विश्व विजेताओं को दीजिए सम्मान व संरक्षण
मलखंब: दूसरी विश्व प्रतियोगिता भूटान में 9 से 12 मई 2023 तक सम्पन्न
– जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
भारत का इतिहास विभिन्न तरह की गतिविधियों से भरा हुआ है। शासन, स्मारक, युद्ध रणनीति, प्रशासन, गीत, संगीत, मनोरंजन कला, नृत्य, लोक खेल, वाद्य यंत्र, सेना, परंपरा, वेशभूषा, खानपान आदि बहुत कुछ हमारे देश में विशिष्ट है। बात अगर खेलों की हो तो फिर बहुत से प्राचीन, पारंपरिक खेल भारत की पहचान हैं। शतरंज, जूडो एवं कराते, पोलो, लुडो, सांप व सीढ़ी, खो-खो, कबड्डी, ताशपत्ते और मलखंब जैसे खेल दुनिया को हमारे देश की जनता, शासकों, सेना आदि द्वारा दिये गये। रक्षा अध्ययन विषय का विद्यार्थी (1979) होने के नाते हमने संबंधित विषय के कई पाठ्यपुस्तकों में युद्ध के दौरान भारत पर आक्रमणकारी सेना के अलावा विभिन्न देशों के सेनाओं के युद्ध विराम काल या फिर शांतिकाल या फिर युद्ध की तैयारी के दौरान कई खेलों के आरंभिक रूप को उदय होते हुए अध्ययन किया है। थके-हारे सैनिक नियमित अभ्यास की अवधि या फिर विश्राम साल में अपने आपको चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए भारोत्तोलन, कुश्ती, मलखंब, मुक्केबाजी, तीरंदाजी, घुड़सवारी, मार्शल आर्ट (पैदल चाल, दौडऩा, उछलना, फेकना, कूदना याने एथलेटिक्स) डोंगीचालन आदि खेलों में अभ्यस्त हुआ करते थे। भारत के पुराने, लुप्तप्राय खेलों में एक मलखंब को फिर से हमारे देश के राष्ट्रप्रेमियों ने बढ़ावा देना आरंभ किया है। आधुनिक प्रतिदिन की जीवन शैली में मलखंब की महत्ता को देखते हुए इस खेल को 36वें राष्ट्रीय खेलों 2022 में गोवा में शामिल किया गया। इसके पहले 9 अप्रैल 2013 को मलखंब को मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य खेल घोषित किया है। आज देशभर के लगभग सभी राज्यों में मलखंब का खेल फेडरेशन बन चुका है। मलखंब जिमनास्टिक्स योग, कुश्ती और मार्शल आर्ट का मिला जुला रूप होता है। यह खेल महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश में बहुत लोकप्रिय है लेकिन अब दिल्ली, हरियाणा, छत्तीसगढ़, गुजरात आदि राज्यों में यह खेल बड़ी तेजी से बढ़ा है। अब तो अन्य खेलों के समान ही द्वितीय विश्व मलखंब चैंपियनशिप 9 मई से 12 मई 2023 तक भूटान में आयोजित की गई। भारतीय टीम में छत्तीसगढ़ के तीन खिलाडिय़ों का चयन यह साबित करता है कि प्रदेश में इस खेल को राजनेताओं, खेल प्रशासकों, प्रशिक्षकों, स्थानीय खिलाडिय़ों उनके अभिभावकों ने पूरी गंभीरता से लेते हुए उसका दिल से स्वागत किया है। मलखंब के विश्व स्तर के खिलाड़ी धुर नक्सल क्षेत्र नारायणपुर के अनुसूचित जनजाति वर्ग से आते हैं। मलखंब में तीन तरह के खंबे में निर्धारित 90 सेकंड के अंदर अपना प्रदर्शन प्रस्तुत करना होता है। जिस पर मुख्य निर्णायक के साथ कुल पांच लोग अपनी नजर रखकर निर्णय देते हैं। सिर्फ 90 सेकंड का यह खेल बहुत ही आकर्षक, विस्मयकारी होता है। बालक वर्ग में संतोष शोरी, बालिका वर्ग में जयंती कचलाम तथा संताय पोटाई ने तीन स्वर्ण पदक जीतकर न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि भारत का नाम संसार में रौशन किया है। सभी खिलाड़ी बधाई और आशीर्वाद के योग्य हैं। पंरतु इनको कड़ी मेहनत करके तैयार करने वाले प्रशिक्षक मनोज प्रसाद सबसे अधिक शाबासी के पात्र हैं। अभी तो छत्तीसगढ़ शासन द्वारा नारायणपुर में एक मलखंब अकादमी की स्थापना के लिए 2.83 करोड़ रुपये दिये गये हैं। अब जबकि इन खिलाडिय़ों ने प्रदेश, देश व अपने क्षेत्र का नाम रौशन किया है तो उन्हें संरक्षण दिये जाने की जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की है। विश्व स्पर्धा में पदक जीतने के कारण सबसे पहले इन खिलाडिय़ों के कोच मनोज प्रसाद को राजपत्रित पद पर उप पुलिस अधीक्षक (डी.एस.पी.) या उप जिलाध्यक्ष (डिप्टी कलेक्टर) पर नियुक्ति दी जानी चाहिए साथ ही तीनों स्वर्ण पदक विजेता खिलाडिय़ों के खेलकूद, प्रशिक्षण, खानपान, उच्च शिक्षा तक की जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ शासन को लेना चाहिए। फिर जैसे ही ये खिलाड़ी योग्यता रखेंगे उन्हें भी राजपत्रित पद पर नियुक्ति दे दी जानी चाहिए। इस तरह की कोशिश से अन्य उभरते हुए खिलाडिय़ों को प्रेरणा मिलेगी और उनके अभिभावक अपने बच्चों को खेलकूद में आगे बढऩे के लिए प्रोत्साहित करेंगे और भविष्य में छत्तीसगढ़ का खेल और लोकप्रिय होगा।