छत्तीसगढ़

सालों से मुख्य मार्ग पर बने नाले की सफाई नहीं

दंतेवाड़ा । नगर को साफ, सुथरा, हरा भरा रखने की जवाबदारी नगर पालिका की होती है। नगर पालिका यह दावे भी करता है कि नगर की सफाई में कहीं कोई कमी या चूक वो कभी नहीं करता मगर उसके दावे झुठे साबित हो रहे हैं क्योंकि नगर के मुख्य मार्ग किनारे बना हुआ नाले की ही जब सालों से सफाई नहीं हुई है तो और जगहों पर सफाई किस तरह से होगी यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
दंतेवाड़ा नगर पालिका के कथनी और करनी में कितना फर्क है यहां सफाई व्यवस्था कितनी दुरूस्त है यह जानने के लिए लिए कहीं दूर किसी वार्ड में जाने की आवश्यकता भी नहीं बल्कि दंतेवाड़ा नगर के मुख्य मार्ग पर एक ओर बने बड़े नाले की ओर झांककर मालुम किया जा सकता है। बता दें कि बैंक चौक से लेकर अंबेडकर पार्क के सामने वाली स्थल तक सड़क के दांए ओर बने 4 फीट के नाले में बीते कई सालों से सफाई नहीं हुई है। नाला भी अधूरा बनाकर छोड़ा गया है। अंबेडकर पार्क के सामने आकर नाला खत्म हो जाता है। जब नाला ही अध्आूरा है तो फिर निकासी कहां से होगा ? नाले में सालों पुराना गंदा पानी एवं कूडा कचरा इस तरह सड़कर खराब हो चुका है कि नाले के पास से गुजरना भी बहुत मुश्किल होता है। सड़े हुए पानी के सड़ांध भरे दुर्गध व मच्छरों के बीच सड़क किनारे के व्यवसायी दुकानदारी करने को विवश हैं। इस खुले नाले को कव्हरअप अर्थात ढक्कन भी नहीं किया गया है। इस ओर नगर पालिका के अधिकारियों एवं वार्ड के जनप्रतिनिधियों का कोई ध्यान नहीं है। सड़क किनारे के व्यवसायी व रहवासी बताते हैं कि वे बोल बोलकर, लिख लिखकर थक चुके हैं मगर कोई सुनवाई व असर पालिका के अधिकारी तथा वार्ड के जनप्रतिनिधियों पर नहीं हो रहा। मजबूर हैं गंदगी के बीच रहने को। वार्डवासियों का कहना है कि क्या इसलिए हम जनप्रतिनिधि चुनते है? दावे व वादे बड़े बड़े किए जाते हैं मगर सच्चाई यही है कि आम इंसान को गंदगी के बीच ही रहना है उसे साफ सफाई में जीने रहने का कोई अधिकार नहीं। बात सही भी है टैक्स देने वाला आम इंसान की यही दुदर्शा है। ईधर नगर पालिका के जवाददेह अधिकारी से जब इस बाबत सवाल किया गया और पूछा गया कि आखिर अधूरी नाली क्यों बनाया गया? नाली की सफाई क्यों नहीं की जा रही? इस पर उन्होने कोई सटिक जवाब तो नहीं दिया बस इतना कहा कि नाली को फिर से बनाने का प्रस्ताव भेजा गया है जैसे ही स्वीकृति मिलती है काम शुरू कर दिया जाएगा. इसका मतलब यह हुआ कि जब तक स्वीकृति नहीं होगा चाहे सालों लगे आम जनता को युं ही गंदगी-सडंाध भरे बदबू व मच्छरों के बीच जीना वह रहना होगा।

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