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छत्तीसगढ़

दंतेवाड़ा में 6 दिवसीय गोंडी शब्द संग्रह यात्रा का समापन

दंतेवाड़ा । माध्यम भारत मे लगभग एक तिहाई आदिवासी गोंडी भाषी लोग निवासरत है और दंतेवाड़ा जिले के आदिवासियों की भी एक प्रमुख भाषा है ,पर इस भाषा का मानकीकरण न होने कारण इस बोली में बोलचाल के अलावा और कोई काम करना सम्भव नही हुआ है ,नई शिक्षा नीति में मातृभाषा मे प्राथमिक शिक्षण पर जोर दिया गया है ,इस लिए प्रदेश का शिक्षा विभाग गोंडी के मानकीकरण पर काम कर रहा है ! पिछले एक हफ्ते में जिले में जगह जगह से गोंडी शब्द संग्रह करने के लिए 14 सदस्यीय दल ने जिले के ग्राम कासौली ब्लॉक गीदाम और कुआकोंडा में स्थानीय शिक्षकों और गोंडी जानने वाले साधारण लोगो के साथ मिलकर गोंडी के शब्द संग्रह का काम किया !इस 14 सदस्यीय दल में 3 प्रदेश से लोग शामिल है मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़,महाराष्ट्र,,आंध्रप्रदेश, ओडिशा,और तेलंगाना ,राज्य के गोंडी जानने वाले विशेषज्ञ शामिल है !गोंडी फिलहाल इन 6 प्रदेश में ही ज्यादा जनसंख्या में बोली जाती है ! प्रदेश का शिक्षा विभाग गोंडी मानकीकरण का कार्य राज्य की स्वयंसेवी संस्था सीजीनेट स्वर फॉउन्डेशन के साथ मिलकर कर रहे है ,जो इन सभी राज्यो के गोंडी समाज के साथ मिलकर गोंडी मानकीकरण का काम पिछले लगभग 10 वर्षो से कर रहे है !इस बार इस कार्य मे 10 हजार गोंडी के शब्दो के संग्रह का लक्ष्य रखा गया है !इससे पहले यह यात्र 14 अप्रैल से मोहल्ला-मानपुर कांकेर ,,नारायणपुर,और कोंडागांव,जिलों के विभिन्न हिस्सों से गोंडी शब्द संग्रह का काम चुके है !दंतेवाडा जिले से भी गोंडी शब्द संग्रह का काम करने का निर्णय लिये है !गोंडी शब्दो के संग्रहण के शब्द केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान मैसूर की मदत से एक गोंडी मानक शब्दकोश बनाने का कार्य शुरु किया जाएगा !इस शब्द संग्रह के कार्य के लिए दो मोबाइल ऐप का उपयोग किया रहा है !इसमें से एक ऐप का माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च संस्था ने बनाकर दिया है !दूसरा ऐप भी अमेरिका की एक संस्था वाक्सलैब ने बनाकर दिया है 14 सदस्यीय टीम के द्वारा स्थानीय लोगो को इस ऐप पर कैसे काम करना है इसका प्रशिक्षण देते चल रहे है जिससे शिक्षक और स्थानीय लोग कार्यशालाओ के बाद अपने घर से ही अपने मोबाईल पर गोंडी शब्दो को
जोड़ सके !

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