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खेल – मनोरंजन

खेल आकाश में नीरज ने लगाया चार चांद

विश्व एथलेटिक्स प्रतियोगिता -2023, भारत के नीरज चोपड़़ा ने बनाया कीर्तिमान

– जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
142 करोड़ की आबादी वाले देश की ओर पूरे संसार की निगाहें लगी हुई है। सब के सब नीरज चोपड़ा की उपलब्धि से आश्चर्यचकित हैं। उत्तरी मध्य, अमेरीका महाद्वीप, एशिया और यूरोप महाद्वीप के एथलेटिक्स के खिलाड़ी नीरज की सफलता पर अध्ययन की शुरुआत कर चुके हैं। 2020 टोक्यो ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता का वास्तविक परीक्षण 2023 में हुआ। नीरज चोपड़ा ही नहीं भारत के अन्य ओलंपिक खेलों के उदयीमान खिलाडिय़ों की विश्व स्तर पर ऐसा अद्भुत प्रदर्शन अमेरीका, यूरोप, एशिया के देशों के खिलाडिय़ों और प्रशिक्षकों की आंखें खोल देने के लिए काफी है। भारत में इन दिनों आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। इस अवसर को नीरज चोपड़ा के भालाफेंक ने सवर्णिम सितारों से सजा दिया है। हजारों, लाखों टिमटिमाते तारे नीरज चापेड़ा की जीत का जश्न मना रहे हैं। सचमुच यह भारत के लिए गौरव का क्षण है। भारत में खेलकूद को गांव-गांव तक पहुंचाना है तो भालाफेंक में नीरज की उपलब्धि का बखान हमारे देश के सभी मीडिया माध्यमों से करना चाहिए। 1983 से प्रारंभ विश्व एथलेटिक्स स्पर्धा के पदक तालिका में भारत का नाम अंकित होने का यह सिर्फ दूसरा अवसर है। इसके पहले 2003 में भारत की अंजू बॉबी जॉर्ज ने लंबी कूद में तीसरा स्थान पाकर कांस्य पदक हासिल किया था। खेलकूद के प्रति आज के बच्चों, किशोरों व युवाओं में रुझान पैदा करने के लिए जरूरी है कि नीरज चोपड़ा की तरह प्रत्येक अंतर्राष्ट्रीय मुकाबलों में पदक जीतने वाले प्रतिभागियों का मान-सम्मान करना तथा प्रत्येक मीडिया द्वारा उसका प्रचार-प्रसार करना। 2023 की इस स्पर्धा के माध्यम से 3000 मी. के स्टीपलचेस इवेंट में भारत की पारुल चौधरी ने न सिर्फ राष्ट्रीय रिकार्ड तोड़ा बल्कि 2024 के पेरिस ओलंपिक के लिए योग्यता हासिल की ऐसा ही कमाल 4&400 पुरुष रिले टीम ने किया। उन्होंने एशियाई कीर्तिमान को ध्वस्त करते हुए पांचवा स्थान पाया। टीम खेल में भारत के हॉकी टीम ने ओलंपिक खेलों में 6 स्वर्ण पदक जीते हैं गैर ओलंपिक खेलों में क्रिकेट में भारतीय खिलाडिय़ों ने जलवा बिखेरा है। टीम खेल में सभी सदस्यों का आपसी सामंजस्य, सामूहिक प्रयास का महत्व होता है लेकिन एकल खेल में सब कुछ खिलाड़ी की मानसिक परिपवक्वता, साहस, अनुशासन, त्वरित निर्णय लेने की क्षमता, दृढ़ निश्चय, प्रतिदिन के कड़े अभ्यास आदि का विशेष महत्व होता है। सिर्फ 15 वर्ष की उम्र में भाला को अपना साथी बनाने वाले नीरज ने इसके पहले 2016 में दक्षिण एशियाई खेल, 2016 में वल्र्ड जूनियर स्पर्धा, 2018 राष्ट्रमंडल खेल, एशियाई खेल, 2020 में ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीत चुके थे परंतु विश्व एथलेटिक्स प्रतियोगिता में वे कोई पदक नहीं जीत सके थे। नीरज के निश्चय ने उन्हें 2023 में विश्व स्पर्धा में स्वर्ण पदक दिला दिया। इन सब पर विचार करने से स्पष्ट हो जाएगा कि पानीपत हरियाणा के इस खिलाड़ी को सबसे पहले अपने अभिभावकों का प्रोत्साहन मिला। कुछ कर गुजरने की चाहत ने नीरज को भालाफेंक की पूरी दुनिया को अपने हाथों में कर लेने के लिए आंतरिक शक्ति दी। उन्होंने इसे साबित किया क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का खेलों के प्रति लगाव और बजट आबंटन ने नीरज जैसे अनेक विश्व स्तरीय खिलाडिय़ों को कभी नीचा देखने का मौका नहीं दिया। भारत सरकार के खेल मंत्री, खेल विभाग, भारतीय खेल प्राधिकरण आदि ने नीरज को इन ऊंचाईयों में पहुंचाने की जो भूमिका निभाई है उसका कोई जवाब नहीं।

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