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छत्तीसगढ़

निजी स्कूलों ने लगाया रुपए मांगने का आरोप

कसडोल । छत्तीसगढ़ सरकार शिक्षा के स्तर को सुधारने और गुणवता के लिए प्रति वर्ष करोड़ों रूपए का बजट स्वीकृत करती है और अनेक प्रकार की योजनाएं संचालित करती है, साथ ही शिक्षा के अधिकार के तहत कई बच्चों को भी नि:शुल्क पढ़ा रही है।
ताकि कोई बच्चा शिक्षा से वंचित न रह जाए। साथ ही हर वर्ष अनेक अशासकीय स्कूलों को मान्यता प्रदान कर रही है, लेकिन कसडोल के विकासखंड शिक्षा अधिकारी राधेलाल जायसवाल को बच्चों के भविष्य से कोई लेना देना नही है, इन साहब को तो धन चाहिए ! चाहे प्राइवेट स्कूल की व्यवस्था जैसी भी रहे। आखिर अशासकीय स्कूल के प्राचार्य व प्रधानपाठक धन का सहयोग क्यों कर करेगा ? साहब के पत्र को धमकी माना जा सकता है ? जो धन से व्यवस्था नहीं करेगा उस स्कूल की मापदंड जांच करते हुए मान्यता पर ग्रहण लगाया जाएगा। यदि ऐसे ही धन के लेन देन का खेल चलता रहा तो कसडोल विकासखंड में शिक्षा व्यवस्था बद से बदत्तर होने में जरा सा भी समय नहीं लगेगा। साहब को बच्चों के भविष्य से ज्यादा चिंता अपनी जेब भरने की लगी है तो पालक और स्टूडेंट्स कैसे अच्छी शिक्षा व्यवस्था की कल्पना कर सकते है?
विवादों से है रिश्ता विकासखंड शिक्षा अधिकारी राधेलाल जायसवाल का: राधेलाल जायसवाल ने जब से कसडोल विकासखंड शिक्षा अधिकारी का पदभार संभाला है तब से ही कोई ना कोई विवादों में घिरे रहते हैं चाहे वह 5 एकड़ से भी अधिक शासकीय भूमि पर अवैध कब्जा कर खेती किसानी करने का मामला हो या सेवानिवृत शिक्षकों को समय पर पेंशन ना देने के अलावा डीएलएफ फंड के तहत अपात्रों को चयन को लेकर विवादों में रहे है।
पूर्व शिकायत पर क्षेत्रीय विधायक सहित साहब के गृह के विधायक द्वारा भी बलौदाबाजार जिले के अधिकारी के पास पैरवी किया गया था जिस पर वरिष्ठ अधिकारियों की दया दृष्टि राधेलाल जायसवाल पर बनी हुई है, लेकिन ऐसे गैर जिम्मेदार, अक्सर विवादों से घिरे रहने वाले को सहयोग करना निश्चित तौर पर उक्त जनप्रतिनिधियों को आगामी विधानसभा में नुकसान होगा।
सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है पत्र: कसडोल विकासखंड शिक्षा अधिकारी राधेलाल जायसवाल ने बकायदा पत्र टाइप और हस्ताक्षर करके एक आदेश जारी किया है जिसमें विकासखण्ड के सभी अशासकीय स्कूलों के प्राचार्य एवं प्रधानपाठक की आवश्यक बैठक दिनांक 28 जून 2023 को समय दोपहर 12:00 बजे आत्मानंद स्कूल कसडोल के प्रांगण में रखा गया था। जिसमें सभी अशासकीय स्कूलों के प्राचार्य एवं प्रधानपाठक की उपस्थिति अनिवार्य रखा गया था, जहां पर पुस्तक वितरण, फीस की जानकारी दी गई।
आरटीई के तहत प्रवेशित बच्चों की स्कूलवार व संकुलवार जानकारी एवं स्कूल प्रवेश उत्सव एवं सेवानिवृत हुए एबीओ राधेथान चौहान की विदाई समारोह रखा गया। तो इस कार्यक्रम में तन मन और धन की व्यवस्था की जरूरत कहां से पड़ गई ?
विकासखंड शिक्षा अधिकारी के इस आदेश का, एक बड़ा सवाल लोगों के मन मे चल रहा है साथ ही इसका पत्र सोशल मीडिया में भी वायरल हो रहा है। इधर आमजन जानना चाहती कि सरकार के शिक्षा विभाग का खजाना खाली हो गया है क्या ? जो अशासकीय स्कूलों से रूपये मांग कर कसडोल शिक्षा विभाग को संचालित करेगी ? विकासखंड शिक्षा अधिकारी राधेलाल जायसवाल इसी तरह से प्राइवेट स्कूल वालों से रूपया लेते रहे तो इसका सीधा असर पालक की जेब पर पड़ेगा । प्राइवेट स्कूल संचालित करने वाले अच्छी शिक्षा की ओर ध्यान नही देंगे जिसका व्यापक असर बच्चों की शिक्षा और भविष्य पर दिखाई देगा।

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