स्वयं के परीक्षण पर खरा उतरना बड़ी चुनौती
पी.व्ही.सिंधु का ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप 2023 में निराशाजनक प्रदर्शन
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– जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
कहते हैं कि खिलाड़ी का अपना दिन होता है। यह बात एकल चैपियनशिप वाले प्रत्येक खेल पर विशेषकर लागू होता है। अब देखिए भारत की महान बैडमिंटन खिलाड़ी, पूर्व विश्व चैंपियन पी.व्ही. सिंधु सबसे प्रतिष्ठित 2023 के ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन टूर्नामेंट के पहले ही चक्र में बाहर हो गयी। उन्हें चीन की वाय झांग ने आसानी से 21-17,21,17 से पराजित कर दिया। हार या जीत जिंदगी में किसी भी दांव या खेलकूद का हिस्सा होता है। अंतिम परिणाम में एक को विजेता दूसरे को उपविजेता बनना पड़ता है। पी.व्ही. सिंधु जब भी इस स्पर्धा में खेलती है तो भारतीय खेल प्रेमी उनके चैंपियन बनने की उम्मीद करते हैं। 1980 में प्रकाश पादुकोण फिर 2001 में पुलेला गोपीचंद के पश्चात अन्य कोई भी भारतीय खिलाड़ी इस प्रतियोगिता को जीतने में सफल नहीं हुए हैं। 2016 के रियो द जनेरियो और 2020 के टोक्यो ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में रजत पदक और कांस्य पदक हासिल कर चूंकि सिंधु से हर बार की तरह इस बार भी कमाल की उम्मीद थी लेकिन विश्व की 17 वें नंबर की खिलाड़ी वाय झांग ने इसे पूरा नहीं होने दिया। एकल स्पर्धाओं के किसी भी खेल में महान खिलाडिय़ों के आरंभिक चक्र में पराजित हो जाने की यह पहली घटना नहीं है। ऐसा विशेषकर बैडमिंटन व टेनिस में कई बार हो चुका है। आखिर क्यों होता है ऐसा इसकी कई वजह है जिनमें खिलाड़ी का चोटिल होना, लंबी यात्रा, खान-पान में बदलाव, यात्रा में व्यवधान, मौसम का अनुकूल नहीं होना, प्रशिक्षण में कमी, अभ्यास के लिए कम समय मिलना आदि प्रमुख है। फिर भी इसके बावजूद खिलाड़ी की मानसिक स्थिति ठीक नहीं होना, शारीरिक रूप से अस्वस्थ होना और अपने विपक्षी को कमजोर आंकना भी अप्रत्याशित परिणाम के गवाह बनते हैं। सिंधु 2022 में चोट लगने की वजह से कोर्ट से करीब 5 माह बाहर रही थी। अभी उन्हें कोर्ट में वापस आने में समय लग सकता है। इसके पहले 2015 में भी चोट लगने की वजह से वे छह माह तक मुकाबले से बाहर रही थी। विश्व की नंबर नौ वरीयता प्राप्त खिलाड़ी के इस तरह के फीके प्रदर्शन से अन्य खिलाडिय़ों को सबक लेने की आवश्यकता है। आज हमारे देश में खेलकूद को विशेष महत्व दिया जा रहा है। भारतीय खिलाड़ी हाकी,क्रिकेट,कबड्डी जैसे दलीय खेल में विश्व स्तर पर लाजवाब प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी तरह एथलेटिक्स, जिमनस्टिक्स, मुक्केबाजी,निशानेबाजी,कुश्ती,शतरंज, भारोत्तोलन,बैडमिंटन, टेनिस, तीरंदाजी आदि खेलों में बड़ी तेजी के साथ विश्व स्तर पर उभरकर आ रहे हैं। केंद्र सरकार की मदद से भारतीय खेल प्राधिकरण के द्वारा हमारे उभरते हुए खिलाडिय़ों को लगातार उच्च स्तरीय प्रशिक्षण व सुविधाएं दी जा रही हैं। अत: यह जरूरी है कि खिलाड़ी मैदान में उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन करें। खिलाडिय़ों पर जीतने का दवाब न डालकर उनसे सर्वश्रेष्ठ खेल दिखाने की अपेक्षा करना ज्यादा श्रेयस्कर होगा। आधुनिककाल में किसी एक टूर्नामेंट में मिली असफलता से खिलाड़ी पर विजय हासिल करने का दबाव बढ़ जाता है। दूसरी तरफ प्रतिभागी किसी दबाव में आकर अच्छा प्रदर्शन करने से वंचित हो जाता है। घायल होकर स्वस्थ होने की प्रक्रिया लंबी होती है। ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन में सिंधु की हार से सिर्फ नकारात्मक सोच ही उत्पन्न नहीं होता बल्कि स्वयं के फिटनेस की जांच करने और साहस का परिचय देने जैसे सकारात्मक सोच भी उभरकर आते हैं।