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छत्तीसगढ़

एक दिन में 150 हाइवा रेत का हो रहा परिवहन

राजिम । इन दिनों राजनीतिक रसूख वाले नेता बेखौफ होकर अवैध रेत खदान चला रहे हैं। जहां एक दिन में 100-150 से ज्यादा हाइवा रेत का परिवहन इन अवैध खदानों से किया जा है। जिससे सरकार को कई लाखों का राजस्व का नुकसान हो रहा है। वही इसका फायदा उठाते हुए क्षेत्र के नेता और अफसर अपनी जेब गरम कर रहे हैं। वहीं विपक्षी दल भी ये कह रही है कि कांग्रेस के करप्शन फार्मूला के आगे प्रशासन भी नतमस्तक है। तो ऐसे में छोटे मोटे चिरकुट नेता भी रोटियां सेंकने में लगे है । और उलूल जुलूल बयान बाजी करते हुए डींगे मार रहे है।।अवैध खदानों का संचालन प्रशासन की सह, पर चल रहा है यह कोई नई बात नहीं है।और इस पिक्चर का मुख्य किरदार हमेशा की तरह जिला खनिज अधिकारी है । जिसके सरपरस्ती में कार्यवाही नही होती इस वजह से रेत चोरों के तकदीर बदल रहा है और नदी का सीना चीर लाखो रुपए कमा रहे है । छुरा और फिंगेश्वर- ब्लॉक में रेत खदान के लिए पैरी नदी में कुछ घाट को अधिकृत किया गया है, लेकिन इससे ज्यादा प्रशासन की मौन स्वीकृति से अनाधिकृत खदानें चल रही हैं। इनमें से तर्रा, कुटैना, चौबेबांधा, सिंधौरी, पितईबंद, लचकेरा का खदान है। जहां से रोजाना 100 से 150 ट्रिप हाइवा प्रत्येक अवैध घाटों से रेत का अवैध परिवहन किया जा रहा है। रेत के इस अवैध कारोबार में लिप्त माफियाओं द्वारा माइनिंग और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के सारे नियम को ठेंगा दिखाते हुए पैरी नदी समेत महानदी का सीना चीरा जा रहा है। सभी अवैध खदानों में पोकलेन और चैन माउंटेन मौजूद है, जो दिन-रात रेत का दोहन कर रही है।तर्रा के अवैध घाट में दबंगों का कब्जा- इन दिनों सबसे ज्यादा रेत की निकासी तर्रा के अवैध रेत घाट से हो रही है अवैध उत्खनन को लेकर लगातार समाचार पत्रों में खबर प्रकाशन होने पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है ना ही कोई कार्यवाही हो रही है। लेकिन अवैध रेत के इस कारोबार में लगे लोगों द्वारा राजनेताओं व प्रशासन में पहुंच होने के कारण जिला प्रशासन के कोई भी अधिकारी कार्रवाई करने को लेकर कतरा रहे हैं। विधान सभा चुनाव के पहले जितना हो सके लूट लो की नीति पर कार्य जारी है।क्यों की रेत की मांग रायपुर राजधानी सहित अन्य राज्यो में भी भारी है ।जिस वजह से यह अवैध व्यापार काफी फल फूल रहा है बता दें कि ग्राम पंचायत तर्रा में रेत घाट की नीलामी ग्राम सभा के माध्यम से 2 लाख 60 हजार रुपए में हुई है। गांव के ही एक व्यक्ति ने इस रेत घाट को लिया है। जो रेत घाट को बाहर के राजनीतिक पकड़ रखने वाले व्यक्ति के सुपुर्द कर दिया है। जो नदी में पोकलेन के माध्यम से रोजाना सैकड़ों हाइवा ट्रीप रेत गांव के बाई पास रोड़ से निकाल रहा हैं। रेत घाट नीलाम करने के लिए बकायदा गांव में ग्राम सभा का आयोजन किया गया था। जहां खुली बोली के माध्यम से 2 लाख 60 हजार रुपए में एक साल के लिए रेत घाट को नीलाम किया गया है। यहां ये बताना लाजिमी होगा कि सरकारी तौर पर तर्रा में कोई भी रेत घाट स्वीकृत नहीं है। इसके बाद भी ग्रामसभा के माध्यम से रेत माफियाओं ने घाट ले लिया है।और इस भूरे सोना के काला कारोबार में कुछ मीडिया कर्मी भी संलिप्त है जो बीच में सेटिंग बैठाने का काम बखूबी जानते है ।और जिनका खनिज विभाग से पुराना याराना है। जिन्हे खबर प्रकाशन के बाद ऐसे लोगो के पेट में दर्द होना चालू हो जाता है।
इस संबंध में जिला खनिज अधिकारी फागुलाल नागेश से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि अभी मैं कल शिविर होने के कारण देवभोग में हु यहा से आने के बाद धड़ा धड़ कार्यवाही करूंगा सब पता है मुझे कहा कहा रेत घाट चल रहा है । बल की कमी है इसलिए हमलोग कार्यवाही नही कर पा रहे है।

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