छत्तीसगढ़

केशकुतुल पंचायत के ग्रामीण वनोपज बेचकर मिले पैसे से बना रहे हैं सड़क

बीजापुर । इन दिनों छत्तीसगढ़ सरकार पूरे प्रदेश में सुशासन तिहार मना रही है जहाँ लोग सड़क, पानी और बिजली जैसे मूलभूत सुविधाओं की मांग कर रहे हैं, लेकिन ग्रामीणों की मांग पर सरकार और प्रशासन कितनी गंभीर है इसे इस बात से अनुमान लगाया जा सकता है कि बार बार सड़क निर्माण की मांग करने के बावजूद भी सड़क निर्माण में सरकार और प्रशासन की कोई दिलचस्पी नहीं होने से ग्रामीणों ने स्वयं ही टोरा, महुआ, इमली और आंवला जैसे वनोपज से इक्कठे पैसे से सड़क बनाने लग गए।
ऐसा ही एक मामला बीजापुर जिले के भैरमगढ़ ब्लॉक के ग्राम पंचायत केसकुतूल से नगर पंचायत भैरमगढ़ तक कुल आठ किलोमीटर सड़क निर्माण करने की मांग ग्रामीणों द्वारा लगातार की जा रही थी लेकिन सड़क निर्माण कार्य पर न ही सरकार ने कोई दिलचस्पी दिखाई और न ही प्रशासन ने द्वारा कोई ध्यान दिया गया इस बीच ग्रामीणों ने ही सुशासन तिहार के बीच अपने वनोपज से इक्कठा किए गए रुपए से सड़क बनाने का काम शुरू कर दिया है। ग्रामीणों ने बताया कि सड़क निर्माण करने को लेकर वे सुशासन तिहार में भी कई बार गुहार लगाए पर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया।इस संबंध में क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य लच्छूराम मौर्य का कहना है कि ग्राम पंचायत केशकुतुल के सुराखड़ा गांव के लोग जिनकी आबादी 350 के आसपास है वे अपने गांव की सड़क को भैरमगढ़ तक निर्माण करने के लिए ग्रामीणों ने कई बार सरकार और प्रशासन को पत्र लिखे थे लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई इसलिए ग्रामीणों ने अपने वनोपजों को बेच कर सड़क निर्माण कार्य कर रहे है जो कि एक गंभीर विषय है इसे देखकर ऐसा लगता है कि सरकार को आम नागरिकों से कोई सरोकार नहीं है।जनपद पंचायत भैरमगढ़ के मुख्य कार्यपालन अधिकारी पी आर साहू का कहना है कि सुशासन तिहार में ग्रामीणों ने सड़क निर्माण कार्य करने की मांग से अवगत कराया, रोजगार गारंटी योजना में केवल मिट्टी का काम स्वीकृत किया जा सकता है। मुरमीकरण का प्रावधान मनरेगा योजना में नहीं है। यदि ग्राम पंचायत अपने स्वयं के साधन से मुरमीकरण करना चाहते है तो मिट्टी सड़क स्वीकृत किया जा सकता है। उन्होंने आगे बताया है कि मार्ग पथरीला है चट्टान और मुरुम है कड़ी मिट्टी होने के कारण मनरेगा योजना से कार्य कराने में रुचि नहीं दिखाया है।

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