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छत्तीसगढ़

नर्सिंग एक्ट का रजिस्ट्रेशन नहीं, फिर भी गंभीर बीमारियों की जांच

पत्थलगांव । शहर के भितर एक दर्जन से भी अधिक मेडिकल लैब संचालित की जा रही है,इनमे से अधिकांश संचालको के पास नर्सिंग होम एक्ट का रजिस्ट्रेशन तक नही है,ये किराये की छोटी बडी दुकानो मे अपना व्यापार चलाकर बगैर रजिस्टेऊशन के ही गंभीर से गंभीर बिमारीयों की जांच कर उसकी रिपोर्ट मरीज को थमा दे रहे है,उनके इस व्यापार मे चिकित्सा विभाग भी पूरी तरह साथ निभाने मे लगा हुआ है,मिली जानकारी के अनुसार ऐसे लैब संचालको पर उनके आवश्यक दस्तावेजो की जांच करने का जिम्मा चिकित्सा विभाग का है,परंतु यहा का चिकित्सा विभाग शुरू से ही अपनी लचर कार्यप्रणाली के कारण मरीजो की परेशानी का कारण बने रहता है। बताया जाता है कि यहा संचालित कुछ अवैधानिक मेडिकल जांच लैब मे केंसर जैसी गंभीर बिमारी का भी बडी ही आसानी से जांच कर उसकी रिपोर्ट मरीज को दे दी जाती है। बताया जाता है कि मेडिकल की जांच लैब चलाने के लिए संचालक को पहले अपने भवन के अलावा पर्यावरण से अनुबंध भी लेना पडता है,परंतु यहा नर्सिंग होम एक्ट की खुलकर धज्जियां उडायी जा रही है। एक मरीज ने अपना नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि एक निजी पैथोलॉजी लैब वाले ने उसके ब्लड गु्रप को ही बदलकर दूसरे ब्लड ग्रुप की जानकारी प्रदान कर दी थी,बाद मे उसके द्वारा जब सिविल हॉस्पिटल मे अपने ब्लड गु्रप की जांच करायी गयी तो वहा माजरा कुछ और ही निकला,इस तरह पैथोलॉजी लैब के संचालक नर्सिंग एक्ट की धज्जियां उडाने के साथ-साथ मरीजो की जान के साथ भी खुलकर खिलवाड कर रहे है।
तीन केटेगरी की लैब-:नर्सिंग एक्ट होम के तहत पैथोलॉजी लैब को तीन केटेगरी मे बाटा गया है,जिसके तहत पहली केटेगरी मे कलेक्शन सेंटर,दूसरी केटेगरी मे लार्ज लैब एवं तीसरी केटेगरी मे स्मॉल लैब आती है। यहा के अधिकांश लैब संचालको के पास रूटीन चेकअप के साथ स्मॉल लैब का रजिस्टैऊशन है जबकि स्मॉल लैब मे मातर्् रूटीन टेस्ट के तहत शुगर,सी.बी.सी,एच व्ही,मलेरिया, टायफाईड की जांच कर सकते है,
इसी तरह लार्ज लैब मे लिवर,किडनी,रिपिड प्रोफाईल,हॉर्मोन एवं एच.बी.ए.वन सी जैसी गंभीर बिमारीयों की जांच हो सकती है,वही कलेक्शन सेंटर मे मातर्् ब्लड कलेक्ट कर उसे लैब मे जांच करने भेजा जाता है,परंतु यहा स्मॉल लैब का रजिस्टेऊेशन मे कैंसर जैसी गंभीर बिमारी की जांच कर रिपोर्ट थमा दी जा रही है।।
ग्रामीणों से हो रही मनमानी वसूली-आदिवासी बाहुल्य ईलाका होने का यहा के निजी लैब संचालक बखुबी फायदा उठा रहे है। छोटी सी किराये की दुकान मे बगैर संसाधनो के लैब संचालित कर रहे है,उनकी लैब मे जांच करने के लिए किसी प्रकार की मशीने उपलब्ध नही है,ये पुराने तरीके से बिमारीयों की जांच कर कम्प्युटर से जांच रिपोर्ट बना देते है। जांच के नाम पर ये ग्रामीण क्षेत्र से आये मरीजो से मनमाने रूपयो की वसूली कर रहे है।
उसके बाद भी उनके इन कारनामो पर लगाम चिकित्सा विभाग के एक भी बडे अधिकारी ने आज तक अपना ध्यानाकर्षण नही किया।।
–मरीजो के स्वास्थ्य से कोई भी झोलाछाप डॉक्टर या अवैधानिक पैथोलॉजी लैब के संचालक खिलवाड करते है तो उसके लिए ब्लाक मेडिकल ऑफिसर को जांच एवं कार्यवाही के स्पष्ट निर्देश दिये गये है,वो पुलिस एवं राजस्व की टीम के साथ ऐसी जगहो पर जाकर जांच एवं उचित कार्यवाही कर सकते है,मै पुन: ब्लाक मेडिकल अधिकारी को निर्देशित करूंगा।
डॉ रंजीत टोप्पो-जिला चिकित्सा अधिकारी-जशपुर

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