खिलाडिय़ों को विश्वस्तरीय बनाने के लिए चाहिए सबकी मदद
केंद्रीय बजट 2023-24, खेलकूद के विकास के लिए पर्याप्त धनराशि आबंटित
– जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के खिलाडिय़ों के प्रदर्शन का आकलन करने पर आम तौर से यही कहा जाता है कि हमारे देश के खिलाडिय़ों को उचित सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जाती है।
यह तर्क बहुत हद तक 2014 के पूर्व सही हो सकता था। परंतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्तारूढ़ होने के पश्चात खिलाड़ी, प्रशिक्षक, सहयोगी सदस्य, खेल फेडरेशन कोई भी यह नहीं कह सकता कि एक खिलाड़ी को तैयार करने के लिए किसी तरह की कोई कमी है। बात चाहे खेल अधोसंरचना की करें, प्रशिक्षण के लिए अत्याधुनिक उपकरणों की करें या प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षणार्थियों व उनसे जुड़े प्रतिभागियों की करें या फिर बात खान-पान, आवास, परिवहन, शिक्षा आदि के क्षेत्र में 2014 तक केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्रालय के लिए करीब 1290 करोड़ की राशि स्वीकृति थी। जबकि 2014-15 से 2023-24 के लिए यह राशि 3397.32 करोड़ कि पहुंच गई है। अर्थात् करीब 65 वर्षों में जहां इस विभाग की राशि एक से 1290 करोड़ तक बढ़ोतरी हुई वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में कार्यकाल में 2014 मई से लेकर 2023-24 तक करीब नौ वर्षों में केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्रालय के लिए 2107 करोड़ अर्थात् लगभग 163 प्रतिशत ज्यादा राशि आबंटित की गई। जहां तक सिर्फ खेलकूद के विकास के लिए स्वीकृत की जा रही राशि की बात है वह सभी मदों को मिलाकर 1947 से 2014 तक शून्य से बढ़ते-बढ़ते 714 करोड़ तक पहुंची थी वही 2014-15 से 2023-24 तक यह राशि 2130.45 करोड़ हो गई है। इस तरह सिर्फ खेल व खिलाड़ी, प्रशिक्षण, प्रतिभा खोज,अधोसंरचना के लिए अमृतकाल के पहले वर्ष में 1416.52 करोड़ अर्थात् स्वीकृत राशि लगभग दोगुनी हो चुकी है। इसमें खेलो इंडिया के लिए 1000 करोड़, भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के लिए 785.52 करोड़ और नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशंस के लिए 345 करोड़ रुपये शामिल है। इस तरह भारत में खेल व खिलाडिय़ों, प्रशिक्षकों को पूरी सुविधा देने की शुरुआत वस्तुत: 2014 के बाद आरंभ हुई। खेलो इंडिया, प्रतिभा खोज, प्रोत्साहन,टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम आदि के माध्यम से हमारे देश के खिलाडिय़ों को विश्व स्तरीय दर्जा प्राप्त करवाने की पूरी कोशिश की जा रही है।
यह भविष्य के खेल वातावरण के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होते जा रहा है। 2022 के राष्ट्रमंडल खेलों में हमारे प्रतिभागियों ने 62 पदक जीते जबकि 2020 के टोक्यो ओलंपिक खेलों में सात पदक जीते यह अब तक किसी एक ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में प्राप्त उपलब्धि में सबसे बढ़कर है। हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सोच भारत को खेल की दुनिया में भी विश्व गुरु बनाने की है। इस कारण उनके कार्यकाल में इस दिशा में सकारात्मक प्रयास जारी है। अब गेंद खिलाडिय़ों, अभिभावकों, प्रशिक्षकों, खेल प्रशासकों के पाले में हैं वे किस तरह भारत में खेल माहौल तैयार करते हैं। खिलाडिय़ों को मानसिक रूप से तैयार करने की भूमिका सबके साथ खेल मीडिया और चयनकर्ताओं की भी है। हम सब मिलकर कार्य करेंगे तो भारत में खेल प्रतिभाओं को आने वाले समय में अद्भुत कीर्तिमान स्थापित करने से कोई नहीं रोक सकता।