिकेट की जड़ उनसे मजबूत हो गई है। इस बात को ध्यान में रखे हुए कबड्डी, फुटबाल, व्हालीबाल, बास्केटबाल, बैडमिंटन, हाकी, टेनिस आदि खेलों के प्रशंसकों, औद्योगिक घरानों, कार्पोरेट जगत ने भारत में इन खेलों की स्पर्धाएं आयोजित कर टेलीविजन से प्रसारण के लिए पैसों का दांव लगाया। इसमें कुछ तो सफल हुए कुछ असफल परंतु इससे खेल जन-जन तक पहुंचा तथा खिलाडिय़ों, निर्णायकों, सहयोग सदस्यों का जीवन स्तर सुधर गया। क्रिकेट के पश्चात कबड्डी की प्रो-कबड्डी लीग की शुरुआत 20 मई 2014 से फिर फुटबाल की इंडियन सुपर लीग 12 अक्टूबर 2014 से आरंभ हुई। क्रिकेट के आईपीएल के साथ ही साथ तीनों प्रतियोगिता प्रतिवर्ष आयोजित की जा रही है। इस तरह हमारे देश में खेलों को लोकप्रिय बनाने के साथ-साथ खेल से जुड़े समस्त लोगों के जीवनस्तर को ऊपर उठाने की प्रक्रिया जारी है। टेलीविजन के माध्यम से क्रिकेट के जीवंत प्रसारण को देखने वालों की संख्या भले ही जयादा हो लेकिन कबड्डी व फुटबाल के चाहने वालों की कोई कमी नहीं है। फुटबाल की इंडियन सुपर लीग जो 7 अक्टूबर 2022 को आरंभ हुई उसके प्ले आफ, सेमीफायनल, फायनल का दौर 3 मार्च 2023 से आरंभ होगा तथा 18 मार्च को फायनल खेला जाएगा। क्रिकेट के मुकाबले प्रिंट, इलेक्ट्रानिक मीडिया में फुटबाल, कबड्डी को कम कवरेज दिया जाता है। इस ओर अगर मीडिया जगत के कर्णधार ध्यान देंगे तो भारत में खेल का ही भला होगा। देखने में यह भी आ रहा है कि चाहे चर्चा फुटबाल की करें या कबड्डी के विभिन्न मीडिया समूह दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक या वार्षिक अंकों में इन खेलों के परिणाम ही नहीं मैच की तिथि तक को प्रचारित नहीं किया जाता है। यह चिंता का विषय है।

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