खेल – मनोरंजन

सात समुंदर पार बिखरेगी सितारे की चमक

छत्तीसगढ़ की बेटी दृष्टिहीन एथलीट ईश्वरी निषाद ने रचा इतिहास

– जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
संसार में जन्म लेने के बाद कुछ ना कुछ पा जाने की चाहत मनुष्य को आगे बढऩे की प्रेरणा देती है। मानव शरीर से पैदा होने वाले प्रत्येक बच्चे में कुछ ना कुछ अलग होता है। खूबसूरती तो सबमें होती है देखने का नजरिया चाहिए। खेलकूद की दुनिया में सामान्य शरीर वालों की प्रतियोगिता सबसे पहले आरंभ हुई। शुरुआती दौर में लिंगभेद रहा परंतु महिलाओं को पूरा सम्मान देते हुए उनकी स्पर्धा अलग से आयोजित करने की परंपरा शुरु हुई। आज स्थिति यह है कि महिला पुरुष की संयुक्त टीम बन जाती है। इस प्रकार खेल जगत की चैंपियनशिप में लगातार सकारात्मक बदलाव आते रहे हैं। समय के परिवर्तन के साथ सामान्य से अलग पैदा हुए शिशु के लिए खेलकूद के साथ ही समाज के विभिन्न गतिविधियों में शामिल करने की मांग उठने लगी। इसमें औसत से कम ऊंचे याने नाटे या फिर सामान्य कद काठी के साथ नि:शक्त या विकलांग मनुष्यों को सम्मिलित किए जाने की मांग उठी। जन्म से या किसी दुर्घटना की वजह से अपने शरीर का कोई अंग खो जाने वालों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं होती। इस बात को विशेष ध्यान में रखते हुए विश्व स्तर पर प्रतियोगिता के आयोजन की मांग उठने लगी। आज स्थिति यह बन पड़ी है कि विश्व स्तर पर बाकायदा नि:शक्त खिलाडिय़ों के लिए अंतर्राष्ट्रीय खेल फेडरेशन का गठन हो गया। अब ग्रीष्मकालीन, शीतकालीन ओलंपिक खेलों, महाद्वीपीय खेलों, अनेक विश्व चैंपियनशिप नि:शक्त खिलाडिय़ों के लिए आयोजित हो रहे हैं। इसी तरह की प्रतियोगिताएं अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक परिषद द्वारा मान्यता प्राप्त करीब 209 देशों में भी सम्पन्न हो रही है। ओलंपिक खेलों में इंटरनेशनल स्टोक मैंडविले गेम्स फेडरेशन के तत्वावधान में 1948 तथा 1952 में पुराने सैनिकों के लिए आयोजित स्पर्धा के बाद 1960 के रोम ओलंपिक खेलों से शारीरिक रूप से असामान्य खिलाडिय़ों के लिए पैरालिंम्पिक्स गेम्स हो रहे हैं। इसी तरह 2010 से नि:शक्त प्रतिभागियों के लिए पहला एशियन पेरागेम्स का आरंभ गुआंगझुआ चीन में हुआ। अब इस वर्ष 22 से 28 अक्टूबर 2023 तक हांगझाउ चीन में सम्पन्न होने जा रहा है। इसमें तीरंदाजी, एथलेटिक्स, बेडमिंटन, बोर्ड गेम्स (चेस, गो) बोसिया, केनोइंग, सायकलिंग (रोड, ट्रेक) ब्लाइंड फुटबाल, गोलबाल, जूडो, लॉन बाल्क, पावर लिफ्टिंग, नौकायन, सिटिंग व्हालीबाल, निशानेबाजी, तैराकी, टेबल टेनिस, टाइक्वांडो, व्हिलचेयर, बास्केबाल, तलवारबाजी और टेनिस की प्रतियोगिताएं होंगी। उपरोक्त स्पर्धा में शरीर के विभिन्न अंगों से पीडि़त, प्रभावित खिलाडिय़ों का अलग-अलग खेलों में मुकाबला होगा। एशिया के जिन 43 देशों के इसमें भाग लेने संभावना है उसमें भारत भी शामिल है। हमारे देश के प्रतिभागी एथलेटिक्स, बैडमिंटन, पावर लिफ्टिंग आदि खेलों में भाग लेंगे। यह बड़े ही गर्व की बात है छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले की करमापटकर बागबाहरा के फाच्र्यून फाउंडेशन ब्लाइंड स्पेशल स्कूल की विद्यार्थी ईश्वरी निषाद ने पेरा एशियन गेम्स 2023 के लिए योग्यता हासिल कर लिया है। ईश्वरी ने दृष्टिबाधित वर्ग में नईदिल्ली में ट्रायल के दौरान 200 मीटर दौड में भारत में पहला और एशियाई रेकिंग में पांचवा जबकि 400 मी. दौड में देश में दूसरा जबकि एशियाई रेकिंग में सातवां स्थान प्राप्त किया। पैरा एशियन गेम्स के लिए पहली बार चयनित किसी प्रतिभागी के रूप में ईश्वरी आज छत्तीसगढ़ में हताश-निराश हो चुके नि:शक्तजनों की आशा का केंद्र बन गई है। इसके पहले भी ईश्वरी ने राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीता है। जबकि इस तरह की उपलब्धि को छत्तीसगढ़ में और अधिक प्रचारित-प्रसारित किया जाना चाहिए। छत्तीसगढ़ शासन के खेल विभाग के साथ ही छत्तीसगढ़ पेरालिंपिक फेडरेशन को आगे आकर ईश्वरी को बढऩे के लिए सुविधा व धन से मदद करना चाहिए। ऐसा करने से हमारे प्रदेश में खेल वातावरण बनेगा।

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