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छत्तीसगढ़

गुणवत्ताविहीन बालवाड़ी निर्माण से बच्चों को नही मिला सरकार की मंशा का लाभ

पत्थलगांव । छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार शिक्षा को लेकर बेहद गंभीर है। आत्मानंद स्कूल का निर्माण कराकर गरीब बच्चों को यह योजना मिल का पत्थर साबित हो रही है। शिक्षा के स्तर को और उंचा उठाने के लिए भूपेश सरकार ने प्रदेश मे बालवाडी का भी निर्माण कराया है। पहले चरण मे भूपेश सरकार ने प्रदेश के शासकीय स्कूलों में लगभग 5 हजार 173 बालवाडी का निर्माण कराकर छोटे बच्चों को पढऩे योग्य माहौल देने की तैयारी की थी। दूसरे चरण मे स्वयं छ.ग. के मुखिया भूपेश बघेल ने शाला प्रवेश उत्सव के दौरान प्रदेश मे 4 हजार 318 स्कूलो मे बनने वाली बालवाडी का शुभारंभ किया है। भूपेश सरकार द्वारा बालवाडी बनाने का उद्देश्य छोटे बच्चों को एक उचित माहौल देकर उन्हे पढाई के प्रति प्रेरित करना था,परंतु जशपुर जिला के पत्थलगांव ब्लाक में आकर भूपेश सरकार की यह मंशा धरी की धरी रह गयी। पत्थलगांव ब्लाक की बात करें तो यहा के 103 शासकीय स्कूलो मे बालवाडी बनायी जानी थी,जिसके लिए सरकार की ओर से प्रत्येक स्कूल मे लगभग 17 हजार 500 रूपये की राशि भेजी गयी थी,परंतु यह राशि बच्चो की बालवाडी बनाने से ज्यादा राजीव गांधी शिक्षा मिशन के अधिकारीयों की जेब भरने मे सहायक बनी। दरअसल पत्थलगंाव ब्लाक के 103 शासकीय स्कूलो मे बालवाडी का काम अभिभावक समिती के संयुक्त प्रयास एवं स्कूल के प्रधानपाठक को शासन की मंशा एवं दिशा निर्देश के अनुरूप बनाना था,जिसके लिए शासन ने प्रधानपाठको के खाते मे बालवाडी के रूपये भेज दिये थे,परंतु प्रधानपाठको के खाते मे रूपये आते ही राजीव गांधी शिक्षा मिशन मे बैठे अधिकारी ठेकेदार बन गये। उनके द्वारा रातो रात कमीशन पर पेंटर निर्धारित कर लिए गये। 17हजार 500 रूपये की रकम मे से मातर्् 4 से 5 हजार रूपये खर्च कर बालवाडी के लिए आये रूपयो मे जमकर बंदरबांट होना शुरू हो गया।
घटिया स्तर पर बनी बालवाड़ी-राजीव गांधी शिक्षा मिशन के जिम्मेदार अधिकारीयों ने भूपेश सरकार की मंशा को धूमिल करने मे कोई कसर बाकी नही छोडी। बालवाडी का काम आते ही उसमे जमकर कमीशन का खेल शुरू कर दिया,जिसके कारण शासकीय स्कूलो मे बनने वाली बालवाडी बेहद घटिया किस्म की बनने लगी। अधिकांश स्कूलो मे पेंटरो द्वारा स्कूल के बाहर की दिवार मे बालवाडी का चिन्ह अंकित कर अपने कार्यो की इतिश्री कर ली गयी है। घटिया निर्माण होता देख प्रधानपाठक काफी नाराज दिखने लगे। उन्होने शासन की मंशा धूमिल होते देखकर लिखित मे इस बात की शिकायत जिले के अधिकारीयों तक करनी शुरू कर दी। धीरे-धीरे यह मामला मीडिया मे भी सुर्खियां बटोरने लगा।
जनप्रतिनिधियों की भी नही चली-राजीव गांधी शिक्षा मिशन मे बैठे अधिकारी इतने बेलगाम हो चुके है कि उनके सामने सत्ता के जनप्रतिनिधि भी बौने दिखायी देने लगे। बालवाडी के काम मे हुये भ्रष्ट्राचार एवं भूपेश सरकार की मंशा धूमिल होता देख जशपुर जिला ही नही वरन् छत्तीसगढ के सबसे वरिष्ठ विधायक रामपुकार सिंह ने इस मामले मे संज्ञान लेकर कार्यवाही की भी बात कही,उन्होने मीडिया के माध्यम से भी अपना विरोध दर्ज कराया,परंतु अधिकारीयों की बेलगामी के आगे जनप्रतिनिधियों का संज्ञान भी बौना साबित हुआ। लिहाजा बालवाडी मे हुये भ्रष्ट्राचार के आरोपियों पर आज प्रर्यत्न तक किसी प्रकार की कार्यवाही नही हो सकी।।
–मामला संज्ञान मे आया है जांच कराकर कार्यवाही की जायेगी।
संजय गुप्ता-जिला शिक्षा अधिकारी-जशपुर

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