गणेश के लिए टीन शेड निर्माण के विरोध पर ग्रामीणों ने आपत्ति जताई
बारसूर । पौराणिक काल से बारसूर स्थित युगल गणेश प्रतिमा छत्तीसगढ़ ही नहीं वरन सम्पूर्ण भारतवर्ष की श्रद्धालु जनमानस की आस्था का केंद्र रहा है . लोकमान्यता है कि बारसूर की पावन भूमि प्रभु श्रीराम एवं श्रीकृष्ण के पावन चरण कमलों से भी पवित्र हुई है . यहाँ के मन्दिर श्री काशी विश्वनाथ , केदारनाथ , रामेश्वरम, बद्रीनाथ , महाकाल , सोमनाथ के मंदिरों के समकालीन हैं . प्राचीनकाल के दण्डक अरण्य में बाणासुर की नगरी बारसूर धर्म – आस्था , ज्ञान – विज्ञान की केंद्र बिंदु रही है . ज्यादा नहीं हजार – डेढ़ हजार वर्ष पूर्व भी बारसूर दंडकारण्य राज्य की राजधानी रही है . कालांतर में इस नगरी को राजा – महाराजाओं सहित वर्तमान लोकतान्त्रिक व्यवस्था में भी उपेक्षित रखा गया जिसके कारण बारसूर के पौराणिक महत्व के मंदिरों की हजारों बहुमूल्य मूर्तियां चोरी चली गईं . और आज भी पुरातत्व विभाग बारसूर के मंदिरों के संरक्षण के नाम पर औपचारिकताओं का निर्वहन कर रहा है . आश्चर्य का विषय है कि दंतेवाड़ा विधानसभा के लिए चुनाव में पक्ष – विपक्ष के लिए बारसूर के मंदिरों का संरक्षण कोई मुद्दा ही नहीं है . और प्रशासन भी मूकदर्शक की भूमिका में है . भगवान ही जाने बारसूर का क्या होगा। आज पुरातत्व विभाग के रायपुर सर्किल के इंजिनियर से ग्रामीणों ने सख्त लहजे में कहा कि गणेश जी की गरिमा के अनुरूप भव्य मंडप बनाया जाये या फिर खुले में ही छोड़ दिया जाए . पुरातत्व विभाग मन्दिर के रख – रखाव से स्वयं को अलग कर ले हम ग्रामीण स्वयं के व्यय पर मंडप निर्माण एवंसंरक्षण संरक्षणका दायित्व निर्वहन कर लेंगे।